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भारत को विदेशी कोच की जरूरत?

 

क्रिकेट के सभी फार्मेट में विदेशी कोचों ने भारत को 5 में से 3 आईसीसी ट्राफी जिताई हैं। बावजूद इसके 2013 के बाद बीसीसीआई ने स्वदेशी अनिल कुंबले, रवि शास्त्री और वर्तमान में राहुल द्रविड़ टीम के कोच हैं, लेकिन अभी तक इनके नेतृत्व में किसी भी आईसीसी टूर्नामेंट में सफलता नहीं मिल सकी। ऐसे में सवाल उठने लगे हैं कि क्या भारतीय टीम को फिर से विदेशी कोच की जरूरत है?

भारतीय पुरुष क्रिकेट टीम एक ओर तीसरी बार एक दिवसीय विश्व कप जीतने के सपने के साथ आठ अक्टूबर को इस टूर्नामेंट में अपने अभियान की शुरुआत करेगी वहीं दूसरी तरफ हाल में वेस्टइंडीज के साथ पांच मैचों की टी-20 सीसरीज के पांचवें और आखिरी निर्णायक मुकाबले में उसे आठ विकेट से हार झेलनी पड़ी है। इस जीत के साथ ही वेस्टइंडीज ने इस सीरीज पर 3-2 से कब्जा जमा लिया है। इस फार्मेट के इतिहास में ऐसा पहली बार हुआ है, जब भारत 5 मैचों की बाइलेटरल सीरीज में किसी टीम से हारा है। वेस्टइंडीज के खिलाफ लगातार 15 बाइलेटरल सीरीज जीतने के बाद भारतीय टीम हारी है। क्रिकेट के सभी फार्मेट में वेस्टइंडीज ने आखिरी बार भारत को 2016 में द्विपक्षीय सीरीज में हराया था। दरअसल विदेशी कोचों ने भारत को 5 में से 3 आईसीसी ट्राफी जिताई हैं। 2013 के बाद बीसीसीआई ने अनिल कुंबले, रवि शास्त्री और वर्तमान में राहुल द्रविड़ के नेतृत्व में अभी तक आईसीसी टूर्नामेंट में सफलता नहीं मिल पाई है। ऐसे में सवाल उठने लगे हैं कि क्या भारतीय टीम को फिर से विदेशी कोच की जरूरत है?

यह सवाल भारतीय थिंक टैंक को एक बार फिर परेशान करने लगा है, क्योंकि भारत ने टी-20 इतिहास में पहली बार 5 मैचों की बाइलेटरल सीरीज गंवा दी है। खेल विशेषज्ञों का कहना है कि वनडे वर्ल्ड कप से पहले यह सवाल उठना लाजमी भी है। वेस्टंडीज से मिली इस करारी हार के बाद इस सवाल का जवाब तलाशने की कोशिश करें तो वर्ष 2000 के बाद टीम इंडिया के भारतीय और विदेशी कोचों के रिकार्डस खगांलने होंगे। बीते 20 सालों में भारत ने वेस्टइंडीज के खिलाफ 5 मैचों की 2 सीरीज ही गंवाई हैं। पहली 2006 और दूसरी 2023 में। 17 साल पहले की भारतीय टीम की कप्तानी राहुल द्रविड कर रहे थे, जबकि 2023 में वे कोच की भूमिका में हैं। तीन महीने पहले भारतीय टीम को 7-11 जून के बीच ‘द ओवल स्टेडियम’ में वर्ल्ड टेस्ट चैंपियनशिप फाइनल में ऑस्ट्रेलिया के हाथों 209 रनों की करारी हार मिली थी। भारतीय टीम पिछले दस साल में एक भी आईसीसी ट्रॉफी नहीं जीत पाई है। आखिरी बार टीम इंडिया ने 2013 में चैंपियंस ट्रॉफी में जीत दर्ज की थी। दूसरी ओर ऑस्ट्रेलिया ने 10 सालों में तीनों फार्मेट के वर्ल्ड टाइटल जीत लिए हैं।

