बुरे वक्त से गुजकर जब कोई शख्स कामयाबी हासिल करता है तो पूरी दुनिया हैरान रह जाती है। भारतीय अंडर-19 टीम में शामिल हुए क्रिकेटर यशस्वी जायसवाल की कहानी भी कुछ ऐसी ही है। 17वर्ष का जायसवाल अब आगामी श्रीलंका दाैरे में खेलने को तैयार है।
यशस्वी मुंबई के मुस्लिम यूनाइटेड क्लब के गार्ड के साथ तीन साल तक टेंट में रहा।यशस्वी इससे पहले डेयरी में काम करता था जहां उसने भूखे पेट कई रातें गुजारीं लेकिन वहां से उसे भगा दिया गया। यशस्वी उस वक्त 11 साल का था। उसने ये मुश्किल वक्त सिर्फ एक सपने के सहारे काट लिया आैर वो सपना था एक दिन भारतीय क्रिकेट टीम के लिए खेलना।
मुंबई के अंडर-19 कोच सतीश समंत का कहना है कि उसका फोकस और खेल की समझ कमाल की है। दो भाइयों में छोटा यशस्वी उत्तर प्रदेश के भदोही का रहने वाला है। उसके पिता वहीं एक छोटी सी दुकान चलाते हैं। यशस्वी, कम उम्र में ही क्रिकेट का सपना लेकर मुंबई पहुंच गया था। उनके पिता के लिए परिवार को पालना मुश्किल हो रहा था इसलिए उन्होंने एतराज़ भी नहीं किया।
मुंबई में यशस्वी के चाचा का घर इतना बड़ा नहीं था कि वो उसे साथ रख सकें। इसलिए चाचा ने मुस्लिम यूनाइटेड क्लब से अनुरोध किया कि वो यशस्वी को टेंट में रहने की इजाज़त दें।
और तीन साल के लिए वो टेंट ही यशस्वी के लिए घर जैसा बन गया। यशस्वी की पूरी कोशिश यही होती थी कि मुंबई में उनकी संघर्ष भरी ज़िंदगी की बात मां-बाप तक नहीं पहुंचे। अगर उनके परिवार को पता चलता तो क्रिकेट करियर का वहीं अंत हो जाता। उनके पिता कई बार पैसे भेजते लेकिन वो कभी भी काफी नहीं होते। राम लीला के समय आज़ाद मैदान पर यशस्वी ने गोल-गप्पे भी बेचे। लेकिन इसके बावजूद कई रातों को उन्हें भूखा सोना पड़ता था।
यशस्वी ने संघर्ष के दिन याद करते हुए कहा राम लीला के समय मेरी अच्छी कमाई हो जाती थी मैं यही दुआ करता था कि मेरी टीम के खिलाड़ी वहां न आएं, लेकिन कई खिलाड़ी वहां आ जाते थे। मुझे बहुत शर्म आती थी। सभी खिलाड़ी अपने घर से खाना लाते आैर मुझे टेंट से दो समय का खाना मिलता था। लेकिन कई बार भूखे भी सोना पड़ा क्योंकि खुद रोटियां बनानी पड़ती थीं।और आज मेरा वही संघर्ष का नतीजा है जो मुझे यह मुकाम हांसिल हुआ है।