फटाफट क्रिकेट यानी टी-20 की बढ़ती लोकप्रियता के चलते पिछले कुछ समय से इस खेल की जननी कही जाने वाली टेस्ट क्रिकेट से दर्शक और खिलाड़ी दूरी बनाने लगे हैं। ऐसे में अब भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड ने टेस्ट खेलने वाले खिलाड़ियों को वेतन वृद्धि के साथ बोनस का भी ऐलान कर टेस्ट क्रिकेट के प्रति अलख जगाने का काम किया है
हाल के वर्षों में अंतरराष्ट्रीय स्तर पर टी-20 क्रिकेट की बढ़ती लोकप्रियता के चलते एकदिवसीय और टेस्ट क्रिकेट के प्रसंशकों में भारी गिरावट दर्ज की गई है। जिस तरह खिलाड़ी टेस्ट फॉर्मेट को छोड़कर टी-20 का रुख कर रहे हैं उससे इसकी लोकप्रियता को नुकसान हो रहा है। इसका ताजा उदाहरण हाल में खेली गई रणजी ट्रॉफी में तब देखने को मिला जब मट्टयक्रम बल्लेबाज श्रेयस अय्यर और विकेटकीपर बल्लेबाज ईशान किशन को बीसीसीआई ने घरेलू रणजी ट्रॉफी मैचों में हिस्सा लेने को कहा था लेकिन इन्होंने इसमें दिलचस्पी नहीं दिखाई। जिसके बाद इन्हें सालाना अनुबंट्टा की सूची से बाहर का रास्ता दिखाया गया है। ईशान का मामला भी काफी हद तक श्रेयस अय्यर जैसा है। पिछले साल बीसीसीआई ने सालाना अनुबंट्टा में उन्हें सी ग्रेड में रखा गया था। उस अनुबंट्टा के दौरान उन्होंने भारत के लिए दो टेस्ट, 19 वनडे और 10 टी-20 मैच खेले।
ईशान, दिसंबर-जनवरी में दो टेस्ट मैचों के लिए दक्षिण अफ्रीका के दौरे पर भी नहीं जा पाए थे। उस वक्त कहा गया था कि लगातार सफर करने से वे मानसिक तौर पर थके हुए हैं लेकिन उनके दावों के उलट ऐसा लगा कि उनकी दिलचस्पी टेस्ट मैच खेलने की बजाय आईपीएल की तैयारी में ज्यादा थी। यह स्थिति तब थी जब टीम के प्रमुख कोच राहुल द्रविड़ ने उन्हें राष्ट्रीय टीम में लौटने से पहले पांच दिवसीय क्रिकेट मैचों में हिस्सा लेने की सलाह दी थी।
द्रविड़ की सलाह के बावजूद, ईशान किशन रणजी मैचों को नजरअंदाज करते हुए पांड्या बंट्टाुओं के साथ आईपीएल के अभ्यास के लिए बड़ौदा पहुंच गए। यही नहीं उन्होंने बीसीसीआई को एक बार फिर नाराज किया जब वे मुंबई के डीवाई पाटिल स्टेडियम में हुए एक प्राइवेट टूर्नामेंट में खेलने पहुंच गए।
खिलाडियों के टेस्ट मैचों से इस तरफ दूरी बनाना दर्शाता है कि जब खिलाड़ी ही इसमें दिलचस्पी नहीं ले रहे हैं तो दर्शकों का मोहभंग होना आम हो जाता है। इसके मद्देनजर भारतीय क्रिकेट में अब कुछ क्रांतिकारी बदलाव देखने को मिले हैं। बीसीसीआई ने लाल बॉल फॉर्मेट यानी टेस्ट मैच खेलने वाले खिलाड़ियों पर पैसा बरसाने का ऐलान किया है ताकि खिलाड़ियों के बीच टेस्ट और प्रथम श्रेणी क्रिकेट की दिलचस्पी जगाई जा सके। इन्हीं में से एक प्रस्ताव इस फॉर्मेट