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पांच टेस्ट मैचों की सीरीज में भारतीय टीम चार बार जीतने का हौसला हार गई। जिसकी वजह से उसे चार मैच गंवाने पड़ गए। ओवल टेस्ट में सरेंडर के साथ ही भारतीय क्रिकेट टीम को इंग्लैंड के हाथों पांच मैच की टेस्ट सीरीज में 1-4 से करारी शिकस्त मिली है। इस पूरी सीरीज में ऐसे कई मौके आए जब टीम इंडिया मैच के नतीजे अपने पक्ष में कर सकती थी, भारत ने बहुत सारी गलतियां की और इंग्लैंड को वापसी करने का मौका दिया। क्रिकेट एक टीम गेम है, किसी एक या दो खिलाड़ी पर निर्भर नहीं करता है। भारतीय कप्तान विराट कोहली ने इस सीरीज में कप्तानी पारियां जरूर खेली। उन्होंने टेस्ट सीरीज में 593 रन बनाए हैं, लेकिन इसके बावजूद वह टीम इंडिया को सीरीज नहीं जिता पाए।

इंग्लैंड का कोई बल्लेबाज भले ही कोहली जितने रन नहीं बना पाया हो लेकिन, फिर भी इंग्लिश टीम ने सीरीज पर कब्जा कर लिया। सीरीज शुरू होने से पहले बड़ी-बड़ी बातें की जा रही थीं, लेकिन टेस्ट की ये नंबर एक टीम फिसड्डी साबित हुई है।

बल्लेबाजी में लचर प्रदर्शन से लेकर टीम इंडिया के गेंदबाजों का अहम मौकों पर विकेट नहीं ले पाना उसे ले डूबा। इंग्लैंड की धरती पर सीरीज जीतने का बेहतर मौका गंवाने का सबसे बड़ा कारण यह रहा कि भारतीय टीम जिस भी मैच में अच्छी पकड़ बना लेती तो इंग्लैंड के पुछल्ले बल्लेबाज उस पर पानी फेर देते। इन लम्हों में खराब खेल के कारण भारत ने सीरीज गंवाई।

बर्घिंटम टेस्ट में सैम कुरेन टीम इंडिया के लिए सरदर्द साबित हुए, लॉर्ड्स में क्रिस वोक्स ने सातवें नंबर पर बल्लेबाजी करते हुए अपने करियर का पहला शतक जड़कर भारत को जीत से महरूम रखा और साउथम्प्टन में एक बार फिर सैम कुरेन ने बर्घिंटम वाली स्क्रिप्ट लिख दी। उम्मीद थी कि भारतीय टीम ओवल में टेस्ट मैच जीतकर अपनी इज्जत बचा लेगी, लेकिन लगातार मिल रही हार के कारण हौसला हार चुकी टीम इंडिया इस मैच में मेजबान इंग्लैंड को टक्कर भी नहीं दे पाई।

सलामी बल्लेबाज केएल राहुल और विकेटकीपर बल्लेबाज ऋषभ पंत ने शतक जमाकर भारत की उम्मीद जगायी लेकिन आखिर में इंग्लैंड ने पांचवां और अंतिम टेस्ट क्रिकेट मैच 118 रन से जीतकर पांच मैचों की शृंखला 4-1 से अपने नाम करने के साथ एलिस्टेयर कुक को शानदार विदाई दी। भारत 464 रन के लक्ष्य का पीछा करते हुए अपनी दूसरी पारी में 345 रन बनाकर आउट हुआ। पांचवे दिन की शुरुआत तीन विकेट पर 58 रन से आगे खेलने वाले भारत का स्कोर चाय के विश्राम तक पांच विकेट पर 298 रन था लेकिन तीसरे सत्र में उसने 19.3 ओवर में बाकी बचे पांच विकेट गंवा दिए।

