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खत्म होने की कगार पर करियर

भारतीय क्रिकेट टीम मौजूदा समय में न्यूजीलैंड से दो टेस्ट मैचों की सीरीज खेल रही है जिसकी शुरुआत 25 नवंबर से हो चुकी है। इसके बाद साल के अंत में भारतीय टीम साउथ अफ्रीका दौरे पर जाएगी। इस दौरे पर दोनों टीमें तीन टेस्ट, तीन वनडे और चार टी-20 मैचों की सीरीज खेलेगी। इस दौरे की शुरुआत 17 दिसंबर को पहले टेस्ट मैच के साथ होगी। हालांकि इस दौरे के लिए अभी भारतीय टीम का एलान नहीं हुआ है लेकिन पिछले दो सालों से टेस्ट क्रिकेट में भारतीय सलामी बल्लेबाज मुरली विजय की अनुपस्थिति से कयास लगाए जा रहे हैं कि टेस्ट क्रिकेट में उनका करियर लगभग खत्म हो चुका है।

 

दरअसल, भारतीय क्रिकेट टीम के विस्फोटक सलामी बल्लेबाज रोहित शर्मा मौजूदा समय में सबसे बेहतरीन ओपनर बल्लेबाजों में गिने जाते हैं। हाल ही में टी-ट्वेंटी टीम की कप्तानी हासिल कर चुके रोहित का बीते कुछ सालों में बेहद शानदार प्रदर्शन रहा है। उन्होंने सलामी बल्लेबाज के रूप में एक नया इतिहास रच दिया है। सीमित ओवर क्रिकेट में अपना लोहा मनवा चुके ये खिलाड़ी सिर्फ इसी फॉर्मेट में ही नहीं, बल्कि टेस्ट में भी बेस्ट बल्लेबाज है लेकिन रोहित शर्मा के टीम में तीनों फॉर्मेट में जमने के बाद से टेस्ट टीम के ओपनिंग बल्लेबाज मुरली विजय का करियर लगभग खत्म होने की कगार पर है।

टेस्ट क्रिकेट में मुरली विजय एक समय में टीम इंडिया के सबसे भरोसेमंद सलामी बल्लेबाज हुआ करते थे, लेकिन बीते कुछ सालों से विजय को प्लेइंग इलेवन में छोड़िए, टेस्ट स्क्वॉड में भी जगह नहीं मिल पा रही है। साल 2018 की बात है जब आखिरी बार दिसंबर में मुरली ने ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ टेस्ट मैच खेला था। इसके बाद मयंक अग्रवाल ने उनकी जगह मजबूत दावेदारी ठोकी और फिर रोहित शर्मा ने तो उनका पत्ता हमेशा के लिए काट दिया। अब तो ऐसा लगता भी नहीं कि मुरली को दोबारा टीम में चयनकर्ता जगह देंगे। ऐसा इसलिए भी क्योंकि न वो अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट में नजर आते हैं और ना ही घरेलू क्रिकेट अपनी मौजूदगी दर्ज करा रहे हैं।

मुरली विजय के टेस्ट करियर की बात करें तो टीम इंडिया की ओर से उन्होंने अभी तक कुल 61 मुकाबलों में 3 हजार 982 रन बनाये हैं। उनके नाम 12 शतक भी हैं। वनडे और टी20 क्रिकेट में उन्हें कुछ खास मौके नहीं मिले और वो ज्यादा कमाल भी नहीं दिखा सके। बीते 3 साल से वो टीम से बाहर हैं और अब रोहित शर्मा और केएल राहुल की फॉर्म को देखते हुए लगता है कि उन्हें आने वाले समय में टीम में जगह मिलनी नामुमकिन सी लगती है। हिटमैन की बात करें तो वो सिर्फ भारत में ही नहीं बल्कि दुनिया के सर्वश्रेष्ठ सलामी बल्लेबाजों में गिने जाते हैं। वनडे और टी20 फॉर्मेट में जलवा कायम कर चुके इस ओपनिंग बल्लेबाज के नाम टेस्ट क्रिकेट में विदेशी सरजमीं पर एक भी शतक नहीं था, लेकिन हाल ही में इंग्लैंड के खिलाफ हुए टेस्ट दौरे पर उन्होंने ये उपलब्धि भी हासिल कर ली। वनडे क्रिकेट में वो 3 बार डबल सेंचुरी लगा चुके हैं। मौजूदा समय में कोई और बल्लेबाज उनके करीब नहीं है।

मुरली विजय की टीम वापसी की दूसरी वजह कोरोना वैक्सीन लेने से हिचकिचाते हुए मुरली अपनी मर्जी से क्रिकेट से दूर रहे हैं। हालांकि निकट भविष्य में उनके सभी घरेलू कारनामों और 3 हजार 982 टेस्ट रनों के लिए वापसी करना मुश्किल हो सकता है। आईपीएल 2020 में चेन्नई सुपर किंग्स का प्रतिनिधित्व करने के बाद से उन्होंने आउट ऑफ फेवर इंडिया ओपनर ने चयन के लिए खुद को अनुपलब्ध बना लिया था क्योंकि वह बायो-बबल के अंदर रहने के इच्छुक नहीं थे, जो कि बीसीसीआई के मानकों का हिस्सा है। नतीजतन तमिलनाडु के चयनकर्ताओं ने मौजूदा सैय्यद मुश्ताक अली ट्रॉफी के लिए उनके नाम पर विचार नहीं किया। तमिलनाडु क्रिकेट एसोसिएशन ने अब दावा किया है कि भले ही अनुभवी बल्लेबाज राज्य की टीम में वापसी की इच्छा व्यक्त करता है, लेकिन यह ‘बहुत मुश्किल’ होने वाला है। इसके लिए उन्हें प्रशिक्षण पर वापस जाना होगा, अपनी फिटनेस साबित करनी होगी, मैच खेलने से पहले अपनी फॉर्म को साबित करना होगा। पिछले दिसंबर में सैय्यद मुश्ताक अली ट्रॉफी के लिए तमिलनाडु टीम से हटने के बाद से विजय से संपर्क नहीं हुआ है।

 

बोर्ड के एसओपी के साथ अनिवार्य है कि खिलाड़ी पहले से बुलबुले में प्रवेश करें और जब तक कोई टीम में है, तब तक वहां बने रहें, ऐसा करने के लिए विजय की अनिच्छा एक मुद्दा है।
दाएं हाथ के मुरली विजय ने 61 टेस्ट मैचों में 12 शतक और 15 अर्धशतक सहित लगभग 4000 रन बनाए हैं, आखिरी बार दिसंबर 2018 में ऑस्ट्रेलिया में खेले थे। उन्होंने यूएई में आईपीएल 2020 में चेन्नई सुपर किंग्स के लिए प्रदर्शन किया और फ्रैंचाइजी के लिए एक भूलने योग्य सीजन के दौरान मध्यम रिटर्न के बाद उन्हें हटा दिया गया। उनके इस साल की शुरुआत में तमिलनाडु प्रीमियर लीग के साथ एक्शन में लौटने की उम्मीद थी, लेकिन उन्हें इस इवेंट के पांचवें संस्करण से बाहर कर दिया और टीएनसीए फर्स्ट डिवीजन लीग या किसी भी स्थानीय टूर्नांमेंट में भी नहीं खेला।

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