मौजूदा चैंपियन भारतीय टीम की वर्ष 2020 में दक्षिण अफ्रीका में होने वाले अंडर-19 क्रिकेट वर्ल्ड कप के लिए घोषणा हो गई है। टीम इंडिया प्रियम गर्ग की अगुवाई में भारत की तरफ से खिताब बरकरार रखने के लिए जीत का जोर लगाएगी। 2018 में पृथ्वी शा की कप्तानी में खिताब पर कब्जा जमाने वाली टीम इंडिया की नजर फिर से इस बार खिताब जीतने पर होगी।
टीम की कमान ऐसे खिलाडी के हाथों में है जिनका करियर संघर्षपूर्ण रहा है। एक कहावत है कि इंसान की हर बड़ी सफलता के पीछे किसी न किसी का हाथ जरूर होता है। वर्ल्डकप में अंडर-19 टीम इंडिया की कप्तानी की कमान मिलने वाले प्रियम गर्ग की कहानी भी कुछ ऐसी ही है।
पिता नरेश गर्ग ने बेटे को क्रिकेटर बनाने का सपना देखा और उसे दस साल की कड़ी मेहनत के बाद उसे पूरा भी किया। साईकिल पर घर- घर जाकर दूध बेचकर बेटे के सपनों को आकार दिया। मूल रूप से मेरठ के किला परीक्षितगढ़ निवासी, प्रियम गर्ग महज आठ साल की उम्र से ही क्रिकेट खेलने लगे। गांव के स्कूली मैदान में वो दोस्तों के साथ क्रिकेट खेलने जाते थे। जब कुछ लोगों ने उन्हें बताया कि प्रियम बल्लेबाजी बहुत अच्छी करता है, उसकी प्रतिभा निखरे इसके लिये वह मेरठ में उसको क्रिकेट एकेडमी ज्वाइन कराएं। लेकिन प्रियम के पिता नेरश गर्ग साईकिल से घर- घर जाकर दूध बेचकर आजीविका चलाते थे। उनके लिए यह मुश्किल था। उनकी आर्थिक स्थिति सामान्य थी, न ही कोई मजबूत सोर्स था। जिससे वह अपने बेटे का एडमिशन मेरठ में करा सकें। गांव के लोगों ने हौसला बढ़ाया तो कुछ दिनों बाद पिता नरेश ने भामाशाह पार्क में कोच संजय रस्तोगी से मुलाकात की। कोच संजय रस्तोगी ने प्रियम की बल्लेबाजी देखी तो उन्हें उसके अंदर भविष्य का अच्छा क्रिकेटर नजर आया। मेरठ में एकेडमी ज्वाइन कराने के बाद पिता ने बेटे प्रियम गर्ग को अच्छा क्रिकेटर बनाने के लिए दिन- रात मेहनत की। प्रतिदिन किला परीक्षितगढ़ से मेरठ भेजने और उसको वापस लाने की जिम्मेदारी भी बड़ी चुनौती थी। क्योंकि 2009 में साधनों की कमी के चलते कई बार साइकिल से भी मेरठ आना पड़ता था।
पिता नरेश गर्ग वर्तमान में स्वास्थ विभाग में गाड़ी चालक हैं, दूध का काम छोड़कर वह गाड़ी चलाकर अपना घर चला रहे हैं। जबकि रणजी मैचों में खिलाड़ी बेटे का सलेक्शन होने के बाद बेटे को अच्छी रकम मिलती है, जिससे घर के हालात अब पहले से बेहतर हो गए हैं। दस साल पहले खेलों को लेकर माता-पिता और परिवार के लोग बेहद नाराज रहते थे। प्रियम गर्ग के साथ भी कुछ ऐसा ही हुआ। मां कुसुम देवी भी प्रियम को समझाती थी कि खेल में कुछ नहीं रखा है। पढ़-लिख ले बड़ा अधिकारी बन जाएगा, लेकिन प्रियम के अंदर क्रिकेटर बनने का जुनून सवार था।
