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आईसीसी का ऐतिहासिक फैसला

कोई भी देश क्यों न हो महिला खिलाड़ियों को उस हिसाब से मैच फीस, पुरस्कार और खेल सुविधाएं नहीं दी जाती हैं जो उसी खेल के पुरुष खिलाड़ियों को मिलती है। वैश्विक पटल पर महिला खिलाड़ी इस मुद्दे पर खुलकर बात रखने लगी हैं। ऐसे में अब अगले महीने तीन अक्टूबर से होने वाले महिला टी-20 विश्वकप से पहले अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट काउंसिल ने पुरुष और महिला खिलाड़ियों को विश्वकप में एक समान इनामी राशि देने का ऐतिहासिक फैसला लिया है। खेल विश्लेषक और पूर्व दिग्गज खिलाड़ियों का कहना है कि आईसीसी का यह फैसला न सिर्फ ऐतिहासिक है, बल्कि क्रिकेट के लिए मील का पत्थर साबित होगा

खेलों में महिला खिलाड़ियों के साथ भेदभाव वर्षों से चला आ रहा है। कोई भी देश क्यों न हो वहां महिला खिलाड़ियों को उस हिसाब से मैच फीस, पुरस्कार और खेल सुविधाएं नहीं दी जाती हैं जो उसी खेल के पुरुष खिलाड़ियों को मिलती है। ऐसे में अगले महीने तीन अक्टूबर से होने वाले महिला टी-20 विश्वकप से पहले अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट काउंसिल ने पुरुष और महिला खिलाड़ियों को विश्वकप में एक समान इनामी राशि देने का ऐतिहासिक फैसला लिया है।

आईसीसी के अनुसार इसकी शुरुआत अगले महीने 3 अक्टूबर से यूएई में होने वाले महिला टी-20 विश्व के साथ हो जाएगी। यूएई में खेले जाने वाले टी-20 महिला विश्वकप विजेता टीम को 2.34 मिलियन अमेरिकी डॉलर मिलेंगे, जो 2023 में दक्षिण अफ्रीका में खिताब जीतने पर ऑस्ट्रेलिया को दिए गए 1 मिलियन अमेरिकी डॉलर से 134 फीसदी अधिक है। हारने वाले दो सेमीफाइनलिस्टों को 6,75,000 अमेरिकी डॉलर यानी 2023 में 2,10,000 अमेरिकी डॉलर से अधिक मिलेंगे, कुल पुरस्कार राशि 79,58,080 अमेरिकी डॉलर होगी, जो पिछले साल की कुल राशि 2.45 मिलियन अमेरिकी डॉलर से 225 प्रतिशत अधिक है।

आईसीसी के बयान के अनुसार यह फैसला जुलाई 2023 में आईसीसी वार्षिक सम्मेलन में लिया गया जब आईसीसी बोर्ड ने अपने 2030 के पूर्व निर्धारित कार्यक्रम से सात साल पहले पुरस्कार राशि समान करने का निर्णय लिया। इस तरह से क्रिकेट पहला प्रमुख खेल बन गया है जिसमें विश्वकप में पुरुषों और महिलाओं के लिए समान पुरस्कार राशि मिलेगी। खेल विश्लेषक और पूर्व दिग्गज खिलाड़ियों का कहना है कि आईसीसी का यह फैसला मील का पत्थर साबित होगा।

असल में आईसीसी के वार्षिक अधिवेशन जुलाई 2023 में यह फैसला लिया गया था। उस वक्त आईसीसी ने लक्ष्य रखा था कि आगामी कुछ सालों में महिला और पुरुष क्रिकेटरों को समान प्राइज मनी मिलेगी। बहरहाल, अब आईसीसी ने अपने लक्ष्य को हासिल कर लिया है। आईसीसी के ऐलान के बाद संयुक्त अरब अमीरात में होने वाले वीमेंस टी-20 विश्वकप में जीतने वाली टीम को 2.34 मिलियन अमेरिकी डॉलर मिलेंगे यानी भारतीय रुपए में यह रकम देखें तो तकरीबन 20 करोड़ रुपए के आसपास है।

खिताब जीतने वाली टीम को अब कितने रुपए मिलेंगे?
महिला टी-20 विश्वकप में विजेता बनने वाली टीम को अब 23 लाख 40 हजार अमेरकी डॉलर मिलेंगे। वहीं उपविजेता टीम को 11 लाख 70 हजार डॉलर की इनामी राशि मिलेगी। सेमीफाइनल में हारने वाली टीमों को 675,000 डॉलर मिलेंगे। ऑस्ट्रेलिया को पिछले साल वुमेन टी-20 विश्वकप जीतने पर 10 लाख डॉलर की पुरस्कार राशि मिली थी। इस तरह से इसमें 134 फीसदी की वृद्धि हुई है। भारतीय पुरुष टीम को इसी साल टी-20 विश्वकप का विजेता बनने पर 24 लाख 50 हजार डॉलर की पुरस्कार राशि मिली थी।

