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छिन सकती है एशिया कप की मेजबानी!

श्रीलंका में मची भारी आर्थिक संकट और राजनीतिक उथल-पुथल के बीच एशिया के सबसे बड़े क्रिकेट टूर्नामेंट पर भी खतरे के बादल मंडराने लगे हैं। कहा जा रहा है कि एशिया कप 2022 की मेजबानी श्रीलंका से छीनी जा सकती है। इसके पीछे कारण नया नहीं, बल्कि काफी समय से श्रीलंका में चला आ रहा आर्थिक संकट है। श्रीलंका अपने सबसे खराब वित्तीय संकट से जूझ रहा है। इस कठिन समय में अब उसके हाथों से एशिया कप की मेजबानी छिनने की पूरी आशंका जताई जा रही है

पिछले दो सालों से एक ओर जहां पूरी दुनिया कोरोना महामारी से जंग लड़ रही है वहीं दूसरी तरफ रूस-यूक्रेन युद्ध से दुनिया भर के मुल्कों की अर्थव्यवस्था पर इसका असर देखने को मिला है। ऐसी स्थिति में श्रीलंका में मची भारी आर्थिक संकट और राजनीतिक उथल -पुथल के बीच एशिया के सबसे बड़े क्रिकेट टूर्नामेंट पर भी खतरे के बादल मंडराने लगे हैं। कहा जा रहा है कि एशिया कप 2022 की मेजबानी श्रीलंका से छीनी जा सकती है। इसके पीछे कारण नया नहीं, बल्कि काफी समय से श्रीलंका में चला आ रहा आर्थिक संकट है। श्रीलंका अपने सबसे खराब वित्तीय संकट से जूझ रहा है। इस कठिन समय में श्रीलंका से एशिया कप की मेजबानी छीनने की पूरी आशंका जताई जा रही है।


गौरतलब है कि एशिया कप 2022 का आयोजन श्रीलंका में 27 अगस्त से लेकर 11 सितंबर तक किया जाना है, लेकिन यहां पर इसके आयोजन को लेकर खतरा मंडराने लगा है। एशिया कप के 15वें सीजन का आयोजन टी-20 वर्ल्ड कप 2022 को ध्यान में रखते हुए टी-20 प्रारूप में खेला जाएगा। वहीं अब इस बात की संभावना बढ़ गई है कि इस टूर्नामेंट को श्रीलंका से बाहर स्थानांतरित किया जा सकता है।


दरअसल, श्रीलंका अपने सबसे खराब आर्थिक संकट का सामना कर रहा है। राजपक्षे प्रशासन विदेशी मुद्रा की कमी के कारण आवश्यक वस्तुओं को आयात के लिए भुगतान करने की स्थिति में नहीं है, जिसके परिणाम स्वरूप मुद्रास्फीति की दर आसमान छू रही है और आम जनता का दैनिक जीवन प्रभावित हो रहा है।


श्रीलंकाई लोग इस समय राशन, ईंधन और अन्य आवश्यक चीजों की भारी कमी का सामना कर रहे हैं। खाने-पीने की चीजों के दाम आसमान छू रहे हैं। यहां तक कि आर्थिक और राजनीतिक संकट की वजह से श्रीलंका के 22 मिलियन लोगों ने हफ्तों तक बिजली ब्लैकआउट और भोजन की गंभीर समस्या का सामना किया है। इसी वजह से श्रीलंका में एशिया कप 2022 का होना फिलहाल के लिए असंभव-सा नजर आ रहा है।


इस टूर्नामेंट में भारत, पाकिस्तान, अफगानिस्तान, बांग्लादेश और मेजबान श्रीलंका को भाग लेना था, लेकिन श्रीलंका में चल रहे आर्थिक और राजनीतिक संकट के कारण इस एशियाई टूर्नामेंट की मेजबान खो सकता है। एशिया कप को पहले ही कोरोना महामारी के कारण दो साल तक स्थगित किया जा चुका है।


इस बीच अगले महीने खेला जाने वाला एशिया कप का कार्यक्रम जारी हो गया है और सभी क्रिकेट प्रमियों की नजरें भारत-पाकिस्तान मैच को ढूंढ़ रही थी, जो कि टूर्नामेंट शुरुआत के अगले दिन होने वाला हैं यानी कि 28 अगस्त को भारत और पाकिस्तान के बीच महामुकाबला होना है। भारतीय टीम इस मैच को जीतकर टी-20 वर्ल्ड कप का बदला लेना चाहेगी। इस बार एशिया कप की अगुआई श्रीलंका क्रिकेट बोर्ड करने वाला है लेकिन आर्थिक संकट के कारण यह टूर्नामेंट यूएई में कराने की चर्चाएं चल रही थी। लेकिन श्रीलंका क्रिकेट बोर्ड के सीईओ एश्ले डिसिल्वा ने कहा कि एशिया कप के सभी मुकाबले जारी किए गए शेड्यूल के अनुसार ही खेले जाऐंगे और एशियन क्रिकेट काउंसिल को भी इसके लिए तैयार कर लिया है।


