उत्तराखण्ड को खेलों में राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर कई प्रतिभाएं पहचान दिला चुकी हैं और कई कतार में हैं। ऐसे में अब प्रदेश में खेले जा रहे राष्ट्रीय खेलों को लेकर उम्मीद लगाई जा रही है कि यह आयोजन न केवल खिलाड़ियों के लिए, बल्कि राज्य के लिए भी अहम है। खेल विश्लेषकों का कहना है कि उत्तराखण्ड के लिए न सिर्फ यह एक ऐतिहासिक अवसर है, बल्कि राज्य के 25वें वर्ष में होने वाले खेलों के क्षेत्र में अपनी पहचान स्थापित करने की भी परीक्षा है। वहीं इन खेलों में भाग लेने वाले खिलाड़ियों के लिए यह आयोजन उनके करियर का एक महत्वपूर्ण मोड़ साबित होगा। वे अपनी मेहनत और प्रतिभा से इस महाकुम्भ में नई ऊंचाइयों तक पहुंचने की कोशिश करेंगे
खेलों का महाकुम्भ यानी 38वें राष्ट्रीय खेलों का आगाज हो गया है। इसका भव्य उद्घाटन खुद पीएम मोदी ने कर देशभर के खिलाड़ियों के लिए एक बड़ा मंच तैयार करने की कोशिश की है तो वहीं ये पहला अवसर है जब उत्तराखण्ड राष्ट्रीय खेलों की मेजबानी कर रहा है जिससे राज्य में खेलों को एक नया आयाम मिलने की उम्मीद है। यह आयोजन 26 जनवरी से 14 फरवरी तक चलेगा। राज्य के 8 जिलों के 11 शहरों
देहरादून, ऋषिकेश, टिहरी, ऊधमसिंह नगर, हल्द्वानी, हरिद्वार, नई टिहरी, नैनीताल, अल्मोड़ा, पिथौरागढ़ व चम्पावत में खेल प्रतियोगिताओं का आयोजन किया जाएगा। कुल 35 खेल स्पर्धाओं में 28 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के लगभग 12 हजार खिलाड़ी 3 हजार 674 पदकों के लिए प्रदर्शन करेंगे। खास बात यह कि सबसे बड़ी टीम मेजबान उत्तराखण्ड की होगी जिसमें 1 हजार से ज्यादा खिलाड़ी भाग लेंगे। ऐसे में उम्मीद की जा रही है कि यह आयोजन न केवल खिलाड़ियों के लिए एक बड़ा अवसर है, बल्कि राज्य के लिए भी अपनी पहचान स्थापित करने हेतु अहम है।
खेल विश्लेषकों का कहना है कि राष्ट्रीय खेलों का आयोजन भारतीय खेलों के इतिहास में एक महत्वपूर्ण स्थान रखता है। यह आयोजन खिलाड़ी की क्षमता को मंच के साथ देश के विभिन्न हिस्सों के बीच सांस्कृतिक एकता और समृद्धि को भी बढ़ावा देता है। इस राष्ट्रीय खेल के माध्यम से न केवल खिलाड़ी अपनी प्रतिभा को प्रदर्शित करेंगे, बल्कि यह आयोजन भारत की खेल संस्कृति और उसकी समृद्ध परंपरा को भी दुनिया भर में फैलाने का काम करेगा वहीं 38वें राष्ट्रीय खेलों का आयोजन उत्तराखण्ड के लिए न सिर्फ एक ऐतिहासिक अवसर है, बल्कि राज्य के 25वें वर्ष में होने वाले खेलों के क्षेत्र में अपनी पहचान स्थापित करने की ओर एक बड़ा कदम साबित हो सकता है। इन खेलों में भाग लेने वाले खिलाड़ियों के लिए यह आयोजन उनके करियर का एक महत्वपूर्ण मोड़ साबित होगा और वे अपनी मेहनत और प्रतिभा से इस महाकुंभ में नई ऊंचाइयों तक पहुंचने की कोशिश करेंगे।
गौरतलब है कि उत्तराखण्ड को खेलों में राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर कई प्रतिभाएं पहचान दिला चुकी हैं और कई कतार में हैं। प्रदेश में 38वें राष्ट्रीय खेलों को लेकर एक दशक से भी ज्यादा समय से जो तैयारियां अधूरी थी, वे अब जाकर पूरी हो गई हैं। राष्ट्रीय खेलों का आवंटन राज्य को वर्ष 2014 में हुआ था। इसके अनुसार वर्ष 2018 में खेलों का आयोजन होना प्रस्तावित था। खेलों के लिए अवस्थापना विकास के काम होने थे, इसके लिए केंद्र सरकार से पहली किस्त के रूप में 500 करोड़ रुपए की मांग की गई थी, लेकिन तब केंद्र सरकार से इसके लिए