राहुल ने 224 गेंदों पर 149 रन बनाए उन्होंने अपनी पारी में 20 चौके और एक छक्का लगाया। पंत (146 गेंदों पर 114 रन) ने चाय के विश्राम से ठीक पहले अपने करियर का पहला शतक पूरा किया। उनकी पारी में 15 चौके और चार छक्के शामिल हैं। इन दोनों ने पांच विकेट पर 121 रन से आगे पारी बढ़ाते हुए छठे विकेट के लिए 204 रन की साझेदारी की। राहुल ने इससे पहले उपकप्तान अंजिक्य रहाणे (37) के साथ भी 118 रनों की शतकीय साझेदारी निभाई थी।

चाय के विश्राम के बाद हालांकि तीन रन के अंदर इन दोनों के पवेलियन लौटने से भारतीय उम्मीदें भी खत्म हो गयी। जो रूट ने 80 ओवर के बाद भी नयी गेंद नहीं ली और अपने लेग स्पिनर राशिद पर भरोसा बनाए रखा जिन्होंने लेग स्टंप के काफी बाहर पिच कराई गई एक खूबसूरत गेंद पर राहुल का आफ स्टंप हिलाया। पंत भी चायकाल के बाद उनके सामने जूझते हुए नजर आए और आखिर में राशिद की गुगली को हवा में लहराकर कैच देकर पवेलियन लौटे।

इससे पहले इन दोनों ने हालांकि मैच को रोमांचक बनाने में कोई कसर नहीं छोड़ी। राहुल ने लंच से पहले ही 118 गेंदों पर अपना शतक पूरा कर दिया था। उनका यह पिछले दो वर्षों में पहला और कुल पांचवां शतक है। लगातार नौ पारियों में नाकाम रहने के बाद पहली बार उन्होंने 50 से अधिक रन बनाए। वह इंग्लैंड में चौथी पारी में शतक बनाने वाले दूसरे भारतीय सलामी बल्लेबाज हैं। सुनील गावस्कर ने इसी मैदान (ओवल) पर 1979 में 221 रन बनाए थे। राहुल ने हालांकि शतक का खास जश्न नहीं मनाया और अपने हेलमेट को चूमने के अलावा ड्रेसिंग रूम में अपने साथी खिलाड़ियों का अभिवादन स्वीकार किया।

पहली पारी में इंग्लैंड के 181 रन पर 7 विकेट गिराने के बाद टीम इंडिया ने अपनी पकड़ ऐसी ढीली की कि इंग्लैंड के आखिरी तीन बल्लेबाजों ने 151 रन जोड़ते हुए 332 का स्कोर बोर्ड पर लगा दिया। इसके बाद रवींद्र जडेजा और हनुमान विहारी की बदौलत भारत अपनी पहली पारी में 292 के स्कोर तक पहुंचने में कामयाब रहा। इंग्लैंड की दूसरी पारी में तो भारतीय गेंदबाजों ने पहले ही हथियार डाल दिए और एलिस्टेयर कुक और जो रूट की 259 रनों की पार्टनरशिप और पहली पारी के 40 रनों की बढ़त से भारत को मैच से बाहर करते हुए 464 रनों का पहाड़ जैसा टारगेट दे डाला।

चौथी पारी में जब बारी भारतीय बल्लेबाजों की आई तो शिखर धवन (1), चेतेश्वर पुजारा (0) और कप्तान विराट कोहली (0) भी हिम्मत हार गए और पिच पर टिकने का जज्बा भी नहीं दिखाया। हालांकि राहुल और ऋषभ पंत ने अपनी पिछली नाकामियों से सीखते हुए शानदार शतक लगाए, लेकिन वह टीम इंडिया को हार से नहीं बचा सके।
अब विराट सेना की असल परीक्षा ऑस्ट्रेलिया में होगी, क्योंकि वेस्टइंडीज जैसी टीम को हराना कोई बड़ी बात नहीं, वो सीरीज तो टीम इंडिया के लिए प्रैक्टिस मैचों की तरह होगी। बल्लेबाज के रूप में विराट ने उम्मीद से कहीं बेहतर प्रदर्शन किया है, लेकिन कप्तान तभी सफल हो सकता है जब उसकी टीम प्रदर्शन करेगी। विराट कोहली से हमेशा उम्मीदें बहुत ऊंची रहती हैं और ऑस्ट्रेलिया में भी ऐसा ही होगा।

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