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दंगल फेडरेशन की डर्टी पिक्चर

रेसलिंग फेडरेशन ऑफ इंडिया के अध्यक्ष और भाजपा सांसद बृजभूषण शरण सिंह और उनके संघ से जुड़े कोच पर कई महिला पहलवान यौन सहित मानसिक उत्पीड़न के आरोपों चलते धरने पर जा बैठीं। खिलाड़ियों के साथ केंद्रीय खेल मंत्री अनुराग ठाकुर की 7 घंटे तक हुई चर्चा के बाद यह धरना समाप्त हो गया है लेकिन अभी तक बृजभूषण शरण सिंह ने इस्तीफा नहीं दिया है। ऐसे में सवाल उठ रहे हैं कि पीड़ित खिलाड़ियों को ओलंपिक संघ और सरकार न्याय दिला पाएगी?

कुश्ती के मुकाबलों में देश-दुनिया में अपने कौशल की धाक बनाने वाले महिला-पुरुष पहलवान पिछले हफ्ते तीन दिन तक दिल्ली के जंतर-मंतर में धरने पर बैठे रहे। इस धरने के जरिए चर्चित महिला पहलवानों ने कुश्ती फेडरेशन के अध्यक्ष ब्रजभूषण शरण सिंह की कथित कुंठित वासना और यौन उत्पीड़न की घटनाओं को उजागर किया है। भाजपा सांसद बृजभूषण शरण सिंह के आचरण के बारे में जिस तरह के आरोप इन पहलवानों ने लगाए वे विचलित करने वाले हैं। इनसे भारतीय कुश्ती फेडरेशन की डर्टी पिक्चर पूरे देश के सामने आई है।

खेल मंत्री अनुराग ठाकुर के साथ 7 घंटे तक हुई चर्चा के बाद धरना खत्म हो गया है। एक कमेटी सरकार ने बनाई है, एक कमेटी इंडियन ओलंपिक एसोसिएशन ने बनाई है। इन दोनों की जांच की शर्तें, क्या होंगी यह सार्वजनिक नहीं हुआ है। धरना उठ गया है लेकिन यौन शोषण के गंभीर आरोपों से घिरे ब्रजभूषण शरण सिंह ने इस्तीफा देने से न केवल मना कर दिया है बल्कि धमकाते हुए यहां तक कहा है कि ‘मैं मुंह खोल दूंगा तो सुनामी आ जाएगी।’ अब उनकी यह चेतावनी इसी तरह की लीलाओं में लिप्त अपने नेताओं के लिए है या महिला खिलाड़ियों के लिए, यह अभी साफ नहीं हुआ है। बहरहाल इसमें भी उन्होंने ध्रुवीकरण का पासा फेंक दिया है। इस बार जाति उनके ध्रुवीकरण का जरिया है। उनका आरोप है कि ‘जो आरोप लगा रहे हैं, वे ज्यादातर पहलवान एक ही कम्युनिटी से हैं।’ इस सबके साथ सबसे महत्वपूर्ण उनका यह एलान है कि ‘मैं इस्तीफा नहीं दूंगा। पार्टी का जो आदेश मिलेगा उसी को मानूंगा।’ उन्हें भरोसा है कि उनकी पार्टी उनसे कभी इस्तीफा देने को नहीं कहने वाली।

अब तक क्या-क्या हुआ
¹ 18 जनवरी को भारतीय कुश्ती महासंघ एकाएक उस वक्त खबरों में आ गया, जब देश के जाने-माने दिग्गज पहलवान फेडरेशन के खिलाफ राजधानी दिल्ली के जंतर-मंतर पर धरना देने बैठ गए। इन पहलवानों ने भारतीय कुश्ती संघ के अध्यक्ष बृजभूषण शरण सिंह पर कुश्ती संघ को मनमाने तरीके से चलाने का आरोप लगाया। धरने पर बैठी महिला कुश्ती खिलाड़ियों ने महासंघ के प्रेसिडेंट पर यौन उत्पीड़न के गंभीर आरोप भी लगाए। बाद में इस प्रदर्शन में 200 से ज्यादा खिलाड़ी शामिल हो गए। यह शायद पहली बार था ओलंपिक्स, एशियन गेम्स और राष्ट्रमंडल खेलों में भारत को कई पदक दिलाने वाले कुश्ती खिलाड़ी धरने पर बैठे हों और संघ पर यौन शोषण, अत्याचार और साजिश का आरोप लगा।

