भारत के लिए 18वें एशियाई खेलों का पहला दिन मिलाजुला रहा। बजरंग पुनिया ने उम्मीदों पर खरा उतरते हुए पुरुषों की 65 किलोग्राम भारवर्ग फ्री स्टाइल स्पर्धा में स्वर्ण पदक अपने नाम किया तो वहीं दो बार के ओलम्पिक पदक विजेता सुशील कुमार 74 किलोग्राम भारवर्ग फ्रीस्टाइल स्पर्धा के पहले ही दौर में बाहर हो गए। निशानेबाजी में अपूर्वी चंदेला और रवि कुमार ने 10मीटर एयर राइफल मिश्रित टीम स्पर्धा मेंभारत की झोली में कांस्य पदक डाला, लेकिन युवा निशानेबाज मनु भास्कर और उनके जोड़ीदार अभिषेक वर्मा 10 मीटर पिस्टल की मिश्रित टीम स्पर्धा में पदक नहीं हासिल कर सके।
गोल्डकोस्ट राष्ट्रमंडल खेलों में स्वर्ण पदक जीतने वाले भारत के पहलवान बजरंग पूनिया ने अपने नाम के अनुरूप करिश्माई प्रदर्शन करते हुये 18वें एशियाई खेलों में भारत को पहला स्वर्ण पदक दिला दिया। बजरंग ने कुश्ती मुकाबलों के 65 किग्रा फ्री स्टाइल वजन वर्ग के फाइनल में जापान के दाइची ताकातानी को 11-8 से पराजित कर एशियाई खेलों में अपना पहला स्वर्ण पदक जीत लिया। बजरंग ने लगातार बेहतरीन प्रदर्शन किया और अपने रास्ते के सभी पहलवानों को धूल चटाते हुए यह खिताब अपने नाम किया। बजरंग ने चार साल पहले इंचियोन एशियाई खेलों में 61 किग्रा वर्ग में रजत पदक जीता था और इस बार उन्होंने 65 किग्रा वर्ग में उतरकर देश को सोना दिलाया।
फाइनल में बजरंग को जापानी पहलवान ने कड़ी टक्कर दी लेकिन बजरंग ने निर्णायक मौकों पर अछ्वुत प्रदर्शन किया और भारतीय खेमे में खुशी की लहर दौड़ गयी। बजरंग के स्वर्ण जीतते ही इंडोनेशिया में तिरंगा लहरा उठा। बजरंग के गुरु योगेश्वर दत्त ने 2014 के पिछले इंचियोन एशियाई खेलों में 65 किग्रा वर्ग में स्वर्ण पदक जीता था और अब बजरंग ने योगेश्वर की उपलब्धि को दोहरा दिया।
बजरंग ने फाइनल में आक्रामक अंदाज में शुरुआत की और 70 सेकेंड में ही 6-0 की बढ़त बना ली। ताकातानी ने वापसी की कोशिश करते हुए बार बार बजरंग के पैरों पर अटैक किया और चार अंक लेकर पहले राउंड में स्कोर 6-4 कर दिया। दूसरे राउंड में ताकातानी ने स्कोर 6-6 से बराबर कर दिया। बजरंग ने जापानी पहलवान की रणनीति को भांपते हुए उन्हें अपने पैरों से दूर रखा और चार अंक लेकर स्कोर 10-6 कर दिया।
इसी हमले में जापानी पहलवान को भी दो अंक मिले और स्कोर 10-8 हो गया। अंतिम 30 सेकेंड बचे थे और बजरंग को अपनी बढ़त बचानी थी। समय समाप्त होते ही भारतीय खेमा खुशी से उछल पड़ा जबकि जापानी खेमे ने विरोध दर्ज कराया लेकिन उसे एक अंक का नुकसान उठाना पड़ा। बजरंग ने 11-8 के स्कोर से स्वर्ण पदक जीत लिया।