भारतीय क्रिकेट के सबसे प्रतिभाशाली क्रिकेटरों में शुमार रहे विनोद कांबली एक समय बेहद प्रतिभाशाली माने जाने वाले सचिन तेंदुलकर के बाल सखा इन दिनों तंगहाली में हैं और नौकरी के लिए गुहार लगा रहे हैं। अपनी बिंदास जीवन शैली के लिए मशहूर रहे कांबली भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड (बीसीसीआई) से मिलने वाले महज 30 हजार रुपए की पेंशन से गुजारा कर रहे हैं।
कांबली की आर्थिक हालत ठीक नहीं है। उन्होंने खुद एमसीए यानी मुंबई क्रिकेट एसोसिएशन से यह कहते हुए काम देने की गुजारिश की है कि वे बीसीसीआई से मिलने वाली तीस हजार रुपए की पेंशन भर से गुजारा कर रहे हैं। कोई अपने खर्चे कितने भी कम कर ले, लेकिन मुंबई में कांबली जैसे स्तर के व्यक्ति के लिए इतने कम पैसे में काम चलाना बेहद मुश्किल काम है। वे सचिन तेंदुलकर के दोस्त रहे हैं, स्कूली क्रिकेट में इन दोनों की 664 रनों की रिकॉर्ड पार्टनरशिप आज भी याद की जाती है।
बीसीसीआई की एक स्कीम हुआ करती थी जिसमें वह हर साल कुछ पुराने खिलाड़ियों को उनकी सेवाओं के बदले एक बड़ी रकम देने की घोषणा करता था। याद नहीं आता कि कांबली उनमें शामिल हैं या नहीं। हैरानी की बात यह भी है कि हमारे ज्यादातर न्यूज चैनल किसी अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट मैच या किसी सीरीज के आगे-पीछे और उसके दौरान अपने पैनल में बिठाने के लिए पूर्व टेस्ट खिलाड़ियों की ताक में रहते हैं। उन्हें वनडे या टी-20 के पूर्व खिलाड़ियों की नहीं बल्कि पूर्व टेस्ट खिलाड़ियों की जरूरत होती है, क्योंकि विशेषज्ञ के तौर पर बिठाने के लिए पूर्व टेस्ट खिलाड़ी ही बेहतर माने जाते हैं, चाहे उन्हें किसी टी-20 मैच पर ही बात क्यों न करनी हो। टीवी चैनल उन्हें अच्छा भुगतान भी करते हैं। फिर भी कई चैनलों को कोई पूर्व टेस्ट खिलाड़ी मिल ही नहीं पाता क्योंकि ऐसे ज्यादातर खिलाड़ी पहले से अनुबंधित हैं। कुछ बरस पहले तक विनोद कांबली भी चैनलों पर इस भूमिका में दिखते थे।
कांबली आखिरी बार वर्ष 2000 में एक वनडे इंटरनेशनल में खेले थे। क्रिकेट से संन्यास लेने के बाद वे कुछ फिल्मों और विज्ञापनों में भी दिखे। तीन साल पहले तक वे कोचिंग दे रहे थे। और अब उनकी यह खबर! कांबली ने कहा है कि अपना परिवार चलाने की जिम्मेदारी उन पर है। यह भी कि ‘सचिन सब जानते हैं, उन्होंने मेरी मदद भी की है, लेकिन मुझे उनसे कोई अपेक्षा नहीं है।’ कोई इस हालत में और कहेगा भी क्या?
कांबली की काबिलियत का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि उन्होंने महज 21 साल की उम्र में ही शुरुआती 7 टेस्ट मैचों में ही 2 दोहरे शतक और 2 शतक जमा दिए थे।
कांबली ने वर्ष 1989 में रणजी ट्रॉफी में डेब्यू किया था। उन्होंने रणजी ट्रॉफी की अपनी पहली ही गेंद पर छक्का मारकर शुरुआत की थी। सचिन तेंदुलकर ने 1988 में रणजी ट्रॉफी डेब्यू किया था।
विनोद कांबली ने अपना पहला टेस्ट मैच 1993 में इंग्लैंड के खिलाफ कोलकाता में खेला था। सचिन को साल 1989 में पाकिस्तान के खिलाफ टेस्ट डेब्यू का मौका मिला था।
विनोद कांबली टेस्ट क्रिकेट में तीसरे सबसे कम उम्र में दोहरा शतक जमाने वाले क्रिकेटर हैं। टेस्ट क्रिकेट में पहला दोहरा शतक जमाते वक्त उनकी उम्र 21 साल और 32 दिन थी।
टेस्ट मैचों में कांबली चौथे सबसे तेज 1 हजार रन बनाने वाले बल्लेबाज हैं। वे केवल 14 पारियों में ही 1 हजार रनों के आंकड़े तक पहुंच गए थे।
आंकड़ों के लिहाज से देखा जाए तो विनोद कांबली एक प्रतिभाशाली बल्लेबाज नजर आते हैं। लेकिन इसके बावजूद उनका टेस्ट करियर केवल दो साल में ही खत्म हो गया। इसके पीछे बड़ी वजह थी उनकी अनुशासनहीनता और रातों-रात मिली स्टारडम को न संभाल पाना।
कांबली का क्रिकेट करियर
वनडे टेस्ट
मैच- 104 मैच- 17
रन- 2 हजार 477 रन- 1 हजार 84
सर्वोच्च स्कोर – 106 सर्वोच्च स्कोर – 227
शतक- 2 दोहरे शतक- 2
अर्धशतक- 14 अर्धशतक- 2
औसत- 32 .59 औसत- 54 .20