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पश्चिम बंगाल में भाजपा को पटखनी देने के बाद तृणमूल कांग्रेस की अध्यक्ष ममता बनर्जी का कद तेजी से बढ़ा है। इस कद बढ़ने के साथ ही दीदी की महत्वाकांक्षाओं में भी बढ़ोत्तरी देखने को मिली। ममता ने पूर्वोत्तर के राज्यों समेत देश भर में अपनी पार्टी का विस्तार अभियान शुरू कर डाला। अपनी इस मुहिम को दीदी ने कांग्रेस में भारी तोड़-फोड़ के जरिए आगे बढ़ाने का काम किया। गोवा में खासकर ममता के इस अभियान के चलते कांग्रेस को भारी नुकसान हुआ। अब लेकिन दीदी का जादू तेजी से घटने लगा है। कांग्रेस छोड़ तृणमूल में शामिल हुए नेता मात्र कुछ महीनों के भीतर ही घर वापसी करने लगे हैं। पार्टी के पूर्व विधायक लाबू मामलेदार और मोहिद्दीन आरिफ ने तृणमूल का साथ छोड़ वापस कांग्रेस ज्वाइन कर लिया है। गोवा प्रदेश के कार्यकारी अध्यक्ष और तीन बार के विधायक अलेक्सो बारेंसो भी कांग्रेस में वापसी कर चुके हैं। बारेंसो ने तृणमूल को ज्वाइन करने के अपने फैसले पर खेद जताते हुए सार्वजनिक माफी तक मांग ली है। जानकारों का दावा है कि तृणमूल नेता और ममता बनर्जी के भतीजे अभिषेक बनर्जी संग गोवा के नेताओं की पटरी नहीं बैठ पा रही है। खबर जोरों पर है कि वरिष्ठ कांग्रेसी नेता और पूर्व मुख्यमंत्री लुइजिन्हो फ्लेरियो भी तृणमूल छोड़ने का मन बना रहे हैं। फ्लेरियो को कुछ अर्सा पहले ही तृणमूल ने राज्यसभा सदस्य बनाया है। पार्टी सूत्रों की माने तो अभिषेक बनर्जी की कार्यशैली से फ्लेरियो इतने खफा हैं कि वे कभी भी राज्यसभा से इस्तीफा देकर कांग्रेस में वापसी कर सकते हैं। राजनीतिक गलियारों में चर्चा शुरू हो चली है कि ममता बनर्जी का तिलिस्म अब टूटने लगा है। गोवा चुनाव नतीजों के बाद बहुत संभव है कि तृणमूल का राज्य से बोरिया बिस्तर गोल हो जाए।

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