एक के बाद एक सीट पर हार से सिमटती जा रही समाजवादी पार्टी के सामने बड़ा सियासी संकट खड़ा होता नजर आ रहा है। लखीमपुर खीरी जिले की गोला गोकर्णनाथ सीट पर सपा को मिली करारी हार के बाद सपा प्रमुख अखिलेश यादव के नेतृत्व क्षमता पर सवाल उठने लगे हैं क्योंकि इस सीट पर सपा की भाजपा से सीधी टक्कर थी। जबकि कांग्रेस और बसपा ने अपने उम्मीदवार नहीं उतारे थे। पार्टी को उम्मीद थी कि गोला गोकर्णनाथ सीट पर जीत के साथ सपा रामपुर और आजमगढ़ सीट पर मिली हार का सिलसिला थामेगी। लेकिन बीजेपी उम्मीदवार अमन गिरी ने सपा उम्मीदवार विनय तिवारी को 34 हजार से ज्यादा वोटों से करारी शिकस्त देकर सपा की हार का सिलसिला जारी रखा है। ऐसे में सवाल ये खड़ा हो रहा है कि सपा की हार का यह सिलसिला अगले महीने पांच दिसंबर को मैनपुरी लोकसभा और रामपुर विधानसभा सीट पर उपचुनाव में थमेगा या अगर इन दोनों सीटों पर सपा को हार मिलती है तो यह अखिलेश यादव के लिए जबरदस्त झटका होगा। ऐसा इसलिए क्योंकि मैनपुरी और रामपुर दोनों सीटें समाजवादी पार्टी का गढ़ मानी जाती हैं। मैनपुरी सीट सपा संस्थापक मुलायम सिंह यादव के निधन के बाद खाली हुई है। मैनपुरी सीट पर पिछले 33 सालों से सपा का कब्जा है। इस सीट पर कभी मुलायम तो कभी यादव परिवार का ही कोई सदस्य चुनाव जीतता रहा है। वहीं रामपुर सीट आजम खान का गढ़ मानी जाती रही है। आजम खान को हेट स्पीच मामले में तीन साल जेल की सजा सुनाए जाने के बाद उनकी सदस्यता खत्म कर दी गई थी जिसके चलते अब इस सीट पर उपचुनाव होगा।
कब थमेगा हार का सिलसिला
