उत्तराखंड के क्रिकेट एसोसिएशन की मान्यता का मसला काफी वर्षों से लंबित चल रहा था। और अब काफी जद्दोजहद के बाद आंखिरकार18 साल के लंबे इंतजार के बाद उत्तराखंड के खिलाड़ियों को क्रिकेट खेलने के लिए अन्य राज्यों का रुख नहीं करना पड़ेगा। सुप्रीम कोर्ट द्वारा गठित भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड के प्रबंधन को गठित समिति ने प्रदेश के खिलाड़ियों को वर्ष 2018-19 के घरेलू सीजन में खेलने के लिए मान्यता प्रदान कर दी है।
हालांकि, यह मान्यता किसी एक एसोसिएशन को न देकर इसके लिए सभी एसोसिएशनों की सहमति से एक नौ सदस्यीय कंसेंसस कमेटी का गठन किया गया है। इसमें मान्यता का दावा करने वाली प्रदेश की चारों क्रिकेट एसोसिएशन के छह सदस्यों के अलावा बीसीसीआइ के दो सदस्य व एक सदस्य राज्य सरकार का होगा। बीसीसीआइ का नामित प्रतिनिधि इसका संयोजक होगा। और यही कमेटी प्रदेश में क्रिकेट गतिविधियों का संचालन करेगी।उत्तराखंड सरकार के प्रयास के बाद अब उत्तराखंड को बीसीसीआइ से मान्यता मिल पाई है। खेल मंत्री अरविंद पांडेय ने बताया कि सरकार व खेल विभाग के प्रयास से अब प्रदेश के प्रतिभाशाली खिलाडिय़ों को घरेलू क्रिकेट में खेलने का मौका मिलेगा। बीसीसीआइ ने खिलाडिय़ों के हित को देखते हुए उत्तराखंड की टीम को घरेलू सीजन में खेलने के लिए अनुमति प्रदान कर दी है। खेल मंत्री ने बताया कि मान्यता का दावा करने वाली चारों एसोसिएशन के पदाधिकारियों ने बीसीसीआई के सामने इसकी सहमति प्रदान कर दी है। और उम्मीद जताई कि जल्द ही उत्तराखंड को रणजी मैच मिलने की भी संभावना है। खेल मंत्री अरविंद पांडे ने उत्तराखंड में क्रिकेट संचालन के लिए समिति बनाए जाने को ऐतिहासिक उपलब्धि करार दिया है। खेल मंत्री अरविंद पांडे ने कहा कि क्रिकेट एसोसिएशनों के आपसी झगड़े के कारण राज्य के खिलाड़ियों को 18 साल का इंतजार करना पड़ा है। हालांकि, कुछ लोगों ने हठी रवैया अपनाया, जिसके चलते दिक्कतें हुई। उन्होंने बताया कि वह पिछले कुछ माह से लगातार क्रिकेट प्रशासक समिति (सीओए) के अध्यक्ष विनोद राय से व्यक्तिगत रूप से भी मिल रहे थे।