बर्मिंघम में भारत पर भले ही मेडल की बरसात हुई लेकिन एक बड़ी कसक रह गई। भारत पदकों के मामले में कॉमनवेल्थ गेम्स 2018 के अपने रिकॉर्ड को तोड़ नहीं पाया। भारत ने गोल्ड कोस्ट में हुए पिछले कॉमनवेल्थ गेम्स में कुल 66 मेडल हासिल किए थे और तीसरे स्थान पर रहा था। भारत को बर्मिंघम में न सिर्फ पांच मेडल बल्कि तालिका में एक पायदान का भी नुकसान हुआ है
राष्ट्रमंडल खेल 2022 का समापन हो चुका है। इस बार भारत ने कुल 61 पदक जीते हैं। इसमें 22 स्वर्ण, 16 रजत और 23 कांस्य पदक शामिल हैं। इससे पहले 2018 राष्ट्रमंडल खेलों में भारत ने कुल 66 पदक जीते थे। इनमें से 16 पदक शूटिंग में आए थे। इस बार शूटिंग को शामिल नहीं किया गया था, लेकिन भारत के सिर्फ पांच पदक कम हुए हैं। स्वर्ण पदक की संख्या में भी सिर्फ चार पदक की कमी हुई है, जबकि 2018 में शूटिंग से सात स्वर्ण पदक मिले थे। इस बार भारत ने लॉन- बॉल, एथलेटिक्स जैसे खेलों में बेहतर प्रदर्शन किया और पैरा एथलीटों ने भी कमाल किया। इसी वजह से भारतीय दल एक बार फिर अच्छा प्रदर्शन करने में कामयाब रहा है लेकिन खेल विश्लेषक भारत के इस प्रदर्शन को मिला-जुला मान रहे हैं। राष्ट्रमंडल खेल 2022 में पदक विजेता की अंक तालिका में भारत चौथे स्थान पर रहा। ऑस्ट्रेलिया ने पहला स्थान हासिल किया। इंग्लैंड दूसरे और कनाडा तीसरे स्थान पर रहा। न्यूजीलैंड ने पांचवां स्थान हासिल किया।
भारत का प्रदर्शन
कुश्ती : हमेशा से ही कुश्ती भारत के लिए सबसे मजबूत खेल रहा है। ओलंपिक से लेकर कॉमनवेल्थ और एशियाई खेलों तक हर बड़ी प्रतियोगिता में पदक लाने के मामले में हमारे पहलवान सबसे आगे रहते हैं। इस बार भी ऐसा ही हुआ। भारत के 12 पहलवानों ने इस प्रतियोगिता में भाग लिया और सभी ने पदक जीता। पिछली बार भी भारत को कुश्ती में 12 पदक मिले थे। हालांकि, स्वर्ण पदकों की संख्या एक ज्यादा रही। भारत ने इस बार कुश्ती में छह स्वर्ण, एक रजत और पांच कांस्य पदक जीते हैं।
वेटलिफि्ंटग : भारत को वेटलिफि्ंटग में भी हमेशा से ही भरपूर पदक मिलते रहे हैं और इस बार भी ऐसा ही हुआ। भारत को शुरुआती सभी पदक इसी खेल में आए। इस बार भारत ने वेटलिफि्ंटग में तीन स्वर्ण, तीन रजत और चार कांस्य पदक जीते। 2018 राष्ट्रमंडल खेलों में भारत को वेटलिफि्ंटग में नौ पदक मिले थे, लेकिन स्वर्ण पदक की संख्या पांच थी, जो इस बार घटकर तीन रह गई। इसके बावजूद भारत के खिलाड़ियों ने अच्छा प्रदर्शन किया और इस खेल में सबसे ज्यादा 10 पदक जीते।
टेबल टेनिस : भारत ने टेबल टेनिस में भी सात पदक जीते। इसमें चार स्वर्ण, एक रजत और दो कांस्य पदक शामिल हैं। वहीं 2018 में भारत को इस खेल में आठ पदक मिले थे। इसमें तीन स्वर्ण, दो रजत और तीन कांस्य पदक शामिल थे। इस लिहाज से कुल पदकों की संख्या में एक पदक की कमी आई, लेकिन स्वर्ण पदक की संख्या एक बढ़ गई। मनिका बत्रा इस बार कोई पदक नहीं जीत पाईं। भारत के लिए सबसे ज्यादा निराशा की बात यही रही।