आर्थिक सहायता न मिलने एवं अवस्थापना विकास संबंधी काम न होने सहित कई वजहों से राज्य में राष्ट्रीय खेलों का आयोजन टलता रहा। जहां तक प्रदेश में पहली बार नेशनल गेम्स कराने की बात करें तो सबसे पहले अगर किसी ने सोचा तो वो हैं पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत। रावत के कार्यकाल में राष्ट्रीय खेलों के आयोजन के लिए देहरादून से लेकर हल्द्वानी, टिहरी तक इंफ्रास्टचर खड़ा किया गया। हल्द्वानी ने अंतरराष्टीय स्तर का स्टेडियम बनाया गया तो टिहरी झील में 200 करोड़ खर्च कर वाटर स्पोर्ट्स की तैयारी की गई। जिसके तहत ही एक पानी पर तैरता हुआ फाइव स्टार होटल भी बना। पिथौरागढ़ और टिहरी में स्पोर्ट्स कॉलेज भी बनाए गए। तत्कालीन कांग्रेस सरकार ने राष्ट्रीय खेलों का आयोजन कराने की योजना 2014 में ही कर दी थी। लेकिन तब आधी अधूरी तैयारी के चलते खेल टाल दिए गए थे। कांग्रेस ने 2017 के विधानसभा चुनावों में इसको अपने वायदों में भी शामिल किया था। हरीश रावत ने 2017 के चुनावों में कहा था कि अगर उनकी सरकार फिर से सत्ता में आती है तो 2018 में उत्तराखण्ड में नेशनल गेम्स आयोजित करा दिए जाएंगे। लेकिन कांग्रेस की सरकार तो आई नहीं और सत्ता में आई त्रिवेंद्र सिंह रावत सरकार ने इस तरफ कोई खास ध्यान नहीं दिया। इसके बाद पुष्कर सिंह धामी मुख्यमंत्री बने तो उन्होंने राज्य में राष्ट्रीय खेल कराने की योजना पर काम किया। उसी का परिणाम है कि आखिरकार 38वें राष्ट्रीय खेलों का रंगा- रंग कार्यक्रम प्रदेश में जोर – शोर से चल रहा है।
नए खेलों की हुई शुरुआत
राष्ट्रीय खेलों में योग व मलखंब को पहले प्रदर्शन खेल के रूप में शामिल किया गया था, लेकिन 38वें राष्ट्रीय खेलों में इसे पदक खेल के रूप में शामिल किया गया है। उत्तराखण्ड से पदक के स्तर पर इन नए खेलों की एंट्री हुई है।
ये प्रदेश कर रहे प्रतिभाग
उत्तराखण्ड में आयोजित राष्ट्रीय खेलों में आंध्र प्रदेश करीब 19 स्पर्धाओं और अंडमान पांच खेलों में प्रतिभाग कर रहा है। इसके अलावा असम, बिहार, चंडीगढ़, दिल्ली, गोवा, गुजरात, हरियाणा, झारखंड, कर्नाटक, केरल, लद्धाख, महाराष्ट्र, मणिपुर, उड़ीसा, पुड्डूचेरी, पंजाब,
राजस्थान आदि प्रदेश प्रतिभाग कर रहे हैं।
इन राज्यों के इतने खिलाड़ी कर रहे प्रतिभाग
राष्ट्रीय खेलों में आंध्र प्रदेश से 294, अंडमान व निकोबार से 28, अरुणाचल प्रदेश से 43, असम 301, बिहार 196, चंडीगढ़ से 205, छत्तीसगढ़ से 294, दादर एवं नागर हवेली से 13, दिल्ली से 633, गोवा से 172, गुजरात से 354, हरियाणा से 207, जम्मू-कश्मीर से 47, झारखंड से 201, कर्नाटक से 681, केरल से 596, मध्य प्रदेश से 472, महाराष्ट्र से 822, मणिपुर से 387, मेघालय से 53, मिजोरम से 74, नागालैण्ड से 10, उड़ीसा से 423, पुड्डुचेरी से 56, पंजाब 479, राजस्थान 511, सिक्किम 33, तमिलनाडु 624, त्रिपुरा 20, उत्तर प्रदेश 393, पश्चिम बंगाल 411, तेलंगाना 282, लद्धाख सात, उत्तराखण्ड 1016 और सर्विसेज स्पोर्ट्स कंट्रोल बोर्ड से 437 खिलाड़ी अपनी क्षमता का प्रदर्शन करेंगे, वहीं एथलेटिक्स में सबसे अधिक 700 खिलाड़ी हिस्सा लेंगे।
उत्तराखण्ड में ही होंगी सभी स्पर्धाएं
38 वें राष्ट्रीय खेलों में सभी स्पर्धाएं उत्तराखण्ड में होंगी। जबकि इससे पहले गोवा में हुए 37वें राष्ट्रीय खेलों में कुछ प्रतियोगिताएं दिल्ली में भी हुई थीं।
विश्व स्तर के खेल उपकरणों का होगा इस्तेमाल
