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भारत के लिए यादगार रहेगा टोक्यो

भारत के लिए इससे अच्छी बात भला और क्या हो सकती है कि टोक्यो ओलंपिक के साथ ही अब पैरालंपिक में भी भारतीय प्रतिभाओं का प्रदर्शन शानदार रहा

टोक्यो पैरालंपिक 2020 अब अपने अंतिम पड़ाव पर है। 5 सितंबर 2021 को इसका आखिरी दिन है। भारत के लिए टोक्यो ओलंपिक और टोक्यो पैरालंपिक दोनों ही शानदार रहे। एक तरफ जहां ओलंपिक में भारत ने 7 मेडल अपने नाम किए, तो पैरालंपिक में अब तक भारत 10 मेडल अपने नाम कर चुका है। जिसमें 2 गोल्ड, 5 सिल्वर और तीन ब्रान्ज मेडल हैं। यह भारत का पैरालंपिक में अब तक का सबसे अच्छा प्रदर्शन रहा है।

इससे पहले रियो में भारत ने 8 मेडल जीते थे। हालांकि अभी और मैच होने बाकी हैं और भारत को और पदकों की उम्मीद है। टोक्यो पैरालंपिक में भारत की अवनि लखेरा और सुमित अंतिल ने इतिहास रच दिया है। अवनि ने निशानेबाजी में महिलाओं की 10 मीटर एयर स्पर्धा एसएच-1 में स्वर्ण पदक अपने नाम किया तो सुमित ने भाला फेंक की एफ-64 स्पर्धा में गोल्ड जीता। यह पहली बार है कि भारत ने पैरालंपिक खेलों में दो स्वर्ण जीते हैं।
19 वर्षीय अवनि लखेरा ने महिलाओं की 10 मीटर एयर राइफल के फाइनल इवेंट में 149.6 के स्कोर के साथ गोल्ड मेडल जीता। इसी के साथ लखेरा ने पैरालंपिक का नया रिकॉर्ड बनाया है। बता दें कि 2012 में 11 साल की उम्र में एक बड़ी कार दुर्घटना के बाद उनकी कमर के नीचे लकवा मार गया था।

सुमित अंतिल देवेंद्र झाझरिया के बाद जेवलिन थ्रो में पैरालंपिक गोल्ड जीतने वाले दूसरे भारतीय हैं। साथ ही 22 साल के इस खिलाड़ी में टोक्यो में भारत को दूसरा गोल्ड दिलाया है। बता दें कि 5 जनवरी 2015 को सुमित को हादसे में अपना एक पैर गंवाना पड़ा। लेकिन उन्होंने कड़ी मेहनत से यह मुकाम हासिल किया। देवेंद्र झाझरिया ने पुरुषों की एफ46 जेवलिन थ्रो में 64.35 मीटर दूर भाला फेंककर सिल्वर मेडल जीता है। यह देवेंद्र का तीसरा पैरालंपिक मेडल है। इससे पहले उन्होंने एथेंस में 2004 के समर पैरालिंपिक में पहला गोल्ड जीता और रियो डी जनेरियो में 2016 के ओलंपिक में अपना दूसरा गोल्ड जीता था।

मरियप्पन थंगावेलु ने टोक्यो पैरालंपिक में हाई के टी 63 इवेंट में सिल्वर मेडल जीता है। ये उनका दूसरा मेडल है। इससे पहले उन्होंने रियो पैरालंपिक में गोल्ड मेडल जीता था। बता दें कि जब मरियप्पन 5 साल के थे, तब एक बस ने उनको इतनी जोर से टक्कर मारी की उनका एक पैर काटना पड़ा था। योगेश कथुनिया ने डिस्कस थ्रो में सिल्वर मेडल जीता है। वह पुरुषों के डिस्कस थ्रो 56 फाइनल में दूसरे स्थान पर रहे। उन्होंने अपने छठे और आखिरी प्रयास में (44.38 मीटर, सीजन बेस्ट) अपना बेस्ट थ्रो किया और पदक पर कब्जा कर लिया। जब वह 8 साल के थे, तो उन्हें लकवा मार गया था।