में खिलाड़ियों की मैच फीस बढ़ाने का है, जिससे उन्हें निचले मट्टय-स्तर के आईपीएल अनुबंट्टाों की कमाई के करीब लाया जा सके। जिसका अनुकरण करते हुए भारतीय क्रिकेट बोर्ड के सचिव जय शाह ने उन खिलाड़ियों के लिए मौजूदा मैच फीस 15 लाख रुपए से बढ़ाकर 45 लाख करने की घोषणा की है जो प्रत्येक सत्र में कम से कम सात टेस्ट मैच खेलते हैं। यानी एक टेस्ट खिलाड़ी जो एक सत्र में लगभग 10 टेस्ट मैच में हिस्सा लेता है, उसे 4.50 करोड़ रुपए की मोटी धनराशि मिलेगी।
यह राशि ‘रिटेनर फीस’ के इतर होगी जो खिलाड़ी को सालाना केंद्रीय अनुबंध के अंतर्गत मिलती है। बीसीसीआई ने यह कदम तब उठाया है जब एक ओर जहां टेस्ट क्रिकेट की लोकप्रियता में भारी कमी आंकी गई थी, वहीं हाल ही में ईशान किशन और श्रेयस अय्यर जैसे कुछ खिलाड़ी घरेलू क्रिकेट को लगातार नजरअंदाज कर रहे थे। इन खिलाड़ियों ने टेस्ट क्रिकेट को प्राथमिकता देने के बजाय अपनी आईपीएल टीमों के साथ प्रशिक्षण जारी रखने के लिए रणजी ट्रॉफी क्रिकेट को नजरअंदाज किया था जिसके बाद बीसीसीआई ने सख्त रुख अपनाकर टेस्ट खिलाड़ियों को यह सौगात दी है।
टेस्ट मैच खेलने पर मिलेगा बोनस
भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड के सचिव जय शाह ने खिलाड़ियों को टेस्ट क्रिकेट की ओर आकर्षित करने के लिए ‘टेस्ट क्रिकेट इंसेंटिव स्कीम’ की घोषणा की है। इसके लागू होने के बाद टेस्ट क्रिकेट खेलने वाले खिलाड़ियों को अब मैच फीस के अलावा भी अलग से पैसा मिलेगा। वहीं उन खिलाड़ियों के लिए प्रत्येक मैच के लिए मौजूदा 15 लाख रुपए की फीस बढ़ाकर 45 लाख रुपये की है जो एक सत्र में सात या इससे अधिक टेस्ट मैच में हिस्सा लेते हैं।
जय शाह ने ‘टेस्ट क्रिकेट
इंसेंटिव स्कीम’ की शुरुआत की घोषणा करते कहा कि इसका उद्देश्य हमारे सम्मानित खिलाड़ियों को वित्तीय विकास और स्थिरता प्रदान करना है। 2022-23 सीजन से शुरू होकर ‘टेस्ट क्रिकेट प्रोत्साहन योजना’ टेस्ट मैचों के लिए 15 लाख रुपए की मौजूदा मैच फीस के ऊपर एक अतिरिक्त इनाम संरचना के रूप में काम करेगी। टेस्ट मैच की फीस 15 लाख रुपए है, लेकिन एक सीजन में 75 फीसदी से ज्यादा मुकाबले खेलने वाले खिलाड़ी (प्लेइंग इलेवन में) को 45 लाख रुपए प्रति मैच के हिसाब से मिलेंगे, जबकि टीम का हिस्सा रहने वाले सदस्य को 22.5 लाख रुपए प्रति मैच मिलेंगे, वहीं 50 फीसदी यानी करीब 5 या 6 मैच सीजन में खेलने वाले खिलाड़ी को 30 लाख रुपए प्रति मैच के हिसाब से मिलेंगे। इसके अलावा प्लेइंग-11 से बाहर रहने वाले खिलाड़ियों को 15 लाख रुपए प्रति मैच मिलेंगे। साथ ही अगर कोई खिलाड़ी 50 फीसदी सीजन में 9 टेस्ट हो और उसमें से 4 या कम मैच खेले तो उसे इंसेंटिव नहीं मिलेगा। ऐसे खिलाड़ियों को सिर्फ मैच फीस 15 लाख रुपए प्रति मैच ही मिलेंगे।
