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एशियाई खेलों में ऐतिहासिक प्रदर्शन

एशियाई खेलों के इतिहास में पदकों की ऐतिहासिक सेंचुरी लगाते हुए भारत ने पहली बार 107 पदक जीते हैं। इससे पहले 2018 में सबसे ज्यादा 70 पदक हासिल किए थे। अब भारत ने 28 स्वर्ण पदक अपनी झोली में डाल इतिहास रचने का काम किया है

एशियन गेम्स के 19वें सीजन का बेहतरीन तरीके से समापन हो गया है। 23 सितंबर से 8 अक्टूबर तक पीपुल्स रिपब्लिक ऑफ चाइना के हांगझोऊ में खेले गए एशियन गेम्स 2022 में इस बार 45 देशों के एथलीटों ने हिस्सा लिया, वहीं भारत के 655 एथलीटों ने इसमें प्रतिभाग किया। भारत ने कुल 107 मेडल अपने नाम करने के साथ ही ऐतिहासिक प्रदर्शन करते हुए पहली बार मेडल की सेंचुरी लगाई।

कहते हैं कि अगर इरादे मजबूत और बुलंद हों तो मंजिल जरूर मिलती है। इसी इरादे से भारतीय दल को रवाना करते हुए खेल मंत्री अनुराग ठाकुर ने इस बार 100 पार का नारा दिया था और खिलाड़ियों ने इसे सच साबित किया है। इससे पहले एशियन गेम्स के एक संस्करण में सर्वाधिक पदक 5 साल पहले जीते थे। तब भारत ने जकार्ता एशियन गेम्स 2018 में 70 मेडल अपने नाम किए थे। जिसमें 16 स्वर्ण, 23 रजत और 31 कांस्य शामिल थे।

एक दिन में सबसे ज्यादा मेडल जीतने का रिकॉर्ड
भारत ने 37 साल बाद मेडल तालिका के टॉप-5 पोजिशन में भी फिनिश किया और चीन, जापान, साउथ कोरिया के बाद चौथे स्थान पर रहा। मेजबान चीन टॉप पर रहा। उसने 201 गोल्ड, 111 सिल्वर और 71 ब्रॉन्ज मेडल जीते। इस बार भारत के नाम 28 गोल्ड, 38 सिल्वर और 41 ब्रॉन्ज मेडल हुए वहीं दो बड़े रिकॉर्ड अपने नाम किए। पहले एक दिन में सबसे ज्यादा मेडल जीतने का नया रिकॉर्ड बनाया और फिर एक संस्करण में सबसे ज्यादा मेडल जीतने का नया रिकॉर्ड बना डाला।

एथलेक्टिस में जीते सबसे ज्यादा पदक
भारत ने एथलेक्टिस में 6 गोल्ड, 14 सिल्वर और 9 ब्रॉन्ज सहित कुल 29 मेडल जीते। वहीं शूटिंग में 22 मेडल जीते, जिसमें 7 गोल्ड, 9 सिल्वर और 6 ब्रॉन्ज हैं। भारत ने इससे पहले ट्रैक एंड फील्ड में सबसे ज्यादा पदक 1951 दिल्ली एशियाई खेलों में जीते थे। तब भारत को 34 पदक मिले थे। इनमें 10 स्वर्ण, 12 रजत और 11 कांस्य पदक शामिल थे।

महिला खिलाड़ियों ने दिलाए 46 मेडल
पुरुष और महिला दोनों ही वर्ग के खिलाड़ियों ने भारत की ऐतिहासिक सक्सेस में बराबर रोल निभाया। 107 में से 43 फीसदी यानी कुल 46 मेडल महिला खिलाड़ियों ने दिलाए। 48 फीसदी मेडल (52) पुरुष खिलाड़ियों ने वहीं, 9 मेडल मिक्स्ड इवेंट में भी मिले। महिला और पुरुष दोनों ही खिलाड़ियों ने बराबर ग्रोथ कर देश को सफलता दिलाई। इसके अलावा आर्चरी, एथलेटिक्स, क्रिकेट, कबड्डी, शूटिंग और स्क्वैश के महिला इवेंट्स में भारत ने तेजी से ग्रोथ किया और गोल्ड मेडल जीते। पुरुष खिलाड़ियों ने भी इन खेलों के अलावा बैडमिंटन, हॉकी और घुड़सवारी में भारत को ऐतिहासिक गोल्ड मेडल दिलाए।

निशानेबाजी में जीते 22 पदक
भारतीय निशानेबाजों ने एशियाई खेलों में इतिहास रच दिया। भारतीय शूटर्स ने हांगझोऊ एशियाई खेलों में 22 पदक जीते। इनमें सात स्वर्ण, नौ रजत और छह कांस्य पदक शामिल हैं। भारतीय निशानेबाजी में किसी एक एशियाड में सबसे ज्यादा स्वर्ण समेत कुल पदक जीतने के मामले में 17 साल पुराना रिकॉर्ड तोड़ दिया। 2006 के दोहा एशियाई खेलों में भारत ने निशानेबाजी में तीन स्वर्ण, पांच रजत और छह कांस्य समेत 14 पदक जीते थे।

