[gtranslate]
sport

खेलों में भी हावी लैंगिक असमानता

महिला खिलाड़ियों के साथ भेदभाव वर्षों से चला आ रहा है। लेकिन अब वैश्विक पटल पर महिला खिलाड़ी इस मुद्दे पर खुलकर बात रखने लगी हैं। इसी के चलते आस्ट्रेलिया, आयरलैंड, न्यूजीलैंड और इंग्लैंड जैसे देशों ने उन्हें कुछ खेलों में समान फीस देनी भी शुरू कर दी है। मगर भारत में लैंगिक असमानता की खाई कुछ ज्यादा ही गहरी है। ताजा मामला भारतीय महिला फुटबॉल टीम के साथ हो रहे लैंगिक असमानता का है

खेलों में महिला खिलाड़ियों के साथ भेदभाव वर्षों से चला आ रहा है। कोई भी देश क्यों न हो, वहां महिला खिलाड़ियों को उस हिसाब से मैच फीस, पुरस्कार और खेल सुविधाएं नहीं दी जातीं, जो उसी खेल के पुरुष खिलाड़ियों को मिलती हैं। स्वाभाविक सी बात है कि खेल सिर्फ खेल होता है, इसमें महिला-पुरुष होना मायने नहीं रखता। सवाल है कि उसी खेल के लिए पुरुषों के समान महिलाओं को फीस क्यों नहीं?
समय-समय पर इसका विरोध भी होता रहा है। अब वैश्विक पटल पर महिला खिलाड़ी इस मुद्दे पर खुलकर बात रखने लगी हैं। इसी के चलते आस्ट्रेलिया, आयरलैंड, न्यूजीलैंड और इंग्लैंड जैसे देशों ने उन्हें कुछ खेलों में समान फीस देनी भी शुरू कर दी है। बात अगर भारत की करें तो हमारे देश में लैंगिक असमानता की खाई कुछ ज्यादा ही गहरी है। हमारे देश में तो महिलाओं को खेल खेलने के लिए भी लंबा संघर्ष करना पड़ता है। बात बीसीसीआई की करें, तो यहां अब भी भेदभाव के आरोप लग रहे हैं कि पुरुष खिलाड़ियों पर तो करोड़ों रुपए लुटाए जाते हैं, जबकि महिला खिलाड़ियों को बहुत कम फीस दी जाती है। हालांकि अच्छी बात यह है कि भारत में टेबल टेनिस फेडरेशन द्वारा महिला और पुरुष खिलाड़ियों को समान फीस दिए जाने की बात कही गई, जो मार्च 2023 से जरूर लागू हो गई है लेकिन अन्य खेलों में आज भी पुरुषों के मुकाबले महिलाओं में असमानता देखने को मिल रही है।

ताजा मामला भारतीय महिला फुटबॉल टीम के साथ हुए असमानता का है। दरअसल जब पिछले दिनों भारतीय पुरुष फुटबॉल टीम ने सैफ चैम्पियनशिप जीती, तो शीर्ष खिलाड़ियों सहित देश की कई लोकप्रिय हस्तियों ने सोशल मीडिया पर टीम को बधाई दी। इसके ठीक पहले अहमदाबाद में गोकुलम केरला एफसी ने देश की शीर्ष महिला प्रतियोगिता में से एक इंडियन विमेंस लीग जीती, लेकिन इस सफलता पर किसी का ध्यान नहीं गया। इस मामले में यह तर्क दिया जा रहा है कि सैफ चैंपियनशिप के विपरीत इंडियन विमेंस एक घरेलू लीग थी। हालांकि, महिला टीम भी पांच सीजन में से चार बार सैफ चैम्पियनशिप जीत चुकी है। जब वेतन, प्राइज मनी, एक्सपोजर की बात आती है तो देश में महिला और पुरुष फुटबॉल में अंतर साफ नजर आता है।

इसका अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि विजेता गोकुलम केरला को 10 लाख रुपए मिले थे। वहीं, इंडियन सुपर लीग चैम्पियन को 6 करोड़ रुपए मिलते हैं। विजेता टीम को चेक अहमदाबाद समारोह में दिया गया था तो इंडियन विमेंस लीग का पुरस्कार वितरण समारोह उस इवेंट में आयोजित किया गया था, जिसमें गुजरात स्टेट फुटबॉल एसोसिएशन की पुरुष वर्ग की क्लब चैम्पियनशिप हुई थी। मतलब महिला फुटबॉल के लिए अलग इवेंट तक नहीं हुआ। रैंकिंग में महिला टीम में 60वें स्थान पर है, जबकि पुरुष टीम 99वें पर है।

महिला टीम को साल में केवल 3 टूर्नामेंट
महिला टीम के साथ भेदभाव का आलम यह है कि जहां पुरुष टीम पूरे साल कई स्तरों पर टूर्नामेंट खेलती है वहीं महिलाओं को केवल तीन टूर्नामेंट खेलने का मौका मिलता है। खेल विश्लेषकों का कहना है कि सीनियर महिला नेशनल फुटबॉल चैम्पियनशिप, अंडर-17 नेशनल और इंडियन विमेंस लीग अगर महिलाओं को भी ज्यादा एक्सपोजर मिले, तो प्रदर्शन कहीं बेहतर होगा।’ भारतीय टीम की फॉरवर्ड एन. बाला देवी कहती हैं, ‘जब मैं ब्रिटेन में खेल रही थी, तो घरेलू स्तर पर 30 मैच होते थे। इसके अलावा वहां खिलाड़ी नेशनल टीम के लिए भी 20 मैच खेल लेती हैं। यानी वे साल भर में 50 मैच खेलती हैं। यहां हम मुश्किल से तीन महीने की ट्रेनिंग करते हैं और खेलते हैं।’

