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भारत को दोहराना होगा चार दशक पुराना इतिहास , दूसरा टेस्ट सीरीज का महत्वपूर्ण टेस्ट

भारतीय टेस्ट क्रिकेट इतिहास में सबसे कम स्कोर पर आउट होने का अनचाहा रिकॉर्ड भले विराट कोहली की टीम के नाम हो  गया हो, लेकिन पितृत्व अवकाश पर घर लौट रहे भारतीय कप्तान को पूरा विश्वास है कि  भारतीय टीम दूसरे टेस्ट मैच में  उनकी गैरमौजूदगी में वापसी करेगी। विराट यूं ही नहीं बोल रहे हैं टीम इंडिया ऑस्ट्रेलियाई धरती पर 1980-81 में वापसी का कारनामा दिखा चुकी है।

वर्ष 1980-81 में सुनील गावस्कर की कप्तानी में कपिल देव ने अपनी गेंदबाजी से पहला टेस्ट हारने के बाद टीम इंडिया को श्रृंखला में वापसी करा 1-1 की बराबरी कराई थी, जबकि 2003–04 में भारत की 1-0 की बढ़त के बाद श्रृंखला 1-1 की बराबरी पर छूटी थी।

ऑस्ट्रेलियाई धरती पर टीम इंडिया का रिकार्ड कोई खासा अच्छा नहीं है। 2018-19 की श्रृंखला को छोड़ भारत आज तक इस देश में कभी टेस्ट श्रृंखला नहीं जीत पाया है। 1980 और 2003 के अलावा सिर्फ 1977-78 की टेस्ट श्रृंखला में 0-2 से पिछडने के बाद भारत ने अगले दो टेस्ट जीतकर 2-2 की बराबरी की, लेकिन पांचवें और अंतिम टेस्ट में भारत हारकर श्रृंखला 2-3 से गंवा बैठा। उस दौरान टीम के कप्तान बिशन सिंह बेदी थे और कैरी पैकर प्रकरण से जूझ रही कमजोर ऑस्ट्रेलियाई टीम की कप्तानी बूढ़े बॉबी सिंपसन को सौंपी गई थी। बावजूद इसके भारत के हिस्से में हार आई थी।

भारत ने ऑस्ट्रेलियाई धरती पर 12 टेस्ट श्रृंखलाए खेली हैं। इनमें से तीन बराबरी पर छूटी हैं, एक में जीत मिली है और आठ में उसके हिस्से में हार आई है। कपिल देव की कप्तानी में 1985-86 में भारत ने एलन बॉर्डर की टीम को 0-0 की बराबरी पर रोका था। एडिलेड में 36 रन पर आउट होने से पहले सबसे कम टेस्ट स्कोर का रिकॉर्ड 1974 में इंग्लैंड  में  टेस्ट में बना था। जहां भारत ज्योफ आर्नोल्ड और क्रिस ओल्ड की गेंदबाजी के बाद 42 पर सिमट गया था।

इस टीम के सदस्य मदन लाल मानते हैं कि आगे श्रृंखला में गुलाबी की जगह लाल गेंद प्रयोग होगी। इस गेंद का गुलाबी गेंद जैसा व्यवहार नहीं होगा। गुलाबी गेंद में लाल के मुकाबले ज्यादा उछाल रहता है और स्विंग भी ज्यादा करती है। रही बात आगे की तो 36 रन पर आउट होने के बाद  सब कुछ खत्म नहीं हो गया है। विराट कोहली को पहले टेस्ट के बाद जाना है यह पूरी टीम को पहले से मालूम है। क्रिकेट ऐसा खेल नहीं है कि एक बल्लेबाजी से टीम चलेगी या फिर एक गेंदबाज पर सारा भार होगा। सभी को अपनी जिम्मेदारी समझते हुए  अच्छा करना होगा।

मदन लाल का मानना है कि अब यह जरूर है कि ऑस्ट्रेलिया  1-0 से श्रृंखला में आगे है। अब आगे आने वाले तीन टेस्ट मैचों में विकेट अलग मिलेगा और उसका मिजाज भी अलग होगा। जाहिर है कंगारू जैसे खेलते हैं वे दूसरे टेस्ट में भी टीम इंडिया को चारो खाने चित करने की कोशिश करेंगे और बढ़त को मजबूत करना चाहेंगे। लेकिन उन्हें लगता है कि दूसरा टेस्ट मैच श्रृंखला का सबसे महत्वपूर्ण टेस्ट मैच होने जा रहा है और टीम इंडिया जरूर इसमें वापसी करेगी।

