पैरालंपिक में भारतीय प्रतिभाओं ने जो परचम लहराया वह भारतीय खेलों के स्वर्णिम भविष्य का मार्ग प्रशस्त करने वाला है
टोंक्यो में आयोजित पैरालंपिक खेलों का समापन हो गया। भारत के लिहाज से इस बार का पैरालंपिक कई मायनों में यादगार बन गया है। जिस तरह ओलंपिक खेलों में भारत ने दमदार प्रदर्शन किया था उससे कहीं ज्यादा भारत के पैरा एथलीटों ने पैरालिंपिक खेलों में किया है। पैरालिंपिक खेलों के इतिहास में भारत ने इससे पहले कभी इतने पदक नहीं जीते थे, जितने कि इस बार जीते हैं। भारतीय एथलीट ने अपेक्षा से बेहतर प्रदर्शन कर पूरी दुनिया को चौंकाया है।
भारतीय खेलों का जब भी जिक्र होता है, तो पिछले कुछ समय से बाकी खेलों को छोड़ सिर्फ क्रिकेट की बातें ज्यादा होती आ रही हैं। यहां तक कि देश के राष्ट्रीय खेल हॉकी के बजाय देश के खेल प्रेमियों में सबसे ज्यादा क्रिकेट की चर्चा रहती है। समाचार पत्रों और टीवी चैनलों में भी क्रिकेट को ही महत्व दिया जाता रहा है। इन सबके इतर अन्य खेलों में जी तोड़ मेहनत, सच्ची लगन और कठिन चुनौतियों का सामना कर बेहतर प्रदर्शन कर देश को गोल्ड मेडल दिलाने वाले खिलाड़ियों को खेल प्रेमी बमुश्किल कुछ क्षण के लिए ही याद करते हैं। ऐसे में खिलाड़ियों का एक तबका इन प्रतिस्पर्धाओं में दोहरी लड़ाई लड़ता है। एक लड़ाई वह अपने प्रतिद्वंद्वी से तो दूसरी समाज से लड़ रहा होता है। क्योंकि दिव्यांग होना आज भी समाज के एक बड़े तबके में आपको सामान्य से अलग कर देता है। पैरालंपिक खेल ऐसे ही खिलाड़ियों का महाकुंभ है।
पैरालिपंकि में इस बार भारतीय खिलाड़ियों ने न सिर्फ अपने सर्वकालिक रिकॉर्ड को तोड़ा, बल्कि पदकों की संख्या के मामले में भी ऐतिहासिक प्रदर्शन किया। भारत को इस बार रिकॉर्ड पांच स्वर्ण पदक समेत कुल 19 मेडल मिले। इससे पहले वर्ष 1972 से अब तक सभी पैरालंपिक खेलों में कुल मिलाकर 12 पदक जीते थे। अगर हम बात करें उन 19 पदक और उनको जीतने वाले खिलाड़ियों के नामों की जिन्होंने देश का नाम विश्व पटल पर रोशन किया है। भले ही वे किसी न किसी रूप से दिव्यांग थे, लेकिन उनके हौसलों के आगे हर चट्टान चकनाचूर हो गया।
2016 के रियो पैरालिंपिक खेलों में भारत ने चार पदक जीते थे, लेकिन इसके करीब पांच गुने पदक भारतीय खिलाड़ियों ने इस बार टोक्योे में जीते हैं। भारत ने टोक्यो पैरालिंपिक की शुरुआत से पहले इन खेलों में कुल 12 पदक जीते थे, लेकिन जापान की राजधानी में पैरा-एथलीटों की प्रतिभा की बदौलत यह संख्या बढ़कर 31 हो गई। एक ही बार में भारत 19 पदक जीतने में सफल हुआ है।