ब्रॉडकास्टर नहीं, यू-ट्यूब पर दिखाते हैं मैच

देश में महिला फुटबॉल का मीडिया कवरेज भी अच्छा नहीं होता। इंडियन विमेंस लीग के ब्रॉडकासि्ंटग को लेकर लीग शुरू होने से एक दिन पहले ऑल इंडिया फुटबॉल फेडरेशन ने घोषणा की थी कि उसके यू-ट्यूब चैनल पर मैचों की लाइव स्ट्रीमिंग की जाएगी। वो भी शाम 4.30 बजे से होने वाले मैचों की। सुबह 8.30 बजे से खेले गए मैचों की स्ट्रीमिंग नहीं हुई। गौरतलब है कि भारत एक ऐसा देश है जहां पुरुष क्रिकेट को एक धर्म की तरह माना जाता है। बाकी खेलों को क्रिकेट जितना महत्व नहीं मिलता। न तो खेल मंत्रालय से और न ही आम लोगों से। खेल विशेषज्ञों का कहना है कि महिलाओं के खेल की स्थिति स्कूल और जिला जैसे जमीनी स्तर पर भी यही हाल है। स्थिति तब और ज्यादा खराब हो जाती है जब महिलाओं को न तो खेल में आगे बढ़ने के लिए प्रोत्साहित किया जाता है और न ही उनके लिए खेल आयोजित होते हैं। खेलों में जाने से पहले समाज को सबसे पहले उनके ‘रंग-रूप’ और चेहरा काला हो गया तो शादी कैसे होगी’ की ही चिंता सताती है।

इन सबके बावजूद भारत में महिलाएं बेहतरीन प्रदर्शन कर रही हैं। ऐसे में उन सभी महिला खिलाड़ियों का समाज की रूढ़िवादी सोच से आगे जाकर खेल को अपना करियर बनाना मात्र ही उन्हें तारीफ का हकदार बना देता है। क्योंकि समाज में ऐसा करने के लिए नाते-रिश्तेदार, पड़ोसियों तक से तो क्या परिवार से भी लड़ना पड़ता है। इनमें मिताली राज, रानी रामपाल, पीवी सिंधु, दीपा कर्माकर, मैरी कॉम, सानिया मिर्जा, हरमन प्रीत कौर, गीता फोगाट, साईना नेहवाल, शिरीन लिमाय, हिमा दास, दुती चंद, झूलन गोस्वामी जैसे अनेक नाम आज अलग-अलग खेल में भारत का सिर ऊंचा किए हुए हैं। मिताली जहां विश्व की सबसे सफल महिला क्रिकेटर्स में से एक है। वहीं, सिंधु ने 2016 के रियो ओलंपिक्स में सिल्वर मेडल जीत इतिहास रचा था। मगर आज भी स्थिति ये है कि अखबारों के स्पोर्ट्स पन्ने का ज्यादातर हिस्सा या तो पुरुष क्रिकेट की खबरों से पटा पड़ा रहता है और या फिर अन्य पुरुष खिलाड़ियों को मिलता है। महिला खिलाड़ियों या उनके खेल को ‘अन्य’ में ही जगह मिलती है।

ये सभी खिलाड़ी जहां वैश्विक स्तर पर भारत का सिर ऊंचा किए हुए हैं, वहीं देश के अंदर इनका बुरा हाल है। इस बात को नजरंदाज नहीं किया जा सकता कि खेल में अपना भविष्य बनाने को उत्सुक लड़कियों और उनके परिवार को वित्तीय नजरिए से खेल में अस्थिर और अप्रत्याशित लगता भविष्य उनके कदम पीछे खींचता है। जहां पुरुष क्रिकेट में अथाह पैसा निवेश किया जाता है, वहीं महिला खिलाड़ियों को उसके आधे पैसे भी नसीब नहीं होते। फिर चाहे वह महिलाओं का क्रिकेट ही क्यों न हो।

 

You may also like

MERA DDDD DDD DD
bacan4d toto
bacan4d toto
Toto Slot
slot gacor
slot gacor
slot toto
Bacan4d Login
bacan4drtp
situs bacan4d
Bacan4d
slot dana
slot bacan4d
bacan4d togel
bacan4d game
slot gacor
bacan4d login
bacantoto 4d
toto gacor
slot toto
bacan4d
bacansport
bacansport
bacan4d
bacan4d
bacan4d
bacan4d
bacan4d
bacan4d
bacan4d
slot gacor
slot77 gacor
Bacan4d Login
Bacan4d toto
Bacan4d
Bacansports
bacansports
slot toto
Slot Dana
situs toto
bacansports
bacan4d
bacan4d
bacan4d
bacan4d
bacan4d
slot gacor
bacan4d
bacan4d
bacan4d online
bandar slot
bacan4d slot toto casino slot slot gacor