गौरतलब है कि वर्ष 1971 में वनडे क्रिकेट की शुरुआत हुई। तब भारतीय पुरुष क्रिकेट टीम के साथ कोच होने की परंपरा नहीं थी। तब एक मैनेजर टीम के साथ होता था। केकी तारापुर भारत के पहले मैनेजर थे। 1975 का वनडे वर्ल्ड कप भारत गुलाब राय रामचंद्र की मैनेजरशिप में खेला। 1979 में कोई मैनेजर नहीं था। दोनों ही बार श्रीनिवास वेंकटराघवन टीम इंडिया के कप्तान थे। 1983 में कपिल देव की कप्तानी में भारत ने वर्ल्ड कप जीता, तब पीआर मान सिंह मैनेजर थे। दोनों ही 1987 वर्ल्ड कप में भी टीम को लीड कर रहे थे। टीम इंडिया ने 1992 और 1996 का वर्ल्ड कप अजीत वाडेकर की देखरेख में खेला। वाडेकर के बाद संदीप पाटिल टीम के साथ जुड़े और तब से कोच शब्द प्रचलन में आने लगा। 1999 वर्ल्ड कप में कपिल देव भारतीय टीम के मैनेजर और कोच दोनों थे।

पहली बार वर्ष 2000 में न्यूजीलैंड के जॉन राइट को हेड कोच बनाया गया, जो टीम इंडिया के पहले विदेशी कोच थे। उनकी कोचिंग में टीम चैंपियंस ट्रॉफी की रनर-अप रही और 2002 की चैंपियंस ट्रॉफी जीती। हालांकि तब भारत श्रीलंका के साथ संयुक्त विजेता रहा था। 2003 में टीम इंडिया ने 20 साल बाद वनडे वर्ल्ड कप फाइनल खेला और रनर-अप रहे। 2004 की चैंपियंस ट्रॉफी के फाइनल में नहीं पहुंच सके। राइट के बाद ऑस्ट्रेलिया के ग्रेग चैपल को कोच बनाया गया। उन्होंने टीम में बहुत बदलाव किए और टीम 2007 वनडे वर्ल्ड कप के ग्रुप स्टेज में ही बाहर हो गई। 2006 के दौरान भारत में हुई चैंपियंस ट्रॉफी भी भारत जीत नहीं पाया।

गैरी कर्स्टन ने जिताया वनडे वर्ल्ड कप

2007 टी-20 वर्ल्ड कप जीतने के दौरान लालचंद राजपूत टीम के कोच रहे, लेकिन फुल टाइम कोच नहीं बन सके। चैपल के बाद साउथ अफ्रीका के गैरी कर्स्टन को कोच बनाया गया। उनकी कोचिंग में भारत 2009 की चैंपियंस ट्रॉफी के साथ 2009 और 2010 का टी-20 वर्ल्ड कप नहीं जीता, लेकिन 2011 में 28 साल बाद वनडे वर्ल्ड कप जीता। 2011 में कर्स्टन का कोचिंग पीरियड खत्म हुआ। 2015 तक जिम्बाब्वे के डंकन फ्लेचर टीम इंडिया के हेड कोच रहे। उनकी कोचिंग के दौरान टीम 2012 टी-20 वर्ल्ड कप के ग्रुप स्टेज में बाहर हो गई, लेकिन 2013 की चैंपियंस ट्रॉफी जीती। इसके बाद 2014 के टी-20 वर्ल्ड कप में रनर-अप रही। हालांकि 2015 के वनडे वर्ल्ड कप के सेमीफाइनल में ऑस्ट्रेलिया से हारकर बाहर हो गई।