भारत के इस बेहतरीन प्रदर्शन के बाद खेल विशेषज्ञों का कहना है कि यह भारतीय खेलों के लिए नए युग का आगाज है। इससे पहले पैरालंपिक के प्रति हर तरह से उदासीनता छाई रहती थी, लेकिन इस बार इन खेलों के प्रति सरकार के जिन अधिकारियों ने बड़ा दिल दिखाया है, वे तारीफ के पात्र हैं। जिन्होंने भारत से अपेक्षाकृत एक बड़े दल को पैरालंपिक में भेजकर भरोसा जताया। नौ प्रकार के खेलों में भाग लेने के लिए हमारे 54 खिलाड़ी गए और 19 पदकों के साथ लौटे हैं, तो बेशक यह आनुपातिक रूप से भी बड़ी सफलता है। करीब दस खिलाड़ी तो पदक के करीब पहुंचे। अगर उनका मानसिक स्तर मजबूत होता, तो भारत के आधे खिलाडी पदक जीतकर लौटने में कामयाब होते। पैरालंपिक की जीत इसलिए भी अहम है कि हमारे देश में लोग आज भी दिव्यांगों को खास महत्व नहीं देते हैं। पैरालंपिक में इस बेहतर प्रदर्शन के लिए आज ऐसे लोग अपनी पिछड़ी सोच पर पुनर्विचार कर रहे होंगे।
खिलाड़ियों ने इस बार यह साबित कर दिया है कि अगर उन पर भरोसा किया जाए, तो भविष्य में पदकों की संख्या में और ज्यादा इजाफा देखने को मिलेगा। टोक्यो पैरालिंपिक खेलों में भारत के दो एथलीट ऐसे रहे हैं, जिन्होंने दो-दो पदक अपने नाम किए हैं। इनमें शूटर अवनि लेखरा हैं, जिन्होंने निशानेबाजी की अलग- अलग प्रतियोगिताओं में गोल्ड और ब्रांज मेडल जीता है, जबकि पुरुष निशानेबाज सिंघराज अधाना ने भी दो पदक अपने नाम किए हैं, जिनमें एक सिल्वर मेडल और एक ब्रांज मेडल शामिल है। अवनि के अलावा सुमित अंतिल, मनीष नरवाल, प्रमोद भगत और कृष्णा नगर ने गोल्ड मेडल जीता है।
स्वर्ण पदक विजेता
1. अवनि लेखरा (वुमेंस 10 मीटर एयर राइफल शूटिंग स्टैंडिंग एसएच1)
2. सुमित अंतिल (मेंस जेवलिन थ्रो एफ64)
3. मनीष नरवाल (पी4 मिक्स्ड 50 मीटर पिस्टल एसएच1)
4. प्रमोद भगत (बैडमिंटन मेंस सिंगल्स एसएल3)
5. कृष्णा नागर (बैडमिंटन मेंस सिंगल्स एसएच6)
रजत पदक विजेता
1. भाविना बेन पटेल (वुमेंस सिंगल्स टेबल टेनिस – क्लास 4)
2. निशाद कुमार (मेंस हाई जंप टी47)
3. देवेंद्र झाझरिया (मेंस जेवलिन थ्रो एफ46)
4. योगेश काथुनिया (मेंस डिस्कस थ्रो एफ56)
5. सिंघराज अधाना (पी4 मिक्स्ड 50मीटर पिस्टल एसएच1)
6. मरियप्पन थंगावेलु (मेंस हाई जंप टी63)
7. प्रवीण कुमार (मेंस हाई जंप टी64)
8. सुहास एल यतिराज (बैडमिंटन मेंस सिंगल्स एसएल4
कांस्य पदक विजेता
1. सुंदर सिंह गुर्जर (मेंस जेवलिन थ्रो एफ46)
2. सिंघराज अधाना (मेंस 10 मीटर एयर पिस्टल शूटिंग एसएच1)
3. शरद कुमार (मेंस हाई जंप टी63)
4. अवनि लेखरा (वुमेंस 50मीटर राइफल 3 पोजिशन शूटिंग एसएच1)
5. हरविंदर सिंह (मेंस इंडिविजुअल रिकर्व आर्चरी)
6. मनोज सरकार (बैडमिंटन मेंस सिंगल्स एसएल3)