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फिर हरे हुए पुराने जख्म

इसी साल भारत में खेले जाने वाले विश्वकप की तारीखों का एलान हो चुका है। भारतीय टीम मिशन वर्ल्ड कप की तैयारी में जुटी है तो वहीं कंगारू टीम के बाएं हाथ के तेज गेंदबाज मिचेल स्टार्क ने रोहित शर्मा की अगुवाई वाली टीम के पुराने जख्म हरे कर दिए हैं

भारत में अक्टूबर-नवंबर में वनडे विश्वकप होना है। टीम इंडिया और ऑस्ट्रेलिया के बीच तीन मैचों की वनडे सीरीज को उसकी तैयारी के तौर पर देखा जा रहा था। लेकिन कंगारू टीम के बाएं हाथ के तेज गेंदबाज मिचेल स्टार्क ने 3 मैच में 8 विकेट लेकर एक बार फिर रोहित शर्मा की अगुवाई वाली टीम के पुराने जख्म हरे कर दिए हैं। बाएं हाथ का गेंदबाज भारत के सलामी बल्लेबाजों के लिए परेशानी का सबब रहा है। पिछले तीन वनडे में स्टार्क ने यह साबित किया है। हालांकि रोहित शर्मा इसे चिंता का कारण नहीं मान रहे। उन्होंने कहा कि दाएं हाथ के गेंदबाजों ने भी परेशान किया है। अब आंकड़े कुछ और ही कहते हैं। साल 2019 से 6 तेज गेंदबाजों ने भारत के खिलाफ मैच में 5 विकेट लिए हैं। इनमें से 4 बाएं हाथ के तेज गेंदबाज हैं।

 

ऑस्ट्रेलियाई लेफ्ट बॉलर मिचेल स्टार्क

बात करें अगर चैंपियंस ट्रॉफी 2017 के फाइनल मुकाबले कि तो इंग्लैंड के द ओवल मैदान में भारत और पाकिस्तान की टीमें आमने-सामने थीं। टॉस हारकर पहले बैटिंग करने आई पाकिस्तान ने 337 रन बनाए। रोहित शर्मा, शिखर धवन और विराट कोहली जैसे मजबूत टॉप ऑर्डर के सामने ये टारगेट चेंज होता नजर आ रहा था। लेकिन 9 ओवर खत्म होते ही टीम इंडिया का स्कोर महज 33 रनों पर 3 विकेट हो गया। रोहित, धवन और कोहली तीनों पवेलियन में, वजह बने बाएं हाथ के तेज गेंदबाज मोहम्मद आमिर।

आमिर ने पावरप्ले में तीनों को पवेलियन भेजा और भारत 180 रन से मैच हार गया। आमिर के बाद न्यूजीलैंड के ट्रेंट बोल्ट ने 2019 वनडे विश्वकप में भारत का यही हाल किया। फिर पाकिस्तान के शाहीन शाह अफरीदी ने टी-20 विश्वकप 2021 में अपने शुरुआती दो ओवर में केएल राहुल और रोहित शर्मा के विकेट लेकर भारत को बैकफुट पर धकेल दिया। भारत पहली बार किसी विश्वकप मुकाबले में पाकिस्तान से हारा। इसके बाद इंग्लैंड के पिछले दौरे पर रीस टोप्ले ने भारतीय बल्लेबाजों को बहुत परेशान किया। अब ऑस्ट्रेलिया के तेज गेंदबाज मिचेल स्टार्क ने भारत में ही हमारे टॉप बैटर्स की नाक में दम कर दिया है।
इन सभी में कुछ बातें कॉमन हैं। सभी लेफ्ट आर्म तेज गेंदबाज हैं। सभी तेजी से इन-स्विंग बॉल फेंकते हैं। सभी ने भारतीय टॉप ऑर्डर को बड़े टूर्नामेंट और अहम मैचों के पावरप्ले में ही पवेलियन भेज रखा है।

लेफ्ट आर्म पेसर्स के सामने स्ट्रगल करते भारतीय बल्लेबाज
9 जुलाई 2019 को भारत और न्यूजीलैंड की टीमें वनडे विश्वकप सेमीफाइन में भिड़ीं। टीम इंडिया ने न्यूजीलैंड को 239 रन पर रोक दिया। खराब मौसम के कारण बारिश होने लगी और मैच रिजर्व डे पर अगले दिन की सुबह शुरु हुआ। केएल राहुल, रोहित और विराट जैसे बल्लेबाजों के आगे 240 का टारगेट छोटा लग रहा था, लेकिन भारत ने महज 5 रनों के भीतर ही 3 विकेट गंवा दिए।