एशिया कप में 28 अगस्त को होने वाले पाकिस्तान के खिलाफ मुकाबले में भारतीय टीम 2021 टी-20 वर्ल्ड कप के हार का बदला लेने के इरादे से उतरेगी। पिछली बार टी-20 वर्ल्ड कप में जब भारत और पाकिस्तान का सामना हुआ था तब उस मैच में भारतीय टीम को 10 विकेटों से करारी शिकस्त का सामना करना पड़ा था।


एक बार फिर 2016 की तरह इस बार भी एशिया कप टूर्नामेंट टी-20 फॉर्मेट में खेला जाएगा। यह टूर्नामेंट वनडे फॉर्मेट के रूप में खेला जाता है लेकिन टी-20 वर्ल्ड कप की तैयारी हो सके इसलिए साल 2016 के बाद इसे एक बार फिर टी-20 फॉर्मेट में आयोजित किया जा रहा है। भारत इस टूर्नामेंट में डिफेंडिंग चैंपियन के रूप में उतरेगा। साल 2018 में भारत ने बेहद ही रोमांचक फाइनल मुकाबले में बांग्लादेश को आखिरी गेंद पर 3 विकेट शेष रहते हुए आठवीं बार इस टूर्नामेंट पर कब्जा जमाया था।


श्रीलंका से मेजबानी छिनने का सबसे बड़ा कारण यह भी है कि इस द्वीप राष्ट्र में पिछले सप्ताह प्रदर्शनकारियों ने राष्ट्रपति भवन पर कब्जा जमा लिया था, जबकि प्रधानमंत्री विक्रमसिंघे के निजी आवास में आग लगा दी गई थी और राष्ट्रपति गोटाबाया राजपक्षे ने इस्तीफा दे दिया था। ऐसे में यहां की स्थितियां अब बदल गई हैं।

अन्य सीरीजों पर भी खतरा
इस बार का एशिया कप कई मायनों में अहम है क्योंकि ऑस्ट्रेलिया में होने वाले टी- 20 विश्व कप से ठीक एक महीने पहले आयोजित हो रहे एशिया कप टी-20 फॉर्मेट में ही खेला जाएगा। ऐसे में एशियन टीमों के लिए तैयारी के लिहाज से यह एक अच्छा मौका उपलब्ध कराएगा।

 

जल्द ही बहाल होगा लोकतंत्र

श्रीलंका को भारी वित्तीय संकट और अशांति से जूझते हुए देखकर पूर्व कप्तान सनथ जयसूर्या दुखी हैं। उन्होंने सरकार के खिलाफ हो रहे आंदोलन में प्रदर्शनकारियों का साथ दिया है। उनका मानना है कि देश को नेताओं ने बर्बाद कर दिया है। उन्हें उम्मीद है कि देश में लोकतंत्र जल्द ही बहाल हो जाएगा। साथ ही इन्हें उम्मीद है कि अगले महीने उनका देश एशिया कप का आयोजन कर सकता है।


मेरा देश पीड़ित है और मुझे आवश्यक खाद्य पदार्थों को खरीदने के लिए लंबी कतारों में खड़े लोगों को देखकर दुख हो रहा है। बिजली नहीं है, ईंधन नहीं है और इसके ऊपर सभी बुनियादी दवाएं उपलब्ध नहीं हैं। आम आदमी के लिए इससे बदतर कुछ नहीं हो सकता था। यह स्थिति वास्तव में दुर्भाग्यपूर्ण है। मेरे पास यह बताने के लिए कोई शब्द नहीं हैं कि हमारे राजनेताओं ने देश को पूरी तरह गलत तरीके से चलाया है। जो वर्तमान में राष्ट्रपति भवन के अंदर हो रहा है उसमें मुझे कुछ भी गलत नहीं लगता क्योंकि वे अपने विरोध-प्रदर्शन में शांतिपूर्ण रहे हैं। उन्हें बार-बार सार्वजनिक संपत्ति को नुकसान नहीं पहुंचाने के लिए कहा गया है। हां, बहुत सारे लोग श्रीलंका के विभिन्न हिस्सों से आए हैं। वे सभी राष्ट्रपति के इस्तीफे की मांग को लेकर प्रदर्शन कर रहे हैं। सभी को राष्ट्रपति भवन के सामानों की देखभाल करने के लिए कहा गया है क्योंकि कुछ चीजें बहुत मूल्यवान हैं। इमारत के अंदर कुछ भी अप्रिय नहीं हुआ है।’ आम लोगों की तरह जयसूर्या को भी उम्मीद है कि बहुत जल्द लोकतंत्र वापस आएगा और लंबे समय में चीजें धीरे-धीरे सामान्य हो जाएंगी।


गौरतलब है कि जयसूर्या ने 90 के दशक में वनडे क्रिकेट में बल्लेबाजी की परिभाषा बदल दी थी। उन्होंने शुरुआती ओवरों में विस्फोटक बल्लेबाजी की और अन्य टीमों को पावरप्ले में खेलना सिखाया।

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