उभरते हुए भारतीय बैडमिंटन खिलाड़ी लक्ष्य सेन ने जकार्ता में एशियाई जूनियर चैम्पियन के फाइनल में मौजूदा जूनियर विश्व चैम्पियन थाईलैंड के कुनलावुत वितिदसर्न को सीधे गेम में हराकर यह खिताब अपने नाम किया है। यह ख़िताब को जीतने वाले लक्ष्य सेन तीसरे भारतीय खिलाड़ी बन गए हैं। यह ख़िताब 53 वर्ष बाद भारत नाम करके लक्ष्य सेन इतिहास रचा है।
छठी वरीयता प्राप्त मूल रूप से उत्तराखंड के इस खिलाड़ी ने शीर्ष वरीय वितिदसर्न को 46 मिनट तक चले करीबी मुकाबले में 21-19, 21-18 से शिकस्त देकर उलटफेर किया। लक्ष्य ने पिछले साल इस टूर्नामेंट में कांस्य पदक जीता था।
लक्ष्य से पहले दिवंगत गौतम ठक्कर ने 53 साल पहले यानी कि 1965 में और ओलंपिक रजत पदक विजेता पीवी सिंधू (2012) ने इस प्रतिष्ठित खिताब को जीता है। सिंधू ने इसमें 2011 में कांस्य पदक भी अपने नाम किया था। समीर वर्मा ने 2011 और 2012 में क्रमश रजत और कांस्य पदक जीता था। प्रणव चोपड़ा और प्राजक्ता सावंत की जोड़ी 2009 में कांस्य पदक जीतने में सफल रही थी।
इस जीत के लिए भारतीय बैडमिंटन संघ (बीएआई) ने लक्ष्य सेन को एशियाई जूनियर चैम्पियनशिप जीतने पर 10 लाख रुपए की नकद इनामी राशि देगी। बीएआई के अध्यक्ष हेमंत बिस्व शर्मा ने लक्ष्य की उपलब्धि की तारीफ करते हुए कहा- लक्ष्य ने देश को गौरवान्वित किया है। हम युवाओं पर निवेश कर रहे हैं और उसका नतीजा देख कर खुश हैं। बीएआई के महासचिव अजय सिंघानिया ने भी इस खिलाड़ी की तारीफ की। उन्होंने कहा- यह पूरे बीएआई परिवार और अधिकारियों के लिए जश्न मनाने का मौका है। एशिया में पदक जीतना हमेशा अच्छा होता है , लेकिन स्वर्ण जीतना शानदार है। हमें इस युवा खिलाड़ी पर गर्व है।
जीत के बाद लक्ष्य ने कहा- मैं यह टूर्नामेंट जीतकर खुश हूं। इससे मेरा आत्मविश्वास बढ़ेगा। मैं टीम स्पर्धा में खेला और फिर व्यक्तिगत स्पर्धा में , मेरे लिए यह लंबा टूर्नामेंट रहा। हर मैच के बाद मेरा ध्यान थकान से उबरने पर था। मैं खुश हूं कि अच्छा खेल सका और जीत दर्ज कर सका।