न्यूजीलैंड के ट्रेंट बोल्ट ने कोहली और मैट हेनरी ने बाकी 2 विकेट लिए। टीम इंडिया दबाव में आ गई, लेकिन महेंद्र सिंह धोनी और रवींद्र जडेजा मैच को आखिर तक ले गए। यहां भी लेफ्ट आर्म पेसर बोल्ट आए और जडेजा को 77 रन पर आउट कर दिया। धोनी अगले ही ओवर में रन आउट हुए और भारत 18 रन से मैच हारकर फाइनल में जगह नहीं बना सका। 2021 टी-20 विश्वकप के ग्रुप स्टेज में भारत का पहला ही मुकाबला चिर- प्रतिद्वंदी पाकिस्तान से हुआ। टूर्नामेंट में इससे पहले पाकिस्तान से कभी नहीं हारने वाली टीम इंडिया इस बार फिर फेवरेट मानी जा रही थी। भारत की बल्लेबाजी आई और 2.1 ओवर में स्कोर 6 रनों पर ही 2 विकेट हो गए। रोहित और राहुल को लेफ्ट आर्म पेसर शाहीन शाह अफरीदी ने आउट कर दिया। जिसके बाद भारतीय टीम दबाव में आ गई, यहां से कोहली ने पारी संभाली और टीम को बड़े स्कोर की ओर ले जाने लगे। यहां भी 19वें ओवर में शाहीन ने कोहली को आउट किया और भारत 20 ओवर में 151 रन ही बना सका। पाकिस्तान ने बगैर विकेट गंवाए 17.5 ओवर में ही टारगेट हासिल कर भारत को टूर्नामेंट इतिहास में पहली बार हरा दिया वह भी पूरे 10 विकेट से।

द्विपक्षीय सीरीज
2015 में टीम इंडिया महेंद्र सिंह धोनी की कप्तानी में वनडे सीरीज खेलने बांग्लादेश गई। टीम जब भारत लौटी तो 2-1 से सीरीज हार चुकी थी, बांग्लादेश को सीरीज जिताने वाले प्लेयर का नाम मुस्ताफिजुर रहमान था।

लेफ्ट बॉलर : शाहीन शाह अफरीदी और टेंट बोल्ट

इस लेफ्ट आर्म तेज गेंदबाज ने वनडे सीरीज के 3 मैचों में 13 भारतीय बल्लेबाजों को पवेलियन भेजा था। हालात ये हैं कि मुस्ताफिजुर भारत के खिलाफ अब तक 12 वनडे में कुल 22 ले चुके हैं। मुस्ताफिजुर के बाद तो जैसे विपक्षी टीमें भारत के खिलाफ एक न एक लेफ्ट आर्म पेसर को टीम में रखने ही लगीं। जिसका नतीजा भी विपक्षी टीमों को मिला, 2022 में इंग्लैंड गई टीम इंडिया के खिलाफ रीस टॉप्ले ने वनडे में 6 विकेट लेकर लगभग अकेले ही टीम को हरा दिया। उस दौरे पर टी-20 और वनडे सीरीज में लेफ्ट आर्म पेसर डेविड विली ने भी खूब विकेट चटकाए। टॉप्ले के नाम तो भारत के खिलाफ 5 वनडे में 12 विकेट हैं, वहीं विली के नाम भी 9 विकेट हैं।

टेस्ट में भी आती हैं दिक्कतें
वनडे और टी-20 के अलावा टीम इंडिया के बल्लेबाज टेस्ट में भी लेफ्ट आर्म तेज गेंदबाजों के खिलाफ स्ट्रगल करते हैं। इंग्लैंड के सैम करन तो 2018 की टेस्ट सीरीज में भारत और इंग्लैंड के बीच जीत का सबसे बड़ा अंतर रहे। उन्होंने पूरी सीरीज के 4 मैचों में 11 विकेट लिए, वह भी अहम मौकों पर। उन्होंने जिन बल्लेबाजों को आउट किया, उनमें विराट कोहली, केएल राहुल, मुरली विजय से लेकर चेतेश्वर पुजारा भी शामिल रहे। साउथ अफ्रीका के मार्को यानसेन ने भी 2021-22 की टेस्ट सीरीज में कोहली, राहुल समेत कई टॉप ऑर्डर बल्लेबाजों को पवेलियन भेज कर भारत को सीरीज जीतने से रोका था। टीम इंडिया उस दौरे पर 1-2 से टेस्ट सीरीज हार गई थी।

क्या हैं कारण
लेफ्ट आर्म पेसर्स के खिलाफ भारतीय बल्लेबाजों के स्ट्रगल करने के 2 कारण नजर आते हैं। अच्छे लेफ्ट आर्म बॉलर्स के सामने प्रैक्टिस न होना और तेजी से आती इन-स्विंग गेंदों पर बल्लेबाजों की टेक्नीक।