राष्ट्रीय खेलों में विश्व स्तर के खेल उपकरण इस्तेमाल किए जाएंगे। खेल मंत्री रेखा आर्या ने एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा कि हर खेल में उन देशों से उपकरण मंगाए गए हैं जिनकी मानक विश्व स्तरीय स्तर पर बेहतर माने जाते हैं। सभी खेल आयोजनों पर उपकरण पहुंच गए हैं और उन्हें इंस्टॉल किया जा रहा है। राष्ट्रीय खेलों के सभी इवेंट्स प्रदेश में ही करने के लिए हमने कई खेल अवस्थापनाएं तैयार की हैं। हमारे यहां जिन खेलों को कराने की सुविधा नहीं थी, हमने समय रहते उन खेल विधाओं के लिए विश्व स्तर के खेल मैदान और साइकलिंग वैलोड्रोम जैसी सुविधाएं विकसित की हैं।
बकौल रेखा आर्या हमने विशेषज्ञों की सलाह से उन देशों से खेल उपकरण मंगाने का फैसला किया था जिनके उपकरणों को ओलंपिक लेवल के खेलों में प्रयोग किया जाता है। फ्रांस, स्वीडन, ऑस्ट्रेलिया, जर्मनी, स्पेन, जापान, अमेरिका, नीदरलैंड, स्वीटजरलैंड, इंग्लैंड, स्लोवाकिया, पुर्तगाल जैसे देशों से उपकरण मंगाए गए हैं। ये खेल उपकरण सिर्फ नेशनल गेम्स में ही काम नहीं आएंगे, बल्कि बाद में इन पर अभ्यास करके हमें प्रदेश से इंटरनेशनल खिलाड़ी भी तैयार करने हैं इसलिए हमने क्वालिटी के मामले में कोई समझौता नहीं किया है।
करोड़ों की लागत से बिछाई थी लेयर
महाराणा प्रताप स्पोर्ट्स कॉलेज में एथलेटिक्स की कई प्रतियोगिताएं होनी हैं। इसके लिए वर्ष 2022 में करीब दो करोड़ से अधिक की लागत से एथलेटिक ट्रैक में सिथेंटिक लेयर बिछाई गई थी, लेकिन जीटीसीसी ने इसे उपयोगी नहीं पाया। इस पर फिर से काम चलाना पड़ा। विभागीय अधिकारियों के मुताबिक ऊधमसिंह नगर, अल्मोड़ा, पिथौरागढ़, टनकपुर, नैनीताल, हल्द्वानी, टिहरी और ऋषिकेश सहित विभिन्न स्थानों पर जहां खेल प्रस्तावित हैं उनमें भी काम पूरा हो चुका है।
जब उत्तराखण्ड से छिन गई थी मेजबानी
उत्तराखण्ड से समय-समय पर इस प्रकार के बड़े आयोजनों की मेजबानी छिनती रही है। इससे पूर्व 2018 और 2021 में जहां उत्तराखण्ड से राष्ट्रीय खेलों की मेजबानी छिन गई थी तो औली में होने वाले शीतकालीन खेलों को भी संसाधनों की कमी के कारण जम्मू-कश्मीर में आयोजित किया गया था। जबकि 2023 में हुए 37वें राष्ट्रीय खेलों के दौरान गोवा में उत्तराखण्ड को 38वें राष्ट्रीय खेलों की मेजबानी के लिए भारतीय ओलंपिक संघ की हरी झंडी मिलने के बाद प्रदेश के मुख्य सचिव की अध्यक्षता में एक कमेटी का गठन किया गया था। इसके बाद से ही उम्मीद जताई जा रही थी कि 2024 में मार्च-अप्रैल में खेलों का आयोजन होगा। लेकिन तब यह कहकर खेल टाल दिए गए कि इस दौरान लोकसभा चुनाव होने हैं जिसके चलते यह आयोजन आगे बढ़ा दिया गया और अब जाकर प्रदेश में यह आयोजन आयोजित हो रहा है।
गौरतलब है कि सबसे पहले राष्ट्रीय खेल वर्ष 1924 में अविभाजित भारत के लाहौर में आयोजित किए गए थे। उस समय 1938 तक इसे भारतीय ओलंपिक खेल के रूप में जाना जाता था। राष्ट्रीय खेलों का पिछला संस्करण 2023 में गोवा में आयोजित किया गया था और महाराष्ट्र 80 स्वर्ण, 69 रजत और 79 कांस्य सहित 228 पदकों के साथ शीर्ष पर रहा था। अब 38वें राष्ट्रीय खेल 2025 ओलंपिक- स्टाइल मल्टी- स्पोर्ट इवेंट, आधिकारिक तौर पर 26 जनवरी से देहरादून के राजीव गांधी अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट स्टेडियम में एक उद्घाटन समारोह के साथ शुरू हो गया है और 13 फरवरी को समाप्त होगा और उसके एक दिन बाद समापन समारोह होगा।
पहचान स्थापित करने की परीक्षा
