उत्तर प्रदेश में जल्द ही ग्यारह विधानसभा सीटों पर उपचुनाव होने वाले हैं। पूरी संभावना है कि अक्टूबर में हरियाणा और महाराष्ट्र विधान चुनावों के संग ही इन उपचुनावों को भी कराया जाएगा। प्रदेश के सीएम योगी आदित्य के लिए ये उपचुनाव अग्नि परीक्षा समान हैं। पार्टी के भीतर उनकी कार्यशैली को लेकर भारी असंतोष की बात सामने आती रहती हैं। उप मुख्यमंत्री केशव मौर्या सरकार गठन के बाद से ही योगी की कुर्सी पर नजर गड़ाए बैठे हैं। ऐसे में ये उपचुनाव योगी सरकार का लिटमस टेस्ट साबित हो सकते हैं। बहुजन समाज पार्टी राज्य में पहली बार उप चुनाव लड़ने का एलान कर चुकी है। इससे पहले बसपा अध्यक्ष का फरमान मान पार्टी उपचुनाव नहीं लड़ा करती थी। सपा संग गठजोड़ खत्म होने के बाद अब मैदान में सपा, बसपा और भाजपा के साथ-साथ कांग्रेस भी जोर आजमाइश करेगी। प्रियंका गांधी पूरे दमखम से उत्तर प्रदेश में काम करती नजर आ रही हैं ऐसे बहुकोणीय मुकाबले में मोदी मैजिक के बजाए वोटर राज्य सरकार की परफारमेंस अनुसार मतदान करेगा। योगी के विरोधी मौके की तलाश में हैं कि कैसे उन्हें सत्ता से हटाया जाए।
योगी की अग्नि परीक्षा बने उपचुनाव
