भारत और ऑस्ट्रेलिया के बीच खेली जा रही बॉर्डर गावस्कर सीरीज के दौरान भारत के दिग्गज स्पिनर रविचंद्रन अश्विन ने अचानक अपने क्रिकेट करियर को अलविदा कह सबको चौंका दिया। जिसके बाद से सवाल उठ रहे हैं कि उन्होंने खुद संन्यास लिया या यह उन पर दबाव बनाकर लिया गया
भारतीय क्रिकेट टीम वर्तमान में ऑस्ट्रेलिया दौरे पर है जहां पांच मैचों की प्रसिद्ध बॉर्डर गावस्कर सीरीज खेली जा रही है। इस दौरे के दौरान 18 दिसम्बर को गाबा टेस्ट ड्रॉ होने के बाद से जब टीम इंडिया के दिग्गज स्पिनर आर अश्विन ने क्रिकेट के तीनों फॉर्मेट से अचानक संन्यास का ऐलान किया तो भारतीय क्रिकेट खिलाड़ियों के साथ-साथ सभी चौंक गए। सभी के जहन में यही सवाल कौंध रहा है कि अश्विन ने आखिर सीरीज के बीचों- बीच संन्यास क्यों लिया। संन्यास लेने के बाद रविचंद्रन अश्विन अपने घर चेन्नई वापस लौट आए हैं। अश्विन के संन्यास के बारे में जब उनके पिता से मीडिया ने बात की तो वे अपना दर्द छुपा न सके। अश्विन के पिता ने किसी का नाम तो नहीं लिया पर उन्होंने बड़ा आरोप लगाते हुए कहा कि उनके बेटे को लगातार अपमानित किया जा रहा था और वे ये सब कब तक सहते।
अश्विन के पिता ने आगे कहा कि, ‘रिटायर होना अश्विन का फैसला था और मैं उसमें दखल नहीं दूंगा, लेकिन जिस तरह से उन्होंने संन्यास लिया उसकी कई वजहें हो सकती हैं। ये अश्विन ही जानते हैं। मुमकिन है कि अपमान इसकी वजह हो। उनका रिटायरमेंट लेना हमारे लिए इमोशनल लम्हा है क्योंकि वो 14-15 सालों तक खेले और इस तरह अचानक रिटायरमेंट के फैसले ने हम सभी को हैरान कर दिया। अश्विन के पिता ने भले ही कुछ साफ तौर पर नहीं कहा पर उनकी बातों से इस बात का अंदाजा लगाया जा सकता है कि अश्विन के इस फैसले ने अपने अंदर बहुत से राज छुपा रखे हैं। बॉर्डर गावस्कर ट्रॉफी जैसी अहम सीरीज के दो मैच अभी और बचे हैं लेकिन सीरीज के बीच में ही अश्विन का इस तरह से संन्यास लेने का फैसला किसी को भी रास नहीं आ रहा है।
ऐसे में सवाल उठ रहे हैं कि बॉर्डर गावस्कर ट्रॉफी के दौरान अश्विन को सिर्फ पिंक बॉल टेस्ट के लिए ही प्लेइंग इलेवन में क्यों रखा गया था। जिसमें उनके नाम सिर्फ 1 ही विकेट रहा। इससे पहले पर्थ में उन्हें खेलने का मौका नहीं मिला था। गाबा टेस्ट की प्लेइंग इलेवन में भी अश्विन बाहर थे। क्या विदेशी धरती पर अश्विन का असरदार नहीं होने के कारण उन्हें प्लेइंग इलेवन से बाहर रखा गया। क्या इसी वजह से उन्होंने संन्यास लिया या फिर टीम मैनेजमेंट ने उन पर दबाव बनाकर क्रिकेट को अलविदा कहने को कहा? ऐसे तमाम सवाल इन दिनों मीडिया और सोशल मीडिया में तैर रहे हैं।
