यूरोपियन यूनियन के संसद में अलग-अलग मोबाइल फोन में अलग-अलग चार्जर लगाने की जरूरत न रहे इसलिए सभी कंपनियों के मोबाइल फोन और टैबलेट में एक जैसी चार्जिंंग पोर्ट देने की मांग उठी है।
यूरोपियन यूनियन के मेंबर्स की ओर से हाल ही में इससे सम्बंधित बिल पेश किया गया है। बिल में सभी इलेक्ट्रॉनिक और टेक्नोलॉजी मैन्युफैक्चरिंग कंपनियों के मोबाइल फोन में एक ही तरह की चार्जिंग पोर्ट देने की की बात कही गई है।
सांसदों का कहना है कि एक तरह के चार्जर होने से ई-वेस्ट में कमी आएगी। लेकिन एप्पल का कहना है कि इस बिल के आने के बाद ई-वेस्ट अचानक से बढ़ जाएगा। कंपनी की ओर से हाल ही में करीब एक अरब से अधिक डिवाइस को लाइटनिंग कनेक्टर सहित मेन्यूफैक्चर कराया गया है।
साथ ही एप्पल का यह भी कहना है कि कॉमन चार्जर होने से इनोवेशन कम हो जाएगा। साथ ही यह एक चार्जिंग पोर्ट एंड्रॉयड और आईओएस दोनों डिवाइस में देना अपने आप में एक बड़ा चैलेंज है।
एप्पल को छोड़कर सभी कंपनियां अपने डिवाइस में टाइप सी चार्जिंग पोर्ट देने लगी हैं। टाइप सी चार्जिंग पोर्ट तकनीक का उपयोग गूगल, नेक्सस और माइक्रोसॉफ्ट लुमिया सहित कई फोन में प्रयोग किया गया है।
सबसे पहले एप्पल की ओर से अपने मैकबुक में इस पोर्ट का उपयोग किया गया था। इसके बाद गूगल की तरफ से लॉन्च किए गए एलजी नेक्सस और हुआवई नेक्सस 6पी में भी इस तकनीक का उपयोग किया गया था।