भारतीय क्रिकेट टीम नए साल में नई उम्मीदों और लक्ष्यों के साथ आगामी चुनौतियों की तैयारी में जुट चुकी है। भारतीय क्रिकेट बोर्ड ने साल के पहले दिन ही नए अध्यक्ष रोजर बिन्नी की अध्यक्षता में टीम इंडिया की एक रिव्यू मीटिंग बुलाई जिसमें इस साल भारत में होने वाले एकदिवसीय वर्ल्ड कप के लिए कुछ कड़े कदम उठाए हैं। बीसीसीआई के रुख से साफ पता चलता है कि भारतीय क्रिकेट के लिए यह साल बहुत खास और चुनौतीपूर्ण होने वाला है। दरअसल पिछले साल ऑस्ट्रेलिया में टी-20 वर्ल्ड कप और उससे पहले यूएई में एशिया कप में निराशाजनक प्रदर्शन के बाद बीसीसीआई अब एक्शन मोड में नजर आ रही है
भारत में वनडे वर्ल्ड कप 2023 का आयोजन अक्टूबर-नवंबर के महीने में होना है। नए साल के पहले दिन बीसीसीआई की रिव्यू बैठक हुई है। इस मीटिंग में एक बड़ा फैसला जो लिया गया उसके मुताबिक 20 संभावित खिलाड़ियों का वर्ल्ड कप के लिए चुनाव कर लिया गया है। मीटिंग में आए फैसले के मुताबिक इन्हीं 20 खिलाड़ियों को पूरे साल वनडे क्रिकेट में रोटेट किया जाएगा और इसी में से एक फाइनल स्क्वॉड तैयार होगा। दरअसल बीसीसीआई की इस मीटिंग में आईसीसी क्रिकेट विश्व कप 2023 के रोडमैप के साथ बैठक के दौरान खिलाड़ी की उपलब्धता, कार्यभार प्रबंधन और फिटनेस मापदंडों के मुद्दों पर भी विस्तार से चर्चा की गई। पहली बार भारत पूरे वर्ल्ड कप की मेजबानी अकेले करेगा। संयोग से, भारत का आखिरी वनडे विश्व कप खिताब 2011 में घर पर ही आया था। वहीं 2013 से टीम ने कोई आईसीसी ट्रॉफी नहीं जीती है। ऐसे में तकरीबन एक दशक के इस इंतजार को खत्म करने के लिए बोर्ड अब हर कठोर कदम उठाने को तैयार नजर आ रहा है।
वनडे वर्ल्ड कप से पहले टीम इंडिया 5 सीरीज खेलेगी। सभी में 3-3 मैच होंगे। 50 ओवर का एशिया कप भी खेला जाएगा। 20 प्लेयर्स के पास खुद को साबित करने के लिए 15 से ज्यादा वनडे मैच रहेंगे। इस बार का वनडे वर्ल्ड कप पूरी तरह से भारत में खेला जाएगा। हालांकि शॉर्टलिस्ट किए गए 20 प्लेयर्स के नाम अब तक जारी नहीं किए गए हैं।
इंटरनेशनल क्रिकेट को प्राथमिकता
भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड के प्रेसिडेंट रोजर बिन्नी ने वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए मीटिंग अटैंड की। मीटिंग में तय हुआ कि आने वाले दिनों में इंटरनेशनल क्रिकेट और बाइलैट्रल सीरीज को तवज्जो दी जाएगी।
फिटनेस पर सख्ती
बीसीसीआई की बैठक में एक बार फिर यो-यो टेस्ट को ही फिटनेस टेस्ट का पैमाना बताया गया। बीसीसीआई ने तय किया कि खिलाड़ियों की फिटनेस बहुत जरूरी है। टीम इंडिया का हिस्सा बनने के लिए उन्हें डेक्सा स्कैन और यो-यो टेस्ट पास करना जरूरी है। डेक्सा हड्डियों का स्कैन टेस्ट होता है और यो-यो टेस्ट में खिलाड़ियों को 20-20 मीटर के स्प्रिंट लगाने होते हैं।
गौरतलब है कि 1 जनवरी को मुंबई में बीसीसीआई की रिव्यू मीटिंग हुई जिसमें अध्यक्ष रोजर बिन्नी, टीम इंडिया के हेड कोच राहुल द्रविड़, कप्तान रोहित शर्मा, एनसीए चीफ वीवीएस लक्ष्मण और पूर्व चयनकर्ता चेतन शर्मा मौजूद रहे। इस मीटिंग में यो-यो टेस्ट और डेक्सा टेस्ट अनिवार्य करने का फैसला किया गया। वहीं क्रिकबज की रिपोर्ट के मुताबिक बीसीसीआई ने आगामी वर्ल्ड कप के मद्देनजर एक बड़ा फैसला लेते हुए 20 खिलाड़ियों को चुना है जो टीम इंडिया के वर्ल्ड कप प्लान का हिस्सा है।