भारत के अनुभवी खिलाड़ी चेतेश्वर पुजारा ने लाइव शो के दौरान अश्विन के संन्यास लेने के फैसले पर हैरानी जताते हुए कहा कि अश्विन का सीरीज के बीच में संन्यास का ऐलान करने का फैसला उनकी समझ से परे है। उन्हें नहीं पता कि टीम मैनेजमेंट से उनकी क्या बात हुई होगी लेकिन अचानक ऐसा फैसला थोड़ा मुश्किल रहा होगा। वहीं पूर्व क्रिकेटर हरभजन सिंह भी अश्विन के इस निर्णय से थोड़ा हैरान दिखे। उन्होंने कहा कि अश्विन ने भारत के लिए काफी विकेट चटकाए हैं और इस तरह के फैसले से पहले उन्होंने काफी विचार किया होगा। लेकिन जिस तरह उन्होंने सीरीज के बीच में संन्यास लेने का फैसला किया, वो दिखाता है कि उन्हें पता चल गया था कि आगामी मैचों में उन्हें खेलने का मौका नहीं मिलने वाला है। टीम मैनेजमेंट उन्हें अपने प्लानिंग में नहीं देख रहा है। दोनों दिग्गजों के बयान को रोहित और गम्भीर की जोड़ी सवाल उठाने के रूप में देखा जा रहा है। कहा जा रहा है कि वे अश्विन को आगामी सीरीज में टीम का हिस्सा नहीं देख रहे हैं शायद इसलिए उन्होंने क्रिकेट को अलविदा कहा होगा।
वहीं कुछ का कहना है कि ऑस्ट्रेलिया दौरे से पहले टीम इंडिया में अश्विन के लिए सब कुछ ठीक चल रहा था। न्यूजीलैंड के खिलाफ अश्विन ने दमदार गेंदबाजी भी की, लेकिन आखिर ऐसा क्या हुआ कि उन्होंने ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ सिर्फ एक मैच खेलने के बाद ही संन्यास की घोषणा कर दी। अश्विन एडिलेड में पिंक बॉल टेस्ट मैच में मैदान पर उतरे थे, जिसमें उनके नाम सिर्फ 1 ही विकेट रहा। इससे पहले पर्थ में उन्हें खेलने का मौका नहीं मिला था। रोहित शर्मा के मुताबिक अश्विन पर्थ में ही संन्यास की घोषणा करना चाहते थे, लेकिन कप्तान के कहने पर रुक गए। ऐसे में सवाल ये उठता है कि क्या विदेशी धरती पर अश्विन का असरदार नहीं होने के कारण उन्हें प्लेइंग इलेवन से बाहर रखा गया जिसके बाद उन्होंने संन्यास लेने का फैसला किया। क्योंकि एडिलेड के बाद ब्रिस्बेन में उनकी जगह रवींद्र जडेजा को मैदान पर उतारा गया। क्योंकि सीनियर खिलाड़ी के तौर पर लगातार अनदेखी करना एक तरह का यह संदेश ही था कि अब अश्विन की टीम में जगह नहीं बन रही है। हालांकि इसमें कोई शक नहीं है कि रविचंद्रन अश्विन अब अपने करियर के आखिरी पड़ाव में थे। टीम इंडिया के लिए 16 साल के लंबे करियर में अश्विन ने कई यादगार पल जिए लेकिन जब उनके रिटायरमेंट का समय आया तो आखिर क्या वजह थी कि उन्हें विदाई मैच भी नहीं मिला। ऐसे में सवाल उठ रहा है कि क्या अश्विन की अनदेखी की गई। अश्विन को ऑस्ट्रेलिया दौरे पर स्क्वाड में शामिल तो किया गया, लेकिन प्लेइंग इलेवन में उन्हें जगह नहीं मिल रही थी। पर्थ में टेस्ट में अश्विन को बाहर बैठाया गया। एडिलेड में पिंक बॉल टेस्ट मैच में उन्हें मौका मिला था तो वह कुछ खास कमाल नहीं कर सके। इसके बाद ब्रिस्बेन के गाबा में फिर से उन्हें बाहर रखा गया। ऐसे में लगातार टीम से बाहर किए जाने के कारण भी अश्विन को यह समझ में आ गया था कि अब टीम इंडिया में उनके दिन पूरे हो गए हैं और टीम मैनेजमेंट चाहता है कि वह संन्यास लेने का फैसला करें।
