हाॅकी की दिग्गज खिलाड़ी वंदना कटारिया ने 15 सालों तक भारत के लिए मैदान पर अपने अद्वितीय खेल का प्रदर्शन कर अंतरराष्ट्रीय हाॅकी को अलविदा कह दिया है। अपनी हिम्मत, समर्पण और उत्कृष्टता से कई युवाओं के लिए प्रेरणा स्रोत बनीं कटारिया ने कई महत्वपूर्ण उपलब्धियां हासिल की हैं। वंदना ने अपने करियर में केवल हाॅकी नहीं खेला, वे भारत सरकार के ‘बेटी पढ़ाओ, बेटी बचाओ’ अभियान से भी जुड़ी रहीं और सामाजिक सरोकरों के लिए भी भरपूर योगदान दिया। खेल विश्लेषकों का कहना है कि कटारिया यात्रा न केवल एक खिलाड़ी के रूप में प्रेरणादायक रही है, बल्कि उनके योगदान से भारतीय महिला हाॅकी को भी वैश्विक मंच पर एक नई पहचान मिली है
भारतीय हाॅकी की दिग्गज खिलाड़ी वंदना कटारिया ने अंतरराष्ट्रीय हाॅकी से संन्यास की घोषणा कर दी है। वंदना ने देश के लिए 300 से ज्यादा मैच खेले हैं। उन्होंने टोक्यो ओलम्पिक 2020 में साउथ अफ्रीका के खिलाफ गोल की हैट्रिक लगाई थी। ऐसा करने वाली वह पहली महिला खिलाड़ी बनी। वंदना उत्तराखण्ड के हरिद्वार के रोशनाबाद की रहने वाली हैं। वह अपने खेल से तब चर्चा में आईं जब उन्होंने जूनियर विश्वकप 2013 में सबसे ज्यादा पांच गोल किए थे। इस विश्वकप में भारत ने ब्राॅन्ज मेडल जीता था। इस प्रदर्शन के बाद उन्हें भारतीय सीनियर महिला हाॅकी टीम में खेलने का मौका मिला। भारत के लिए खेलते हुए उन्होंने 2014 एशियन गेम्स में ब्राॅन्ज मेडल जीता था। इसके बाद 2018 एशियन गेम्स में सिल्वर और 2023 में ब्राॅन्ज मेडल जीता। वंदना ने कप्तान के तौर पर भारत को एशियन चैम्पियंस ट्राॅफी 2016 में गोल्ड मेडल जिताया। वहीं 2018 में सिल्वर मेडल जीतने के साथ उन्होंने प्लेयर आॅफ द टूर्नामेंट का खिताब भी जीता था तो 2022 काॅमनवेल्थ गेम्स में ब्राॅन्ज मेडल हासिल किया और टोक्यो ओलम्पिक 2020 में चैथे स्थान पर फिनिश किया था जिसमें वंदना ने बहुत अहम भूमिका निभाई थी।
वंदना द्वारा भारतीय हाॅकी को दिए गए योगदानों और शानदार खेल के लिए उन्हें कई अवाॅर्ड्स भी दिए गए हैं। जिसमें से उन्हें 2021 में अर्जुन अवाॅर्ड, 2022 में पद्म श्री से सम्मानित किया गया। वंदना ने भारत के लिए खेलते हुए कुल 320 मैचों में 158 गोल अपने नाम किए हैं। इस तरह एक लंबी और शानदार यात्रा के बाद, 32 वर्षीय वंदना ने 15 सालों तक भारत के लिए मैदान पर अपने अद्वितीय खेल का प्रदर्शन कर अंतरराष्ट्रीय हाॅकी को अलविदा कह दिया है। अपनी हिम्मत, समर्पण और उत्कृष्टता से कई युवाओं के लिए प्रेरणा स्रोत बनीं कटारिया ने अपने करियर में कई महत्वपूर्ण उपलब्धियां हासिल की हैं। वंदना ने अपने करियर में केवल हाॅकी नहीं खेला, वे भारत सरकार के ‘बेटी पढ़ाओ, बेटी बचाओ’ अभियान से भी जुड़ी रहीं और सामाजिक सरोकरों के लिए भी भरपूर योगदान दिया।