रवि शास्त्री से शुरू हुए भारतीय कोच

वर्ष 2015 वर्ल्ड कप के बाद 2016 तक रवि शास्त्री को भारतीय टीम की जिम्मेदारी मिली। तब उनके पद का नाम कोच की जगह टीम डायरेक्टर रखा गया। शास्त्री के साथ टीम इंडिया 2016 के टी-20 वर्ल्ड कप सेमीफाइनल तक पहुंची। 2017 की चैंपियंस ट्रॉफी के दौरान अनिल कुंबले भारत के हेड कोच थे, तब भारत को पाकिस्तान से फाइनल में हार का सामना करना पड़ा था। 2018 में रवि शास्त्री की वापसी हुई। इस बार वे हेड कोच के तौर पर टीम से जुड़े। तब टीम ने ऑस्ट्रेलिया में 2 बार टेस्ट सीरीज जीती। साउथ अफ्रीका में 2 टेस्ट जीते और इंग्लैंड में टेस्ट सीरीज 2-2 से ड्रॉ कराई। लेकिन 2019 के वर्ल्ड कप सेमीफाइनल में न्यूजीलैंड से हार गई। टीम ने 2021 में वर्ल्ड टेस्ट चैम्पियनशिप का फाइनल खेला, मगर फिर से न्यूजीलैंड से हारकर ट्रॉफी नहीं जीत पाई। 2021 के टी-20 वर्ल्ड कप में तो टीम ग्रुप स्टेज भी पार नहीं कर सकी।

द्रविड़ की कोचिंग में दूसरा आईसीसी टूर्नामेंट हारे

साल 2022 में राहुल द्रविड़ को कोच बनाया गया, उन्हें रोहित शर्मा के रूप में नए कप्तान का साथ मिला। दोनों की लीडरशिप में टीम एशिया कप फाइनल में नहीं पहुंच सकी। टीम 2022 के टी-20 वर्ल्ड कप सेमीफाइनल में भी इंग्लैंड के खिलाफ 10 विकेट से हारकर बाहर हो गई। अब जून 2023 में ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ वर्ल्ड टेस्ट चैम्पियनशिप का फाइनल मुकाबला भी हार गए।

ऑस्ट्रेलियन कोचों का दबदबा

2013 के बाद से आईसीसी ने 9 टूर्नामेंट आयोजित कराए। टीम इंडिया इनमें से एक भी नहीं जीत सकी, वहीं ऑस्ट्रेलिया ने सबसे ज्यादा 3 खिताब जीते। तीनों बार हेड कोच उन्हीं के देश के रहे, इसके अलावा भी 3 बार ऑस्ट्रेलियन कोच के साथ ही दूसरी टीमों ने ट्रॉफी जीती। 2019 और 2022 में इंग्लैंड ने टी-20 और वनडे वर्ल्ड कप तो वहीं 2017 में पाकिस्तान ने चैंपियंस ट्रॉफी ऑस्ट्रेलियन कोच के साथ जीती। 2016 में वेस्टइंडीज ने अपने ही देश के फिल सिमंस की कोचिंग में टी-20 वर्ल्ड कप जीता, वहीं 2021 में न्यूजीलैंड ने भी अपने ही देश के गैरी स्टेड की कोचिंग में वर्ल्ड टेस्ट चैम्पियनशिप जीती। 2014 में श्रीलंका ने इंग्लिश हेड कोच के साथ टी-20 वर्ल्ड कप जीता था। यानी पिछले 10 सालों में विदेशी और स्वदेशी दोनों कोच आईसीसी टूर्नामेंट में सफल रहे, लेकिन ऑस्ट्रेलियाई कोच कुछ ज्यादा ही सफल रहे।

भारत के सामने वनडे वर्ल्ड कप की चुनौती

इसी साल अक्टूबर-नवंबर के दौरान भारत में वनडे वर्ल्ड कप खेला जाएगा। उससे पहले 50 ओवर का एशिया कप भी होगा। खेल विश्लेषकों का मानना है कि भारत को एक अंडर-19 वर्ल्ड कप जिताने और 2 बार रनर-अप बनाने वाले कोच राहुल द्रविड़ अगर इनमें भी फेल रहे तो टीम इंडिया को विदेशी कोच अपॉइंट करने पर विचार जरूर करना चाहिए, क्योंकि टीम इंडिया ने 5 में से 3 आईसीसी ट्रॉफी विदेशी हेड कोच की मौजूदगी में ही जीती है।

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