बॉक्सिग : बॉक्सिग में भी इस बार भारतीय खिलाड़ियों ने कमाल किया। भारत ने सात पदक जीते। 2018 में भारत को
बॉकि्ंसग में नौ पदक मिले थे। हालांकि, स्वर्ण पदकों की संख्या में कोई बदलाव नहीं हुआ, लेकिन रजत पदकों की संख्या दो कम हो गई। इस बार भारत ने तीन स्वर्ण, एक रजत और तीन कांस्य पदक जीते। 2018 में भारत ने तीन रजत, तीन कांस्य और तीन ही स्वर्ण पदक जीते थे।
हॉकी : भारत को इस बार हॉकी में दो पदक मिले। पुरुष और महिला दोनों टीमों ने पदक जीते। पहले महिला टीम ने कांस्य पदक हासिल किया। इसके बाद पुरुष टीम ने रजत पदक जीता। हालांकि दोनों टीमों को ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ हार का सामना करना पड़ा। भारत को अपने राष्ट्रीय खेल में स्वर्ण पदक जीतने के लिए ऑस्ट्रेलिया से पार पाना होगा। 2018 में भारत को हॉकी में कोई पदक नहीं मिला था। इस लिहाज से इस बार का प्रदर्शन बेहतर है।
लॉन-बॉल : भारत ने इस बार लॉन-बॉल में दो पदक जीते। इसके इतिहास में पहली बार भारत को पदक मिले हैं। इससे पहले भारत कभी भी लॉन-बॉल में पदक नहीं जीत पाया था। हालांकि, इस बार पहले महिला टीम ने कमाल किया और स्वर्ण पदक अपने नाम किया। वहीं पुरुष टीम ने भी रजत पदक जीता। इस खेल में भारत का पदक जीतना सबसे बड़ा सकारात्मक पहलू है।
बैडमिंटन : बैडमिंटन में इस बार भारत ने कुल छह पदक जीते। इसमें तीन स्वर्ण, एक रजत और दो कांस्य पदक शामिल थे। भारत ने तीनों स्वर्ण कॉमनवेल्थ गेम्स 2022 के आखिरी दिन जीते। पीवी सिंधु और लक्ष्य सेन के अलावा सात्विक-चिराग की जोड़ी ने भी स्वर्ण पदक अपने नाम किया। वहीं पिछली बार भी भारत को इस खेल में छह पदक मिले थे। इसमें दो स्वर्ण, तीन रजत और एक कांस्य पदक शामिल था। इस बार स्वर्ण पदकों की संख्या बढ़ गई है। यह भारत के लिए अच्छी खबर है।
जूडो : भारत ने इस बार जूडो में कुल तीन पदक जीते। इसमें दो रजत और एक कांस्य पदक शामिल हैं। खास बात यह है कि पिछली बार भारत को इस खेल में कोई पदक नहीं मिला था। ऐसे में इन तीन पदकों की अहमियत बहुत ज्यादा है। शूटिंग के न होने की वजह से कम हुए पदकों की भरपाई करने में जूडो का अहम योगदान है।
स्क्वैश : भारतीय टीम ने इस बार स्क्वैश में दो पदक हासिल किए। दोनों कांस्य पदक थे। सौरव घोषाल और दीपिका पल्लीकल ने अच्छा खेल दिखाया और देश को पदक दिलाए। पिछली बार भारत को इस खेल में दो पदक मिले थे, लेकिन दोनों रजत पदक थे। इस लिहाज से भारत का प्रदर्शन कमजोर हुआ, लेकिन युवा अनहत ने अपने खेल से भविष्य के लिए कई उम्मीदें जगाई हैं।
पैरा पावरलिफि्ंटग : इस बार भारत ने पैरा पावरलिफि्ंटग में भी एक पदक जीता। सुधीर ने कमाल करते हुए देश को पदक दिलाया। पिछली बार पैरा खेलों में भारत को कुल एक पदक मिला था। हालांकि यह कांस्य पदक था। इस बार उन्होंने स्वर्ण जीत भारत को गौरवान्वित किया है।