आईपीएल 2023 पर भी बड़ा फैसला
भारत के प्रमुख खिलाड़ियों के वर्कलोड, विशेष रूप से अक्सर चोटिल होने वाले प्लेयर्स की निगरानी आईपीएल 2023 के दौरान बीसीसीआई की राष्ट्रीय क्रिकेट अकादमी और आईपीएल फ्रेंचाइजी द्वारा मिलकर की जाएगी। यह अक्टूबर और नवंबर में होने वाले 50 ओवरों के विश्व कप और जून में होने वाले विश्व टेस्ट चैम्पियनशिप फाइनल से पहले खिलाड़ियों के कार्यभार के प्रबंधन की बीसीसीआई की नई नीति के अनुसार है। यानी कि अब बीसीसीआई खिलाड़ियों के वर्कलोड को कम करने के लिए उन्हें आईपीएल में भाग लेने से भी रोक सकता है। गौरतलब है कि इस साल भारत में होने वाले वर्ल्ड कप को ध्यान में रखते हुए बीसीसीआई ने यह बड़ा फैसला लिया है।

भारत के लिए बड़ा अवसर
साल 2023 में भारतीय क्रिकेट के लिए सबसे बड़ा अवसर वनडे विश्वकप होगा। क्रिकेट इतिहास में पहली बार वनडे विश्वकप सिर्फ भारत में ही आयोजित किया जाएगा। संभवतया रोहित और कोहली के लिए यह आखिरी विश्वकप होगा। बुमराह, भुवनेश्वर, राहुल जैसे खिलाड़ी भी अपने लंबे क्रिकेट करियर में पहली बार विश्वकप की ट्रॉफी पर हाथ जमाना चाहेंगे। इस विश्वकप से इतनी उम्मीदें इसलिए हैं क्योंकि भारत धोनी की कप्तानी में आखिरी बार विश्वकप भारतीय जमीन पर ही जीता था। पिछले एक दशक में घरेलू मैदान पर भारत का रिकॉर्ड शानदार रहा है, जो टीम के मनोबल को जरूर बढ़ाएगा।
हालांकि चुनौतियां भी कम नहीं होंगी। सबसे बड़ा चैलेंज वर्ल्ड कप विनर टीम तैयार करना होगा। पिछले कुछ टूर्नामेंट्स में भारतीय टीम मोर्चे पर फेल होती रही है, जिसकी सबसे बड़ी वजह जरूरत से ज्यादा प्रयोग करना है। अभी भी दर्जनों काबिल खिलाड़ी टीम से जुड़ने की कतार में हैं। ऑस्ट्रेलिया, इंग्लैंड, न्यूजीलैंड, दक्षिण अफ्रीका और पाकिस्तान की मजबूत टीमें भी बैटिंग फ्रेंडली पिचों पर भारत के लिए बड़ी चुनौतियां पैदा कर सकती हैं। पाकिस्तान के टूर्नामेंट में हिस्सेदारी पर संशय है, और यह उनकी भारत आने की इच्छा और केंद्र सरकार के रवैये पर निर्भर करेगा। साल 2011 में भारत में हुए विश्वकप से लेकर अब तक क्रिकेट काफी बदल चुका है। नए नियम होंगे, नई टीमें होंगी और नई उम्मीदें होंगी।

गौरतलब है कि इस साल वनडे वर्ल्ड कप के साथ ही वर्ल्ड टेस्ट चैंपियनशिप का फाइनल भी होना है। अगर भारत फरवरी- मार्च के दौरान ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ 4 टेस्ट की सीरीज जीत लेता है तो टीम लगातार दूसरी बार वर्ल्ड टेस्ट चैंपियनशिप का फाइनल खेल सकती है। पिछली बार भी भारत ने फाइनल खेला था, लेकिन उसे न्यूजीलैंड के खिलाफ 8 विकेट से हार मिली थी।
10 साल में घर में 74 में से 47 मैच जीते
भारत को सबसे बड़ा फायदा घर में खेलने का मिलेगा। भारत ने पिछले एक दशक में यहां जितने मुकाबले जीते हैं, उतने तो किसी दूसरी टीम ने खेले भी नहीं हैं। डे-नाइट मैच में ओस की भूमिका भी बढ़ जाती है और भारत को ऐसी परिस्थतियों में खेलने और जीतने का ज्यादा अनुभव है। भारत ने 10 सालों में घरेलू मैदान पर 74 में से 47 मैच जीते और सिर्फ 25 हारे हैं।