अनदेखी के साथ ही अश्विन पर बढ़ती उम्र भी उनके संन्यास का एक कारण रहा। भारत के लिए 100 से ज्यादा टेस्ट मैच में 537 विकेट लेने वाले अश्विन कुछ दिनों में 39 साल के हो जाएंगे। टीम इंडिया में अश्विन अपनी गेंदबाजी के साथ-साथ बल्लेबाजी भी करते हैं। इसके अलावा अश्विन इंडियन प्रीमियर लीग और टीएनपीएल में भी लगातार खेलते हुए आ रहे हैं। ऐसे में 39 साल के होने वाले अश्विन के लिए इस उम्र में अपनी फिटनेस को फिट बनाए रखना भी एक चुनौती रही होगी जिसके कारण उन्होंने संन्यास की घोषणा की है। हालांकि रविचंद्रन अश्विन ने रिटायरमेंट लेने का कारण बताते हुए कहा, ‘मैंने कई बार रिटायरमेंट पर विचार किया था। मेरा मानना था कि मेरे करियर का आखिरी दिन वह होगा जब मैं सुबह उठकर सोचूं कि अब मेरा यहां कोई भविष्य नहीं है। मुझे अचानक लगा कि मेरे लिए अब यहां ज्यादा कुछ हासिल करने को नहीं बचा है। ‘मुझे अपने फैसले पर कोई खेद नहीं है क्योंकि कठिन मेहनत करके मैं यहां तक पहुंचा था। मुझे खुशी है कि क्रिकेट का खेल मेरे जीवन में आया जिसने मेरे जीवन को आगे बढ़ने का एक महत्व दिया। अश्विन के संन्यास के बाद अब उन्हें सबसे बड़ा खेल पुरस्कार दिए जाने की मांग उठने लगी है। तमिलनाडु के कन्याकुमारी से कांग्रेस सांसद विजय वसंत ने खेल मंत्री मनसुख मांडविया को पत्र लिखकर अश्विन को मेजर ध्यानचंद खेल रत्न पुरस्कार देने की मांग की है।
खेल रत्न पुरस्कार की मांग
अश्विन को मेजर ध्यानचंद खेल रत्न पुरस्कार मिलने की मांग करते हुए कांग्रेस सांसद विजय वसंत ने खेल मंत्री मनसुख मांडविया को पत्र लिखा है। इस पत्र को उन्होंने अपने सोशल मीडिया प्लेटफार्म एक्स पर शेयर किया है। जिसमें लिखा, ‘मैंने खेल मंत्री मनसुख मांडविया को पत्र लिखकर अनुरोध किया है कि आर अश्विन को मेजर ध्यानचंद खेल रत्न पुरस्कार से सम्मानित किया जाए। भारतीय क्रिकेट में उनके असाधारण योगदान और मैदान पर उल्लेखनीय उपलब्धियां उन्हें वास्तव में इस सम्मान का हकदार बनाती हैं।
टेस्ट क्रिकेट में योगदान
अश्विन ने तीनों फॉर्मेट में टीम इंडिया का प्रतिनिधित्व किया लेकिन खासकर वे टेस्ट में भारत के सर्वश्रेष्ठ गेंदबाजों में शुमार हैं। उन्होंने अपने करियर में 106 टेस्ट मैच खेले और इस दौरान उन्होंने 537 विकेट झटके। वो टेस्ट में सबसे ज्यादा विकेट लेने वाले अनिल कुंबले के बाद दूसरे भारतीय हैं। उन्होंने 10 विकेट 8 बार और 5 विकेट 37 बार लिए हैं। इसके अलावा अश्विन ने अपने बल्ले से भी बड़ा योगदान दिया है। उन्होंने टेस्ट में 3 हजार 503 रन भी बनाए हैं। इस दौरान उनके बल्ले से 6 शतक और 14 अर्धशतक निकले।