वंदना ने रिटायरमेंट लेते हुए कहा, ‘आज भारी लेकिन कृतज्ञ मन से मैं अंतरराष्ट्रीय हाॅकी से विदा ले रही हूं। यह फैसला सशक्त करने वाला और दुखी करने वाला दोनों है। मैं इसलिए नहीं हट रही हूं क्योंकि मेरे अंदर की आग मंद पड़ गई है या मेरे भीतर हाॅकी नहीं बची है, बल्कि इसलिए क्योंकि मैं अपने करियर के शिखर पर संन्यास लेना चाहती हूं, जबकि मैं अभी भी अपने सर्वश्रेष्ठ स्तर पर हूं।’ उन्होंने आगे कहा , ‘यह विदाई थकान की वजह से नहीं है। यह अंतरराष्ट्रीय मंच को अपनी शर्तों पर छोड़ने का एक विकल्प है, मेरा सिर ऊंचा रहेगा और मेरी स्टिक अभी भी आग उगल रही होगी। भीड़ की गर्जना, हर गोल का रोमांच और भारत की जर्सी पहनने का गर्व हमेशा मेरे मन में गूंजता रहेगा।’ अपनी साथी खिलाड़ियों, अपनी बहनों से मैं यही कहूंगी कि आपके लगाव और विश्वास ने मुझे बल दिया। मेरे कोचों और मेंटर्स ने अपनी सूझ-बूझ और मुझ पर भरोसे के सहारे मेरे करियर को तराशा।
खेल विश्लेषकों का कहना है कि कटारिया का यह विदाई बयान उनके बेहतरीन करियर की समाप्ति नहीं, बल्कि एक नए अध्याय की शुरुआत को दर्शाता है। उनकी यात्रा न केवल एक खिलाड़ी के रूप में प्रेरणादायक रही है, बल्कि उनके योगदान से भारतीय महिला हाॅकी को भी वैश्विक मंच पर एक नई पहचान मिली है। गौरतलब है कि भारत को टैलेंट की खान कहा जाता है। छोटे घर से निकलने वाले बच्चे देश की शान बनते हैं। दुनियाभर में तिरंगे का मान रखते हैं। अब भारतीय महिला टीम की दिग्गज खिलाड़ी वंदना कटारिया को ही देखें तो वह उत्तराखण्ड (तब उत्तर प्रदेश) के हरिद्वार के रोशनाबाद में 15 अप्रैल 1992 को जन्मी इस खिलाड़ी ने दुनियाभर में अपनी हाॅकी की जादूगरी दिखाई। टोक्यो ओलंपिक 2020 में साउथ अफ्रीका के खिलाफ नाजुक स्थिति में हैट्रिक लगाकर जीत दिलाई तो ओलंपिक में पहली भारतीय महिला हाॅकी खिलाड़ी होने का सम्मान जुड़ा। 2021 में वह पीएम नरेंद्र मोदी के प्रमुख अभियान ‘बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ’ की ब्रांड एम्बेसडर भी बनीं और शून्य से शिखर तक का सफर तय कर अब हाॅकी से रिटायरमेंट का ऐलान कर दिया है। भारत के लिए 320 मैच खेल चुकी स्ट्राइकर कटारिया ने भारतीय महिला हाॅकी के इतिहास में सबसे ज्यादा मैच खेले हैं। वर्ष 2009 में सीनियर टीम में पदार्पण करने वाली वंदना कटारिया ने अपने करियर का आखिरी मुकाबला भुवनेश्वर में एफआईएच प्रो लीग में भारत के लिए खेला।