वर्ष 2011 में प्रियम की मां कुसुम देवी की बीमारी के कारण मृत्यु हो गई। उस समय प्रियम की उम्र मात्र 11 साल थी। मां की मौत के बाद पिता नरेश गर्ग ने प्रियम का हौसला नहीं टूटने दिया। मां की मौत के दौरान उसने एकेडमी जाना छोड़ दिया था। लेकिन कुछ दिनों बाद पिता ने उसको फिर से एकेडमी भेजना शुरू किया। इसके बाद यूपी अंडर- 14, 16, 19 में उसका चयन होता चला गया। प्रियम का प्रदर्शन दिन प्रतिदिन निखरता गया और एक क्रिकेटर के जीवन में खेल के साथ टीम की कप्तानी भी मिले तो पिता के लिए इससे बड़ा गौरव और कुछ नहीं हो सकता। अब पिता नरेश गर्ग ने कहा कि बेटे को टीम की कप्तानी मिली है यह अच्छी बात है। अब अंडर-19 वर्ल्डकप देश को दिलाए तो सीना चौड़ा होगा।
पांच बहन- भाइयों में सबसे छोटे प्रियम पर गांव के लोग भी भरोसा करते हैं। उन्हें पहले से ही उम्मीद थी कि प्रियम एक दिन टीम इंडिया में जरूर जाएगा। बहन पूजा गर्ग, ज्योति गर्ग, रेशु गर्ग व भाई शिवम गर्ग ने प्रियम के कप्तान बनने पर खुशी जताई है।
इस बार टूर्नामेंट की मेजबानी दक्षिण अफ्रीका को सौंपी गई। यह 17 जनवरी से शुरू होगा। फाइनल 9 फरवरी को खेला जाएगा। भारत का पहला मुकाबला श्रीलंका से 19 जनवरी को होगा। चार बार की विजेता भारतीय टीम ग्रुप-ए में जबकि पाकिस्तान ग्रुप-सी में है। भारत का दूसरा मुकाबला जापान और तीसरा न्यूजीलैंड से होगा। इस बार कुल 16 टीमें वर्ल्डकप में हिस्सा ले रही हैं। अंडर-19 का यह 13वां वर्ल्डकप होगा। फरवरी 2018 में खेले गए वर्ल्डकप फाइनल में भारतीय टीम ने ऑस्ट्रेलिया को 8 विकेट से हराया था। तब टीम के कप्तान पृथ्वी शा थे। फाइनल में मनजोत कालरा ने नाबाद 101 रन की पारी खेली थी।
अंडर-19 वर्ल्डकप के लिए टीम : प्रियम गर्ग (कप्तान), धु्रव चंद जुरेल (उप-कप्तान, विकेटकीपर), यशस्वी जयसवाल, तिलक वर्मा, दिव्यांश सक्सेना, शाश्वत रावत, दिव्यांश जोशी, शुभांग हेगड़े, रवि बिश्नोई, आकाश सिंह, कार्तिक त्यागी, अथर्व अंकोलेकर, कुमार कुशाग्र (विकेटकीपर), सुशांत मिश्रा, विद्याधर पाटिल।
उत्तराखण्ड के शास्वत का टीम में चयन
साउथ अफ्रीका में होने वाले अंडर-19 क्रिकेट वर्ल्डकप में उत्तराखण्ड के शास्वत रावत भी भारतीय टीम में नजर आएंगे। अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट में अपनी बल्लेबाजी से आयोजकों को प्रभावित कर चुके शास्वत के पास वर्ल्डकप में प्रतिभा दिखाने का सुनहरा मौका है। श्यामपुर गाजीवाली, हरिद्वार निवासी शास्वत भारतीय टीम में चुने जाने पर बेहद उत्साहित हैं। वर्ल्डकप के लिए घोषित भारतीय टीम में उन्हें बतौर बल्लेबाज चुना गया है। शास्वत ने हाल ही में चौलेंजर ट्रॉफी, अफगानिस्तान के खिलाफ यूथ कप में शानदार प्रदर्शन किया है। जिसके दम पर उन्हें भारतीय टीम में जगह मिली है।
चारों ग्रुपों की टीमें
ग्रुप-ए बी सी डी
भारत श्रीलंका न्यूजीलैंड जापान
ऑस्ट्रेलिया इंग्लैंड वेस्टइंडीज नाइजीरिया
पाकिस्तान बांग्लादेश जिम्बाब्वे स्कॉटलैंड
अफगानिस्तान अफ्रीका यूएई कनाडा