अश्विन का अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट करियर
अश्विन ने भारत की ओर से 65 टी-20 और 116 एकदिवसीय मैच भी खेले हैं। टी-20 में उन्होंने 184 रन बनाए और 72 विकेट लिए तो वहीं वनडे में उनके नाम 114 पारियों में 156 विकेट दर्ज हैं। उनका वनडे में बेस्ट प्रदर्शन 25 रन देकर 4 विकेट है। हैरानी की बात है कि टेस्ट में 37 बार पांच विकेट लेने वाले अश्विन वनडे में एक बार भी 5 विकेट हासिल नहीं कर पाए। भारत के लिए सभी फॉर्मेट में उनके नाम 287 मैचों में 765 विकेट हैं।
गौरतलब है कि बदलाव के दौर में नई टीम तैयार करना कभी आसान नहीं होता और विशेष कर तब जबकि अपने करियर के अंतिम पड़ाव में चल रहे कुछ दिग्गज खिलाड़ी ड्रेसिंग रूम का हिस्सा हों। भारतीय क्रिकेट टीम के मुख्य कोच गौतम गम्भीर भी इसी दुविधा में फंसे हुए हैं। रविचंद्रन अश्विन के संन्यास के साथ ही भारतीय क्रिकेट में बड़े बदलाव की शुरुआत हो गई है। अश्विन ने भले ही यह फैसला स्वयं किया लेकिन भारतीय क्रिकेट की समझ रखने वाला कोई भी व्यक्ति यह कह सकता है कि वाशिंगटन सुंदर को उन पर प्राथमिकता देने से गम्भीर के फैसले ने इसमें बड़ी भूमिका निभाई।
गम्भीर ने यह फैसला तब लिया जबकि कप्तान रोहित शर्मा पहला टेस्ट मैच खेलने के लिए पर्थ में नहीं थे। अश्विन के संन्यास लेने के बाद भारतीय टीम में अब चार बड़े खिलाड़ी विराट कोहली, रोहित, रविंद्र जडेजा और मोहम्मद शमी रह गए हैं। शमी वर्तमान बॉर्डर गावस्कर सीरीज में नहीं खेल रहे हैं लेकिन उनके लिए टीम में वापसी करना अब आसान नहीं होगा। बदलाव का यह दौर राहुल द्रविड़ के मुख्य कोच रहते हुए शुरू हो गया था लेकिन उनके सामने गम्भीर जैसी चुनौती नहीं थी। द्रविड़ ने इशांत शर्मा और रिद्धिमान साहा को बता दिया था कि अब टीम में उनके लिए जगह नहीं है।
इशांत और साहा अनुभवी खिलाड़ी थे लेकिन वह कोहली, रोहित, जडेजा और शमी जैसे स्टार नहीं थे। अब निश्चित तौर पर सीनियर खिलाड़ियों पर नजर होगी विशेष कर रोहित और विराट पर जो वर्तमान में रन बनाने के लिए जूझ रहे हैं। ऐसे में मुख्य कोच गम्भीर पर भी नजर रहेगी क्योंकि उनके मुख्य कोच बनने के बाद भारत ने जो आठ टेस्ट मैच खेले हैं उनमें से चार में उसे हार का सामना करना पड़ा जबकि उसने तीन जीते और एक ड्रॉॅॅ रहा है। ऐसी स्थिति में गम्भीर के सामने कई सवाल खड़े हो गए हैं। अगर भारत विश्व टेस्ट चैंपियनशिप के फाइनल के लिए क्वालीफाई नहीं कर पाता है तो क्या गम्भीर की मुख्य कोच के रूप में स्थिति अस्थिर हो जाएगी? सबसे बड़ा सवाल क्या भारतीय क्रिकेट बोर्ड गम्भीर को अपनी टीम तैयार करने के लिए पूरी छूट देगा जिसमें जसप्रीत बुमराह टेस्ट टीम के संभावित कप्तान होंगे।