उत्तर प्रदेश की सियासत में जयंत चौधरी की पार्टी राष्ट्रीय लोक दल यानी आरएलडी काफी अहम प्रभाव रखती है। बीते दिनों पार्टी प्रमुख जयंत चौधरी ने प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से मुलाकात की थी जिसके बाद से ही सियासी गलियारों में ये चर्चाएं तेज हो गई हैं कि जयंत चौधरी कहीं गठबंधन इंडिया से पाला बदल एनडीए तो ज्वाइन नहीं करने वाले हैं। इस बात की हवा तब और तेज हो गई जब राज्यसभा में दिल्ली सेवा बिल के लिए वोटिंग के समय उनकी पार्टी ने हिस्सा नहीं लिया। एनडीए में शामिल होने की अफवाहों पर पार्टी ने विराम लगा दिया ये कहते हुए कि बीजेपी वाले भ्रम फैला रहे हैं। लेकिन सीएम योगी से मिलने के बाद पार्टी के राष्ट्रीय प्रवक्ता अनिल दुबे ने कहा कि राष्ट्रीय अध्यक्ष जयंच चौधरी ने योगी अदित्यनाथ से मुलाकात की थी। इसका मतलब ये नहीं कि हम बीजेपी के साथ गठबंधन कर रहे हैं। जो मीडिया और सियासी गलियारों में चर्चाएं चल रही हैं वो पूरी तरह गलत है। चौधरी ने ये मुलाकात अपने विधायकों के लिए की थी। क्योंकि इन दिनों विधानसभा में मानसून सत्र चल रहा है और जनप्रतिनिधियों के अपने क्षेत्र में विकास के लिए राशि की जरूरत होती है इसी सिलसिले में जयंत चौधरी की सीएम से मुलाकात हुई थी। बीजेपी इस मामले को तूल दे रही है ताकि भम्र की स्थिति पैदा की जा सके। हमें उम्मीद है कि साल 2024 के लोकसभा चुनाव में बेहतर प्रदर्शन करेंगे। दुबे ने कहा कि यूपी के 80 लोकसभा सीटों में से 12 पर पार्टी चुनाव लड़ेंगी लेकिन इस पर अंतिम फैसला हमारे राष्ट्रीय अध्यक्ष को ही लेना है। राजनीतिक विश्लेषकों के मुताबिक दिल्ली सेवा बिल पर आरएलडी का सदन में न आना बहुत कुछ कहता है। भले ही पार्टी के प्रवक्ता इस बात को नकारे लेकिन अंदर ही अंदर खिचड़ी पक रही है। अब देखना होगा कि वाकई प्रवक्ता की बात में सच्चाई है या सत्ता पक्ष से अंदर खाने बातचीत चल रही है। माना जा रहा है कि रालोद विधायकों की सीएम योगी से मुलाकात सपा पर दबाव डालने का एक तरीका है। वहीं, अगर सूत्रों की मानें तो जयंत चौधारी 2024 के चुनाव में जो दल गठबंधन में अधिक सीट देगा उसके साथ जा सकते हैं।
राह बदलेंगे चौधरी?