*  पहलवानों का प्रदर्शन शुरू होने के बाद 18 जनवरी को ही अपने ऊपर लगे आरोपों पर बृजभूषण शरण ने मीडिया के सामने सफाई दी। उन्होंने सभी आरोपों को खारिज कर कहा कि अगर आरोप सही साबित हुए तो मैं फांसी पर लटक जाऊंगा। साथ ही उन्होंने खिलाड़ियों पर आरोप लगाते हुए कहा कि ये खिलाड़ी ट्रायल में भाग नहीं लेना चाहते। इसलिए प्रदर्शन कर रहे हैं। इसी दिन खेल मंत्रालय ने कुश्ती महासंघ से इस मामले पर स्पष्टीकरण मांगते हुए 72 घंटों के अंदर जवाब देने का निर्देश दिया था। वहीं, 18 जनवरी से लखनऊ में शुरू होने वाले महिला पहलवानों का कैंप भी रद्द कर दिया गया था।

* 19 जनवरी को लगातार दूसरे दिन भी भारतीय कुश्ती महासंघ और इसके अध्यक्ष भाजपा सांसद बृजभूषण शरण सिंह के खिलाफ भारतीय पहलवानों का विरोध प्रदर्शन मौन व्रत के तौर पर जंतर-मंतर पर जारी रहा। उन्हें अन्य खिलाड़ियों सहित कई राजनीतिक दलों का भी समर्थन मिला। फोगाट खाप सहित अन्य खापों ने भी पहलवानों का समर्थन किया। इस बीच पहलवानों का एक प्रतिनिधि मंडल जिसमें विनेश फोगाट, बजरंग पुनिया और साक्षी मलिक शामिल थे, सरकार से मध्यस्थता के लिए मिला। हालांकि सरकार से बातचीत के बाद खिलाड़ी असंतुष्ट दिखें और उन्होंने प्रेस कॉन्फ्रेंस में बताया कि सरकार ने उन्हें बस आश्वासन दिया है और इसलिए उन्होंने अपना संघर्ष जारी रखने का फैसला करते हुए कहा कि जब तक उन्हें न्याय नहीं मिल जाता है तब तक वे धरने पर बैठे रहेंगे।

* इस दौरान कुश्ती महासंघ के अध्यक्ष बृजभूषण सिंह भी इन खिलाड़ियों पर पलटवार करते रहे। उन्होंने खुद को पाक-साफ बताते हुए प्रदर्शन कर रहे पहलवानों को कठघरे में खड़ा किया। उन्होंने मीडिया से कहा कि हरियाणा के खिलाड़ी एसोसिएशन में अपने पसंद के लोगों को जगह नहीं मिलने से नाराज हैं। बृजभूषण शरण सिंह ने यह भी कहा कि देश के 97 फीसदी पहलवान उनके साथ हैं सिर्फ तीन फीसदी पहलवान विरोध में हैं।

एक ही दिन में दो जांच समितियों का एलान
* केंद्रीय खेल मंत्रालय और मंत्री अनुराग ठाकुर से इन खिलाड़ियों की बातचीत बेनतीजा रहने के बाद तीसरे दिन 20 जनवरी को भी जंतर-मंतर पर पहलवानों का यह प्रदर्शन जारी रहा। वहीं गोंडा में चल रही राष्ट्रीय कुश्ती प्रतियोगिता से हरियाणा और हिमाचल प्रदेश के कई खिलाड़ी धरना दे रहे पहलवानों के समर्थन में बिना खेले ही लौट गए। प्रदर्शन कर रहे पहलवानों ने भी भारतीय ओलंपिक संघ की अध्यक्ष पीटी उषा को पत्र लिखकर बृजभूषण सिंह को हटाने समेत चार मुख्य मांगें रखी।

* देर शाम भारतीय ओलंपिक संघ की ओर से जांच के लिए सात सदस्यों की एक समिति का गठन किया गया। जिसमें बॉक्सर एम मैरी कॉम, तीरंदाज डोला बनर्जी, बैडमिंटन प्लेयर अलकनंदा अशोक, फ्रीस्टाइल रेसलर योगेश्वर दत्त, भारतीय भारोत्तोलन महासंघ के अध्यक्ष सहदेव यादव और दो वकील शामिल हैं।

* खेल मंत्री अनुराग ठाकुर दूसरी बार खिलाड़ियों से मिले। लगभग सात घंटे लंबी चली इस मीटिंग में मंत्रालय और खिलाड़ियों के बीच आपसी सहमति बनी और देर रात करीब 1 बजे एक ज्वॉइंट प्रेस वार्ता में धरना प्रदर्शन खत्म करने का एलान पहलवानों की ओर से किया गया। वहीं खेल मंत्री ने जांच कमेटी के गठन और जांच तक अध्यक्ष बृजभूषण सिंह को पद से अलग रहने की घोषणा की।

