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खेल के मैदान में मौत का तांडव

खेल के मैदान हुए मौत के तांडव ने पूरी दुनिया को हिला के रख दिया है। इस दर्दनाक घटना में 174 लोगों की मौत हो चुकी है जबकि सैकड़ों लोग घायल हैं, जिनमें से कई की हालत अभी भी गंभीर बताई जा रही है। ऐसे में सवाल उठ रहे हैं कि हिंसा में इतने लोगों की मौत के पीछे का क्या कारण है? कहा जा रहा है कि इस मैच के लिए 42 हजार टिकट बेची गई थीं, जबकि स्टेडियम में 38 हजार लोगों के ही बैठने की व्यवस्था है। आयोजक भीड़ को काबू भी नहीं कर पाए। यही लापरवाही इस हादसे की बड़ी वजह बताई जा रही है

पिछले हफ्ते इंडोनेशिया में फुटबॉल मैच के बाद खेल के मैदान हुए मौत के तांडव ने पूरी दुनिया को हिलाकर रख दिया है। इस भयावह हिंसा में मरने वालों की संख्या लगातार बढ़ती जा रही है। अभी तक इस दर्दनाक घटना में 174 लोगों की मौत हो चुकी है जबकि सैकड़ों लोग घायल हैं, जिनमें से कई की हालत अभी भी गंभीर बताई जा रही है। इस हादसे के वीडियो और खौफनाक तस्वीर पूरी दुनिया में वायरल हो रही है।

सवाल यह है कि मैच के बाद हिंसा में मौत तो हुई, यह हर कोई जान गया, मगर इतने लोगों की जान कैसे गई, हर किसी के मन में सवाल उठना लाजमी है। हिंसा में इतने लोगों की मौत के पीछे वजह आयोजकों की लापरवाही, प्रशासन की लापरवाही को बताया जा रहा है।

गौरतलब है कि इंडोनेशिया में पूर्वी जावा के मलंग रीजेंसी के कंजुरुहान स्टेडियम में इंडोनेशियाई लीग बीआरआई लीगा-1 का एक फुटबॉल मैच खेला गया था। यह मैच अरेमा एफसी और पर्सेबाया सुरबाया के बीच खेला गया। जहां अरेमा की टीम हार गई। इस हार के बाद अरेमा के फैंस भड़क गए और मैदान में घुस गए। पुलिस ने किसी तरह खिलाड़ियों को बचाया और उपद्रवियों को काबू में करने के लिए आंसू गैस के गोले दागे जिससे खचाखच भरे स्टेडियम में भगदड़ मच गई। कुछ लोग अधिकारियों को पीटने लगे। यहां तक कि कई गाड़ियों को आग के भी हवाले कर दिया गया। जिसके बाद भगदड़ मच गई और सैकड़ों लाशें मैदान में बिछ गईं।

पुलिस अधिकारी लोगों को पीटकर मैदान से बाहर भगाने लगे। इस भगदड़ में कई लोग कुचले गए और मारे गए। वहीं कुछ की मौत दम घुटने से हो गई। मरने वालों में एक 5 साल का बच्चा भी शामिल है। लोग बचने के लिए बाहर जाने वाले एक ही गेट पर इकट्ठा हो गए थे। एक ही गेट पर भीड़ होने से लोगों को सांस लेने में दिक्कत आने लगी और ऑक्सीजन की कमी के कारण कुछ लोगों ने गेट के पास ही दम तोड़ दिया।

इस मैच के लिए 42 हजार टिकट बेची गई थीं, जबकि स्टेडियम में 38 हजार लोगों के ही बैठने की व्यवस्था है। आयोजक भीड़ को काबू भी नहीं कर पाए। यही लापरवाही इस हादसे की बड़ी वजह बताई जा रही है। इस हिंसक घटना ने उन पुरानी यादों को ताजा कर दिया जिसमें मैच के बाद खूनी खेल खेला गया। आज से 58 साल पहले पेरू के नेशनल स्टेडियम में मैच के बाद भड़की हिंसा में भी 320 लोग मारे गए थे।

फुटबॉल मैचों के खूनी इतिहास पर नजर डालें तो अब तक की सबसे बड़ी हिंसा 58 साल पहले 24 मई वर्ष 1964 में हुई थी। पेरू के नेशनल स्टेडियम में मैच खेला जा रहा था। मुकाबला था अर्जेंटीना और पेरू के बीच। दोनों टीमें टोक्यो ओलंपिक में अपनी जगह पक्की करने के लिए मैदान में डटी थी। अर्जेंटीना मैच खत्म होने से 2 मिनट पहले 1-0 से आगे चल रही थी। तभी पेरू ने गोला दागा लेकिन, मैच रेफरी ने गोल को अमान्य करार दिया। इससे पेरू ओलंपिक से बाहर हो गया।

पेरू ओलंपिक से बाहर हो चुका था। गुस्साए पेरू के फैंस मैदान में आ धमके और तांडव मचाने लगे। पुलिस ने भी जवाबी कार्रवाई में आंसू गैस के गोले दागे और उपद्रवियों को खदेड़ा। इससे मैदान में भगदड़ मच गई। स्टेडियम का दरवाजा बंद होने की वजह से लोगों को बाहर जाने के लिए जगह नहीं मिली। इस कारण 320 लोगों को अपनी जान गंवानी पड़ी।

दो दशक बाद मिली हार
ईस्ट जावा के डिप्टी गवर्नर के मुताबिक हादसे में 174 से ज्यादा लोगों की मौत हो चुकी है। वहीं कई लोग घायल भी हैं। इसके बाद अब इंडोनेशिया में चल रही बीआरआई लीगा-1 लीग को कुछ दिनों के लिए सस्पेंड कर दिया है। दरअसल पिछले करीब दो दशक बाद अरेमा फुटबॉल क्लब पेरसेबाया ने मात दी थी। इसके बात तो उनके समर्थक बेकाबू हो गए और मैदान पर जमा हो गए। सोशल मीडिया पर इस घटना के कई वीडियो लगातार वायरल हो रहे हैं। इसमें देखा जा सकता है कि दर्शक मैदान में भाग रहे हैं। वहीं सुरक्षाकर्मियों ने इन्हें खदेड़ दिया है। हालात पर काबू पाने के लिए जवानों ने लाठीचार्ज की और आंसू गैस के गोले भी दागे।

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