उत्तराखण्ड में त्रिवेंद्र सिंह रावत के स्थान पर तीरथ सिंह रावत की मुख्यमंत्री पद पर ताजपोशी ने एक बार फिर से साबित कर दिया कि भाजपा किसी भी महत्वपूर्ण निर्णय को अंत समय तक छिपाए रखने की नीयत के चलते मीडिया को जानबूझ कर गलत सूचना फीड करती है। विशेषकर राजनीतिक मामलों में मीडिया को बताया कुछ जाता है, निर्णय कुछ और से लिया जाता है। उत्तराखण्ड में सीएम बदलने की कवायद के दौरान सबसे ज्यादा नाम राज्य के शिक्षा राज्य मंत्री धन सिंह रावत का नए सीएम बतौर उछाला। उन्हें हेलीकाॅप्टर से एयरलिफ्ट करा देहरादून पहुंचाने की खबर कुछ इस तरह प्रचारित कराई गई कि सबको इस पर यकीन हो जाए। अन्य नामों में सांसद अजय भट्ट, डाॅ निशंक और सतपाल महाराज का भी आगे किया गया लेकिन ताजपोशी तीरथ सिंह रावत की करा दी गई। ठीक ऐसा ही 2017 में उत्तर प्रदेश का सीएम चुनते वक्त हुआ था। नाम चला पूर्व केंद्रीय मंत्री मनोज सिन्हा का। उन्हें प्रोटोकाॅल भी उपलब्ध करा दिया गया। सत्ता की कुंजी लेकिन योगी के हाथों सौंपी गई। गुजरात में खबर चली नितिन पटेल के सीएम बनने की, ताजपोशी विजय रुपानी की कराई गई। महाराष्ट्र में देवेन्द्र फडनवीस जब सरकार बनाने में विफल रहे तो जोर-शोर से चंद्रकांत पाटिल का नाम आगे किया गया, शपथ लेकिन सुबह-सुबह देवेंद्र की करा दी गई। मीडिया विशेषज्ञों से लेकर पुरानी सोच के भाजपाई नेता तक पार्टी की इस नई रणनीति का कारण समझ पाने में असमर्थ बताए जा रहे है।
मीडिया को बरगलाने की भाजपा नीति