22 खेलों में मिले 10 गोल्ड मेडल
भारत ने इस बार 22 खेलों में मेडल जीते, जिनमें से 10 में गोल्ड भी मिले। हॉकी, घुड़सवारी, टेनिस और बैडमिंटन में एक- एक गोल्ड मेडल मिला। कबड्डी और क्रिकेट में पुरुष और महिला दोनों टीमों ने पहला स्थान हासिल किया, जबकि स्क्वैश में भी 2 गोल्ड मेडल मिले। शूटिंग, एथलेटिक्स और आर्चरी में तो प्रदर्शन शानदार रहा है।

गौरतलब है कि भारतीय खिलाड़ियों का जो काफिला एशियन गेम्स में गया था उनमें से हर खिलाड़ी में खुद को बेहतर करने की इच्छा थी, खुद को साबित करने की इच्छा थी। भले ही वह शूटिंग टीम हो या फिर पुरुष हॉकी टीम जो 2018 में हॉकी के सेमीफाइनल में हार गई थी। इन सबके बाद सबसे लोकप्रिय मेडल आखिरी दिन जीता गया मेडल है। बैडमिंटन युगल-ये खेल 1962 में शुरू हुआ और उसके 61 साल बाद भारत ने पहली बार इसमें गोल्ड मेडल जीता, ये जीत शानदार रही क्योंकि इसमें खिलाड़ियों ने दुनिया की नंबर 1 जोड़ी को हराया और इसमें भारत का शुरू से लेकर आखिरी तक दबदबा रहा। तीरंदाजी में तीन गोल्ड मेडल (पुरुष कंपाउंड व्यक्तिगत, पुरुष कंपाउंड टीम और मिश्रित टीम) से लेकर 41 ब्रॉन्ज मेडल की बात हो सबकी यात्रा एक जैसी रही है।

हर खिलाड़ी में धैर्य, दृढ़ संकल्प और परिस्थितियों के साथ निरंतर लड़ाई की कहानी रही है। घुड़सवारी, सेलिंग और रोइंग ने आश्चर्यचकित किया। साथ ही रेसलिंग ने भी आश्चर्य किया और 6 मेडल जीते। बावजूद इसके कि उनके साथ हाल ही में क्या हुआ वो सभी जानते हैं। बजरंग पुनिया भले ही हार गए लेकिन उन्होंने महिला पहलवानों के लिए जो स्टैंड लिया उसे आने वाली पीढ़ी, युवा और ये देश याद रखेगा। वहीं सीमा पुनिया 40 साल की उम्र में डिस्कस में ब्रॉन्ज मेडल जीतने वाली सबसे उम्रदराज भारतीय ट्रैक और फील्ड एथलीट बन गई हैं, 2014 में गोल्ड और 2018 में ब्रॉन्ज जीतने के बाद इस खेल में उनका तीसरा मेडल है। मिलन बैंस ने 800 मीटर और 1500 मीटर में दो सिल्वर जीते, उनकी मां ने भी 2002 बुसान एशियाई खेलों में 800 मीटर में सिल्वर जीता था। ओलंपिक और विश्व चैंपियन नीरज चोपड़ा ने 2018 में जीता अपना भाला फेंक गोल्ड बरकरार रखा और सिल्वर मेडल भी भारत के किशोर जेना को मिला।

एशियाई खेलों में भारत का सफर
एशियाई खेलों की शुरुआत वर्ष 1951 में हुई थी। दिल्ली में इसका आयोजन किया गया था और मेजबान भारत ने कुल 51 पदक जीते थे। इसमें 15 स्वर्ण, 16 रजत और 20 कांस्य पदक शामिल थे। पदक तालिका में भारत दूसरे स्थान पर रहा था। हालांकि, इसके बाद भारत को 50 पदक हासिल करने के लिए 31 साल का इंतजार करना पड़ा।1982 में नई दिल्ली में आयोजित एशियाई खेलों में भारत ने 13 स्वर्ण सहित 57 पदक जीते।1954 में भारत ने कुल 17 और 1958 में सिर्फ 13 पदक जीते, जबकि 1951 में भारत ने 15 स्वर्ण जीते थे।
वर्ष 1990 में ऐसा मौका भी आया, जब पदक तालिका में भारत शीर्ष 10 में भी नहीं था। इस साल भी भारत के पास सिर्फ 23 पदक थे।

इसमें सिर्फ एक स्वर्ण पदक था। 1998 से भारत के प्रदर्शन में सुधार आया और 2006 में पहली बार भारत ने घर से बाहर 50 से ज्यादा पदक जीते। इसके बाद से भारत लगातार 50 से ज्यादा पदक जीतता आया है। 2010 में भारत ने 65 पदक जीते और सबसे ज्यादा पदकों का नया कीर्तिमान हासिल किया। 2018 में भारत ने इसे बेहतर किया और 70 पदक जीते। अब 2023 में भारत ने 107 पदक हासिल कर लिए हैं। कुल मिलाकर भारत के लिए यह संस्करण काफी अच्छा रहा। 62 वर्षीय राजू तोलानी ने ब्रिज में सिल्वर मेडल जीता, जबकि 15 वर्षीय अनाहत सिंह ने स्क्वैश में दो ब्रॉन्ज मेडल, वहीं कंपाउंड तीरंदाजी में पांच गोल्ड मेडल मिलना सवाल उठता है कि आखिर इस खेल को ओलंपिक में कब शामिल किया जाएगा।

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