इससे पहले एक खिलाड़ी एक सीजन में सभी 10 रणजी मैच खेलकर लगभग 25 लाख रुपए कमाता था, जबकि एक आईपीएल खिलाड़ी के लिए आट्टाार मूल्य 20 लाख रुपए है। यह देखा गया है कि तेज गेंदबाज, आईपीएल ऑक्शन में बेस प्राइस के बराबर कमाई करने के लिए प्रथम श्रेणी क्रिकेट खेलकर इंजरी से जूझना नहीं चाहता। ऐसे में टीम मैनेजमेंट और चयनकर्ताओं की सिफारिशों के बाद बीसीसीआई पारिश्रमिक में पर्याप्त वृद्धि पर विचार किया गया और टेस्ट मैच खेलने वाले खिलाड़ियों को बोनस देेने की घोषणा की गई है।
गौरतलब है कि हालिया समय में भारत के बड़े घरेलू प्रथम श्रेणी टूर्नामेंट, रणजी ट्रॉफी की गुणवत्ता में काफी गिरावट आई है, जिसमें कई खिलाड़ी इंजरी और वर्कलोड मैनेजमेंट का बहाना बनाकर खेलने से कतराते हैं। बोर्ड ने आईपीएल ऑक्शन खत्म होने के बाद भी खिलाड़ियों में रणजी ट्रॉफी में न खेलने की इच्छा देखी है, जिससे उपलब्ट्टा खिलाड़ियों का पूल कम हो गया है। बोर्ड का उद्देश्य उन खिलाड़ियों को पुरस्कृत करना है जो आईपीएल क्रिकेट के बराबर स्तर पर प्रथम श्रेणी क्रिकेट खेल रहे हैं, इसके लिए उनकी सैलरी बढ़ाने की जरूरत है।
खेल विशेषज्ञों का कहना है कि एक समय था जब क्रिकेट में वनडे फॉर्मेट को खेल प्रेमी खूब पसंद करते थे लेकिन टी- 20 के आने से उसमें भारी गिरावट देखने को मिली है, वहीं टेस्ट क्रिकेट लगातार अपने अस्तित्व के लिए लड़ाई लड़ रहा है क्योंकि कई देश पांच दिवसीय क्रिकेट में दिलचस्पी नहीं ले रहे हैं। जिम्बावे सरीखे छोटे देशों में क्रिकेट को बचाए रखने की बड़ी चुनौती है। इन देशों के क्रिकेट बोर्ड के पास पैसा नहीं है। यही कारण है कि जिम्बावे ने 2017 में फैसला किया था कि वह अट्टिाक से अट्टिाक मैच अपने देश से बाहर खेलेंगे। एक आंकड़े के मुताबिक कोरोना महामारी के बाद खेल प्रेमी वनडे क्रिकेट को कम पसंद कर रहे हैं। टी-20 क्रिकेट तीन से चार घंटे में समाप्त हो जाता है जिसके लिए प्रसारक को भी आसानी होती है जबकि एक वनडे मैच 8 से 9 घंटे के बीच खत्म होता है। ऐसे में वनडे सीरीज के लिए प्रसारकों की दिलचस्पी भी कम हो गई है। यही कारण है कि कुछ महीने पहले मेलबर्न क्रिकेट क्लब (एमसीसी) ने वनडे में द्विपक्षीय सीरीज को बंद करने की सलाह दी थी। इंटरनेशनल क्रिकेट काउंसिल के चेयरमैन ग्रेग बार्कले ने चेताया था कि घरेलू टी-20 लीगों की बढ़ती संख्या से द्विपक्षीय सीरीज छोटी होती जा रही हैं और अगले दशक में इससे टेस्ट मैचों की संख्या में कटौती हो सकती है।
चुनौतियों का सामना कर रहा टेस्ट क्रिकेट
