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भाजपा की बढ़ती राजनीतिक ताकत से भयभीत विपक्षी दल ‘एकता ही बल है’ के सिद्धांत पर काम करते नजर आ रहे हैं। तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एमके स्टालिन की आत्मकथा के लोकार्पण कार्यक्रम में इस सिद्धांत का जलवा देखने को मिला। चेन्नई में 28 फरवरी को आयोजित इस पुस्तक के लोकार्पण कार्यक्रम में कांग्रेस नेता राहुल गांधी, केरल के मुख्यमंत्री पी ़विजयन, बिहार में नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव, नेशनल कॉन्फ्रेंस के नेता उमर अब्दुल्ला समेत विपक्ष के कई बड़े चेहरे शामिल रहे। कार्यक्रम के महत्व और भव्यता का अंदाज इस बात से लगाया जा सकता है कि इसमें शामिल कई अतिथियों को बकायदा चार्टेड विमान से चेन्नई लाया गया था। कार्यक्रम में पुस्तक पर चर्चा कम, भाजपा और केंद्र सरकार की नीतियों पर बातें ज्यादा हुईं। राहुल गांधी, उमर अब्दुल्ला, तेजस्वी यादव और पी ़विजयन का संबोधन केंद्र सरकार को टारगेट करने वाला रहा। राहुल का फोकस केंद्र सरकार द्वारा राज्यों की ताकत को कम करने और लोकतांत्रिक संस्थाओं को कमजोर करने पर रहा तो उमर अब्दुल्ला ने धारा 370 हटाए जाने और जम्मू-कश्मीर को केंद्र शासित प्रदेश बनाए जाने बाद कश्मीर की स्थिति पर अपनी बात केंद्रित रखी। राजनीतिक विशेषकों की माने तो स्टालिन ने विपक्षी दलों में एका बनाए रखने की नीयत से इतना बड़ा आयोजन तो किया लेकिन पश्चिम बंगाल और तेलंगाना के मुख्यमंत्रियों के न आने चलते विपक्षी दलों के मध्य अविश्वास का मुद्दा एक बार फिर से सतह पर आ गया है।

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