एडिलेड टेस्ट में निराशाजनक प्रदर्शन करने और मोहम्मद शमी के चोटिल होने की वजह से बॉक्सिंग डे टेस्ट में टीम इंडिया में भारी बदलाव देखने को मिल सकते हैं। 26 दिसंबर से शुरू होने वाले दूसरे टेस्ट मैच में अनुभवी विकेटकीपर-बल्लेबाज रिद्धिमान साहा और युवा सलामी बल्लेबाज पृथ्वी शॉ को अंतिम एकादस में जगह मिलने की संभावना कम है।

अनुभवी रोहित शर्मा तीसरे टेस्ट से पहले टीम से नहीं जुड़ सकेंगे ऐसे में अभ्यास मैचों में शानदार बल्लेबाजी करने वाले शुभमन गिल को सलामी बल्लेबाज के तौर पर मौका मिल सकता है। पितृत्व अवकाश पर गए कप्तान विराट कोहली की जगह लोकेश राहुल को जगह मिलना तय है जबकि चोट के कारण श्रृंखला से बाहर हुए मोहम्मद शमी की जगह मोहम्मद सिराज का दावा मजबूत है।

पहले टेस्ट की दोनों पारियों में नाकाम रहने वाले साहा टीम प्रबंधन का विश्वास जीतने में नाकाम रहे हैं ऐसे में पंत को मौका मिलना तय है। पंत ने अभ्यास मैच में शतक लगाया था। उन्होंने ऑस्ट्रेलिया के पिछले दौरे (2018) पर भी एक शतकीय पारी खेली थी।

करियर के आखिरी पड़ाव पर चल रहे 36 साल के साहा की जगह टीम प्रबंधन अगले तीनों मैचों में पंत को आजमा सकता है। पंत का प्रदर्शन ऑस्ट्रेलिया में अगर अच्छा रहा तो उन्हें इंग्लैंड के खिलाफ घरेलू टेस्ट श्रृंखला में भी मौका मिलना तय है। साहा का बल्ला ऑस्ट्रेलिया, इंग्लैंड, न्यूजीलैंड और दक्षिण अफ्रीका में खामोश ही रहा है। इन देशों में उनके नाम एक भी अर्धशतक नहीं है।

पूर्व चयनकर्ता एमएसके प्रसाद ने कहा कि उनके कार्यकाल के दौरान साहा और पंत को लेकर योजना थी। उन्होंने कहा, ‘हमारी योजना स्पष्ट थी कि इंग्लैंड और ऑस्ट्रेलिया जैसे देशों में पंत विकेटकीपिंग के लिए पहली पसंद थे जबकि भारत में जहां छठे क्रम के बाद ज्यादा बल्लेबाजी की जरूरत नहीं होती वहां आप  विकेटकीपर को टीम में रख सकते हैं।’

उन्होंने कहा, ‘मेरा मानना है कि पंत ने पिछले कुछ महीनों में अपनी फिटनेस में सुधार किया है और गुलाबी गेंद के अभ्यास के दौरान अच्छे लय में दिखे। ऐसे में अगले तीन टेस्ट में अगर उन्हें मौका मिलता है तो मैं टीम प्रबंधन का समर्थन करूंगा।’

जहां तक शॉ की बात है तो 21 साल के मुंबई के इस बल्लेबाज के तकनीक, खेल को लेकर स्वभाव और समग्र रवैये से भारतीय क्रिकेट गलियारों में कुछ गंभीर सवाल खड़े हो गए हैं। बल्लेबाजी में उनकी तकनीक में खामियों के साथ उनका क्षेत्ररक्षण भी अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट के स्तर का नहीं है। आईपीएल के समय से ही उनके क्षेत्ररक्षण को लेकर सवाल उठ रहे हैं। आउटफील्ड में धीमे होने के साथ उन्होंने मार्नस लाबुशेन का आसान कैच भी टपका दिया जिससे टीम के ऊपर 30 रन का अतिरिक्त बोझ पड़ा।

कोहली की गैरमौजूदगी में भारतीय टीम हनुमा विहारी को पांचवें क्रम पर बल्लेबाजी के लिए उतार सकती है जिसका प्रसाद ने समर्थन किया। विहारी की बल्लेबाजी को करीब से देखने वाले प्रसाद ने कहा, ‘विहारी के पास टेस्ट के लिए बहुत अच्छी तकनीक और सोच है। वह इस टेस्ट टीम में लंबे समय तक रह सकते हैं। विराट की अनुपस्थिति, उनके और लोकेश (राहुल) के लिए शानदार मौका होगा।’

उन्होंने कहा, ‘मैं अगले कुछ टेस्ट मैचों में विहारी को चौथे या पांचवें क्रम पर बल्लेबाजी करते देखना पसंद करूंगा। वह एक निडर लड़का है और मुझे भरोसा है कि वह अच्छा करेगा। राहुल इस श्रृंखला में छठे नंबर पर बेहतर बल्लेबाज हो सकता है।’

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