पिछले कुछ वर्षों से टेस्ट क्रिकेट को दर्शकों की संख्या में गिरावट का सामना करना पड़ रहा है। टेस्ट क्रिकेट के प्रति राय और भावनाएं हर कुछ महीनों में सोशल मीडिया पर बदलती रहती हैं, जिसमें इसे ‘सर्वश्रेष्ठ प्रारूप’ कहे जाने से लेकर क्या टेस्ट क्रिकेट का अस्तित्व खतरे में है तक शामिल है। कई प्रशंसक अब टी-20 क्रिकेट की तेज-तर्रार प्रकृति में अट्टिाक रुचि रखते हैं, जो युवा दर्शकों के लिए अट्टिाक आकर्षक है। इसमें सबसे ज्यादा इंडियन प्रीमियर लीग (आईपीएल) जैसी लीगों ने खेल के छोटे प्रारूपों की लोकप्रियता में बड़े पैमाने पर योगदान दिया है।
टेस्ट क्रिकेट को बचाए रखने के उपाय
आईसीसी और दुनिया भर के क्रिकेट बोर्ड टेस्ट क्रिकेट के भविष्य को सुनिश्चित करने के लिए कई उपाय कर रहे हैं। ऐसा ही एक उपाय विश्व टेस्ट चैम्पियनशिप की शुरुआत है। चैम्पियनशिप शीर्ष नौ टेस्ट खेलने वाले देशों के बीच एक प्रतियोगिता है, जिसका फाइनल हर दो साल में आयोजित किया जाता है। एक अन्य उपाय खेल की पहुंच का विस्तार है। आईसीसी संयुक्त राज्य अमेरिका और चीन जैसे नए बाजारों में टेस्ट क्रिकेट को बढ़ावा देने के लिए काम कर रहा है। आईसीसी डिजिटल प्लेटफॉर्म के माध्यम से टेस्ट क्रिकेट को प्रशंसकों के लिए अट्टिाक सुलभ बनाने के लिए भी कोशिश कर रहा है। संघर्षरत टेस्ट देश भी क्रिकेट के लंबे प्रारूप को सुरक्षित रखने के लिए अट्टिाक फंडिंग और समर्थन की मांग कर रहे हैं।
टेस्ट की लोकप्रियता में कमी के कारण
टेस्ट क्रिकेट पिछले कुछ वर्षों से कई चुनौतियों का सामना कर रहा है, जिसमें दर्शकों की संख्या में गिरावट, खेल के छोटे प्रारूपों का उदय और वैश्विक क्रिकेट कैलेंडर की आवश्यकता शामिल है। हालांकि आईसीसी और दुनिया भर के क्रिकेट बोर्ड टेस्ट क्रिकेट के भविष्य को सुनिश्चित करने के लिए कई उपाय कर रहे हैं जिससे टेस्ट क्रिकेट फलता- फूलता रह सकता है और खेल का एक महत्वपूर्ण हिस्सा बना रह सकता है।
क्या है टी-20 को तरजीह देने की वजह
इसके पीछे सबसे बड़ा फैक्टर पैसा है। वनडे मैच से ज्यादा कमाई तब हो पाती है जब मुकाबला रविवार या छुट्टियों पर हो, क्योंकि खेल पूरे दिन चलता है। स्कूल कॉलेज या ऑफिस में मौजूद खेल प्रेमी को ग्राउंड पर या टीवी के सामने लाना मुश्किल होता है। टी-20 में यह बाट्टयता नहीं है। टी-20 मुकाबले स्कूल, कॉलेज, ऑफिस के बाद शुरू कर उसी समय खत्म किए जा सकते हैं जिस समय वनडे खत्म होते हैं। इसलिए दुनियाभर में प्रसारक एक टी-20 मैच के लिए क्रिकेट बोर्ड को उतनी ही रकम देते हैं जितनी एक वनडे और एक टेस्ट मैच के लिए देते हैं। ऐसे में टी-20 की वजह वनडे और टेस्ट मैच कम हो रहे हैं।