भारत के मुकाबले
अगले महीने 3 अक्टूबर से आईसीसी इवेंट यानी महिला टी-20 विश्वकप का आगाज होने वाला है। भारतीय महिला टीम अपने अभियान की शुरुआत न्यूजीलैंड के खिलाफ 4 अक्टूबर को खेलकर करेगी। इसके बाद भारत का सामना 6 अक्टूबर को अपने चिर प्रतिद्वंदी पाकिस्तान से होगा। 9 अक्टूबर को भारतीय महिला क्रिकेट टीम श्रीलंका से भिड़ेगी। वहीं आखिरी ग्रुप स्टेज मुकाबला टीम इंडिया का 13 अक्टूबर को ऑस्ट्रेलिया से होगा।
गौरतलब है कि खेलों में महिला खिलाड़ियों के साथ भेदभाव वर्षों से चला आ रहा है। कोई भी देश क्यों न हो वहां महिला खिलाड़ियों को उस हिसाब से मैच फीस, पुरस्कार और खेल सुविधाएं नहीं दी जाती हैं जो उसी खेल के पुरुष खिलाड़ियों को मिलती है। स्वाभाविक सी बात है कि खेल सिर्फ खेल होता है इसमें महिला-पुरुष होना मायने नहीं रखता। सवाल है कि फिर महिलाओं को उसी खेल के लिए पुरुषों के समान फीस क्यों नहीं मिलती? ये सवाल वर्षों से पूछा जाता रहा है।

खेल विशेषज्ञों का कहना है कि भारत एक ऐसा देश है जहां पुरुष क्रिकेट को एक धर्म की तरह माना जाता है। बाकी खेलों को क्रिकेट जितना महत्त्व नहीं मिलता। न तो खेल मंत्रालय से और न ही आम लोगों से। महिलाओं के खेल की स्थिति स्कूल और जिला जैसे जमीनी स्तर पर भी यही हाल है। स्थिति तब और ज्यादा खराब हो जाती है जब महिलाओं को न तो खेल में आगे बढ़ने के लिए प्रोत्साहित किया जाता है और न ही उनके लिए खेल आयोजित होते हैं। खेलों में जाने से पहले समाज को सबसे पहले उनके ‘रंग-रूप’ और चेहरा काला हो गया तो शादी कैसे होगी’ की ही चिंता सताती है। इन सबके बावजूद भारत में महिलाएं बेहतरीन प्रदर्शन कर रही हैं। ऐसे में उन सभी महिला खिलाड़ियों का समाज की रूढ़िवादी सोच से आगे जाकर खेल को अपना करियर बनाना मात्र ही उन्हें तारीफ का हकदार बना देता है। क्योंकि समाज में ऐसा करने के लिए नाते- रिश्तेदार, पड़ोसियों तक से तो क्या परिवार से भी लड़ना पड़ता है।

समय-समय पर इसके लिए विरोध भी होता रहा है। अब वैश्विक पटल पर महिला खिलाड़ी इस मुद्दे पर खुलकर बात रखने लगी हैं। इसी के चलते पिछले कुछ समय से आस्ट्रेलिया, आयरलैंड, न्यूजीलैंड और इंग्लैंड जैसे देशों ने उन्हें कुछ खेलों में समान फीस देनी भी शुरू कर दी है तो वहीं बात अगर भारत की करें तो हमारे देश में लैंगिक असमानता की खाई कुछ ज्यादा ही गहरी है। हमारे देश में तो महिलाओं को खेल खेलने के लिए भी लंबा संघर्ष करना पड़ता है। जहां तक भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड की बात करें तो साल 2022 में भारतीय महिलाओं के लिए सबसे बड़ी जीत में से एक थी जब तत्कालीन बीसीसीआई सचिव जय शाह ने महिलाओं के लिए समान वेतन की घोषणा की। कहा गया कि महिला और पुरुष को अब समान वेतन मिलेगा। शाह ने इसे देश में लैंगिक भेदभाव से निपटने की दिशा में एक कदम बताया था। लेकिन अतीत में कई महिला क्रिकेटरों ने वेतन-समता के मुद्दे पर खुल कर बात की। यहां अब भी भेदभाव के आरोप लगते रहे हैं कि पुरुष खिलाड़ियों पर तो करोड़ों रुपए लुटाए जाते हैं, जबकि महिला खिलाड़ियों पर बहुत कम। ऐसे में आईसीसी का यह फैसला न सिर्फ ऐतिहासिक है, बल्कि क्रिकेट के लिए मील का पत्थर भी है।

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