कौन है बृजभूषण शरण सिंह
उत्तर प्रदेश के गोंडा जिले के निवासी भाजपा सांसद और कुश्ती महासंघ के अध्यक्ष बृजभूषण शरण सिंह 6 बार सांसद रह चुके हैं और उन्होंने गोंडा, कैसरगंज और बलरामपुर निर्वाचन क्षेत्रों का प्रतिनिधित्व किया है। 1991 में पहली बार लोकसभा के लिए चुने गए बृजभूषण सिंह 1999, 2004, 2009, 2014 और 2019 में लोकसभा के लिए चुने गए थे। उन्होंने इनमें से 5 बार भाजपा के टिकट पर तो एक बार 2009 में समाजवादी पार्टी के टिकट पर जीत हासिल की है। उनकी पत्नी केतकी देवी सिंह गोंडा जिला पंचायत की अध्यक्ष रह चुकी हैं और पुत्र प्रतीक भूषण सिंह वर्तमान में गोंडा सदर सीट से विधायक हैं। बृजभूषण सिंह 2011 से कुश्ती महासंघ के अध्यक्ष भी हैं। 2019 में वे तीसरी बार कुश्ती महासंघ के अध्यक्ष चुने गए। महासंघ पर उनके दबदबे की एक बड़ी वजह उनके राजनीतिक रसूख को बताया जा रहा है। अपनी कार्यशैली की आलोचना के बावजूद उन्होंने महासंघ पर अपनी पकड़ बनाए रखी है। यहां तक कि उन्होंने एक समारोह के दौरान मंच पर एक पहलवान को कथित तौर पर थप्पड़ भी मारा था।

वर्ष 1992 में अयोध्या में बाबरी मस्जिद ढांचे के विध्वंस के लिए जिम्मेदार ठहराए गए। 40 अभियुक्तों में हिंदुत्व की राजनीति के मुखर समर्थक बृज भूषण सिंह का नाम भाजपा के लाल कृष्ण आडवाणी के साथ रखा गया था। बृजभूषण सिंह के खिलाफ 90 के दशक के मध्य में अंडरवर्ल्ड डॉन दाऊद इब्राहिम के साथियों सुभाष सिंह ठाकुर, जयेंद्र ठाकुर उर्फ भाई ठाकुर, परेश देसाई और श्याम किशोर गरिकापट्टी को कथित रूप से शरण देने के लिए आतंकवादी और विघटनकारी गतिविधियों (टाडा) के तहत भी मामला दर्ज किया गया था। हालांकि बाद में उन्हें इन आरोपों से बरी कर दिया गया था। 2019 के लोकसभा चुनाव के लिए उनके चुनावी हलफनामे के अनुसार उनके ऊपर अयोध्या और गोंडा में चार मामले लंबित हैं। उन पर डकैती, हत्या के प्रयास और दंगा सहित अन्य आरोप हैं। पिछले साल जब राज ठाकरे ने अयोध्या के दौरे का ऐलान किया था। उसके बाद बृजभूषण ने पार्टी स्टैंड से अलग राज ठाकरे के खिलाफ मोर्चा खोल दिया था। हाल ही में बाबा रामदेव के खिलाफ भी बृजभूषण ने मोर्चा खोला था, जिसमें पतंजलि की ओर से बृजभूषण शरण सिंह को नोटिस भी भेजा गया था।

इसके अलावा भाजपा सांसद बृजभूषण शरण सिंह पार्टी के दबंग नेताओं में गिने जाते हैं। इस बात को इसी से समझा जा सकता है कि जब ‘लल्लनटॉप’ ने उनसे बातचीत के दौरान पूछा था कि क्या आप ने अपने जीवन में एक भी मर्डर किया है तब उन्होंने कहा कि ‘विनोद कुमार पंडित के सगे भाई थे, जिनका नाम रविंदर सिंह था। रविंदर सिंह, अवधेश प्रताप सिंह और मैं तीनों काफी अच्छे दोस्त थे। रविंदर मेरी भावनाओं को बहुत अच्छे से समझते थे। बाद में मैंने ठेकेदारी का काम करने की शुरुआत की थी। ऊपर का सारा काम मैं खुद देखता था। वहीं रविंदर नीचे की व्यवस्था चलाते थे। हम दोनों बराबर के पार्टनर थे। एक दुर्भाग्यपूर्ण घटना हुई थी, जहां रविंदर सिंह को गोली लग गई थी। मैं और रविंदर एक पंचायत कराने गए थे। हम दोनों एक-दूसरे का हाथ पकड़ कर खड़े थे। तभी रंजीत सिंह नाम के एक शख्स ने हवा में फायर कर दिया, जिसके बाद मुझे एहसास हुआ कि एक गोली रविंदर को आकर लगी है। फिर जिस व्यक्ति ने रविंदर को गोली मारी थी, मैंने हाथ छुड़ाकर राइफल से उसकी पीठ पर गोली मारी थी और वह मर गया। इसके बाद से पंडित सिंह को हमने सारा कारोबार सौंप दिया था।

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