शरद कुमार ने टोक्यो पैरालंपिक में हाई जंप 63 स्पर्धा में कांस्य पदक जीता है। शरद ने 1.83 मीटर की छलांग लगाई। इससे पहले साल 2018 में एशियन पैरालंपिक में 1.9 मीटर हाई जंप करके उन्होंने गोल्ड मेडल जीता था।
टेबल टेनिस खिलाड़ी भाविना पटेल ने टोक्यो में ऐतिहासिक सिल्वर मेडल जीता है। वह भारत के लिए पैरालंपिक में पदक जीतने वाली पहली टेबल टेनिस खिलाड़ी बनी हैं। बता दें कि जब भाविना 12 महीने की थी, तो उन्हें पोलियो हो गया था, जिसके चलते उनके शरीर का आधा हिस्सा बेकार हो गया था।

निषाद कुमार ने पुरुषों की हाई जंप में सिल्वर मेडल जीता है। 21 वर्षीय एथलीट ने अपने दूसरे प्रयास में 2.06 मीटर की दूरी तय की। उन्होंने अमेरिकी एथलीट डलास वाइज के साथ सिल्वर मेडल शेयर किया। जब वह 8 साल के थे, तो अपने पिता के साथ खेत में काम करते वक्त घास काटने वाली मशीन में गलती से उनका हाथ चला गया था। जिसके चलते उन्होंने दाहिना हाथ खो दिया था। पुरुषों की थ्46 जेवलिन थ्रो में भारत को एक और पदक मिला है। सुंदर सिंह गुर्जर ने इस प्रतियोगिता में कांस्य पदक जीता है, जबकि इसी प्रतियोगिता में देवेंद्र ने सिल्वर जीता था।

टोक्यो पैरालंपिक 2020 में भारतीय निशानेबाज सिंहराज अधाना ने 216.8 अंकों के साथ पी 1 पुरुषों की 10 मीटर एयर पिस्टल एसएच1 फाइनल में कांस्य पदक जीता है। भारत के स्टार बैडमिंटन खिलाड़ी ऋतु सुहास ने टोक्यो पैरालंपिक में अपने सफर का आगाज शानदार जीत के साथ किया है। सुहास ने ग्रुप स्टेज के मुकाबले में जर्मनी के जन निकलस को बेहद आसानी से मात देकर अगले दौर में जगह बना ली है। सुहास को पैरालंपिक में मेडल का दावेदार माना जा रहा है। सुहास ने टोक्यो रवाना होने से पहले कहा था कि उनकी नजरें गोल्ड मेडल जीतकर लाने पर हैं। इससे पहले सुहास ने हालांकि अपने सफर का आगाज 2016 में किया था।

सुहास देश के पहले ऐसे अधिकारी हैं जिन्होंने पैरालंपिक में हिस्सा लिया है। 2016 में सुहास ने एशियन पैरा बैडमिंटन चैंपियनशिप में खेलते हुए भारत के नाम गोल्ड मेडल किया था। सुहास कहते हैं कि खेल हमेशा से उनकी जिंदगी का हिस्सा रहा लेकिन बैडमिंटन खेलना उन्होंने काफी बाद में शुरू किया। सुहास 2007 बैच के आईएएस अधिकारी हैं। उनकी पहली पोस्टिंग आगरा में हुई थी। इसके बाद वो जौनपुर, सोनभद्र, आजमगढ़, हाथरस, महाराजगंज, प्रयागराज और गौतमबुद्धनगर के जिलाधिकारी बने। सुहास वर्तमान में गौतमबुद्धनगर जिले के डीएम का कार्यभार संभाले हुए हैं।

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