टीम के पास लेफ्ट आर्म पेसर्स ही नहीं
भारतीय टीम के बल्लेबाज पिछले 10 सालों में लेफ्ट आर्म पेसर्स के खिलाफ कुछ ज्यादा ही स्ट्रगल कर रहे हैं। इसकी सबसे बड़ी वजह लेफ्ट आर्म पेसर्स के खिलाफ प्रैक्टिस की कमी है। टीम इंडिया में इस वक्त स्टार्क, बोल्ट, शाहीन या आमिर जैसे लेफ्ट आर्म पेसर्स नहीं हैं। पिछले कुछ सालों में जो लेफ्ट आर्म बॉलर्स टीम में खेले, उनमें खलील अहमद, जयदेव उनादकट, बरिंदर सरन, चेतन साकरिया, थंगारसु नटारजन और अर्शदीप सिंह शामिल रहे।
इनमें से न तो कोई बॉलर परमानेंट हो सका और न ही कोई लगातार 145 किमी की स्पीड से ज्यादा बॉल को स्विंग करा सकता है। इंटरनेशनल के अलावा मुकेश चौधरी, यश दयाल, आकाश सिंह और मोहसिन खान जैसे कुछ बॉलर्स आईपीएल और घरेलू क्रिकेट में अच्छा कर रहे हैं, लेकिन इंटरनेशनल लेवल की छाप नहीं छोड़ पा रहे। घरेलू क्रिकेट के इन्हीं चुनिंदा 10-12 बॉलर्स के सामने भारतीय बल्लेबाज पिछले कुछ समय से प्रैक्टिस कर रहे हैं।
नतीजा यह निकल रहा है कि यह प्रैक्टिस इंटरनेशनल लेवल के पेसर्स का सामना करने के लिए काफी नहीं है। ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ जारी सीरीज में तो भारत के पास उनादकट ही एकमात्र लेफ्ट आर्म पेस बॉलिंग ऑप्शन हैं। वहीं 2013 से पहले तक टीम में जहीर खान, इरफान पठान, आरपी सिंह और आशीष नेहरा के रूप में 4 लेफ्ट आर्म पेसर्स एक साथ टीम इंडिया ने खेले हैं। ऐसे में घरेलू क्रिकेट में अच्छे लेफ्ट आर्म तेज गेंदबाजों के नहीं होने से भी बल्लेबाजों के प्रदर्शन पर असर पड़ रहा है।
कई क्रिकेट एक्सपर्ट्स का मानना है कि तेजी से गुड और फुल लेंथ से बॉडी की ओर आने वाली गेंदें किसी भी विश्व क्लास बल्लेबाज को परेशान कर सकती हैं। भारतीय बल्लेबाज भी इसी समस्या से जूझ रहे हैं। बॉलिंग की बात करें तो उनादकट एंगल का यूज कर बॉल को राइट हैंड बैटर से दूर की ओर ले जाते हैं। वहीं अर्शदीप अच्छी इन-स्विंग तो फेंक रहे हैं, लेकिन स्टार्क या शाहीन जितनी पेस नहीं जनरेट कर पा रहे। ऐसे में टीम की बैटिंग प्रैक्टिस लेफ्ट आर्मर्स के सामने कुछ हद तक अधूरी ही रह जा रही है।

विश्वकप में परेशान करेंगे बाएं हाथ के गेंदबाज
50 ओवर की भारत-ऑस्ट्रेलिया सीरीज वनडे विश्वकप के लिहाज से दोनों टीमों के लिए अहम मानी जा रही थी। क्योंकि भारत में ही 7 महीने बाद वनडे विश्वकप होगा, जिसमें ये दोनों ही टीमें भी रहेंगी। ऑस्ट्रेलिया में तो स्टार्क और जेसन बेहरनड्रॉफ के रूप में 2 लेफ्ट आर्म पेसर्स मौजूद हैं, जो भारत और विपक्षी टीम के टॉप ऑर्डर को परेशान कर सकते हैं।
ऑस्ट्रेलिया-भारत के अलावा टूर्नामेंट में 8 और टीमें भी रहेंगी। उन टीमों में भी कुछ अच्छे लेफ्ट आर्म पेसर्स हैं, जो विश्वकप में भारत की मुश्किलें बढ़ा सकते हैं। इनमें साउथ अफ्रीका के मार्को यानसेन, वेन पार्नेल, वेस्टइंडीज के शेल्डन कॉट्रेल, ओबेड मैकॉय, श्रीलंका के दिलशान मदुशंका, इंग्लैंड के सैम करन और रीस टॉप्ले, पाकिस्तान के शाहीन अफरीदी और बांग्लादेश के मुस्ताफिजुर रहमान जैसे बॉलर्स शामिल हैं।

टीम इंडिया की कमी का फायदा उठाएंगी विरोधी टीमें
2019 के बाद से भारत के खिलाफ बाएं हाथ के तेज गेंदबाजों ने भारतीय बल्लेबाजों को परेशान किया है। श्रीलंका और वेस्टइंडीज के अलावा हर टीम में बाएं हाथ के गेंदबाज हैं। यह टीम इंडिया की एक ऐसी कमी है, जिसकी हर टीम फायदा उठाना चाहेगी। विश्वकप से पहले इसपर काम करना होगा।

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