क्रिकेट : कॉमनवेल्थ खेलों में पहली बार महिला क्रिकेट को शामिल किया गया था और भारत ने रजत पदक जीता। हालांकि फाइनल में टीम इंडिया को ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ हार का सामना करना पड़ा, लेकिन जिस तरह से भारतीय टीम खेली वह शानदार था। अब आने वाले समय में भारतीय टीम से स्वर्ण की उम्मीद की जा सकती है।
बर्मिंघम में मिले भारत को कुल मेडल
भारतीय दल ने बर्मिंघम में जबरदस्त छाप छोड़ी और कुल 61 मेडल अपने खाते में डाले। भारत पदक तालिका में चौथे स्थान पर रहा। भारत ने 22 गोल्ड, 16 सिल्वर और 23 ब्रॉन्ज मेडल पर कब्जा जमाया। भारतीय दल ने सर्वाधिक पदक कुश्ती और वेटलिफि्ंटग की अलग-अलग कैटगरी में हासिल किए। भारत ने कुश्ती में 12 और वेटलिफि्ंटग में 10 मेडल अपने नाम किए। वहीं ऑस्ट्रेलिया ने 178 मेडल जीतकर पदक तालिका में शीर्ष स्थान हासिल किया। उसे 67 स्वर्ण, 57 रजत और 57 कांस्य मिले। इंग्लैंड 176 दूसरे और कनाडा 92 पदकों के साथ तीसरे नंबर पर रहा।
भारत, बर्मिंघम में कॉमनवेल्थ गेम्स इतिहास का अपना 200वां गोल्ड जीतने में कामयाब रहा। 200वां गोल्ड सिंधु ने दिलाया। बर्मिंघम खेलों में भारत ने 22 स्वर्ण जीते जिससे उसके कुल स्वर्ण पदकों की संख्या 203 हो गई। सिंधु के बाद बैडमिंटन के पुरुष एकल में लक्ष्य सेन जबकि पुरुष युगल में सात्विकसाईराज रंकीरेड्डी और चिराग सेन जोड़ी ने स्वर्ण जीता। अचंता शरत कमल ने इसके बाद टेबल टेनिस में स्वर्ण पदक जीतकर इतिहास रचा।
देश के अब कॉमनवेल्थ गेम्स के इतिहास में कुल 203 स्वर्ण पदक हो गए हैं। गौरतलब है कि भारत ने कॉमनवेल्थ गेम्स में सबसे ज्यादा पदक साल 2010 में हासिल किए थे। भारतीय दल ने तब नई दिल्ली में आयोजित हुए गेम्स में 101 मेडल जीते थे।
राष्ट्रमंडल खेलों के इतिहास में स्वर्ण पदकों की कुल संख्या राष्ट्रमंडल खेलों में स्वर्ण पदकों की कुल संख्या के मामले में ऑस्ट्रेलिया 1 हजार 3 स्वर्ण पदक जीत शीर्ष पर है जबकि इंग्लैंड 773 दूसरे और कनाडा 510 तीसरे स्थान पर है। राष्ट्रमंडल खेलों में भारत ने पहला स्वर्ण वर्ष 1958 में जीता था। यह स्वर्ण महान फर्राटा धावक मिल्खा सिंह ने जीता था। भारत ने इसके बाद हर राष्ट्रमंडल खेलों 1962 और 1986 में भाग नहीं लिया। इस मामले में दिल्ली में 2010 में हुए राष्ट्रमंडल खेल भारत के लिए सबसे सफल रहे हैं जिसमें उसने 38 स्वर्ण के साथ कुल 101 मेडल जीते थे।
बर्मिंघम में रह गई ये बड़ी कसक
बर्मिघम में भारत पर भले ही मेडल की बरसात हुई लेकिन एक बड़ी कसक रह गई। भारत पदकों के मामले में कॉमनवेल्थ गेम्स 2018 के अपने रिकॉर्ड को तोड़ नहीं पाया। गोल्ड कोस्ट में हुए पिछले कॉमनवेल्थ गेम्स में कुल 66 मेडल हासिल कर तीसरे स्थान पर रहा था। भारत को बर्मिंघम में न सिर्फ पांच मेडल बल्कि तालिका में एक पायदन का भी नुकसान हुआ है।