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केंद्र सरकार वक्फ कानून में व्यापक संशोधन का विधेयक संसद में पेश कर चुकी है। इस प्रस्तावित संशोधन को लेकर भारी राजनीति और विपक्षी दलों के विरोध चलते इस विधेयक को संयुक्त संसदीय समिति के हवाले पिछले सत्र में किया गया था। 31 सदस्यीय इस समिति में 13 सदस्य विपक्षी दलों के हैं और 19 एनडीए गठबंधन के। समिति के अध्यक्ष हैं भाजपा सांसद जगदम्बिका पाल जिन्हें इस समिति की बैठकों को सुचारू रूप से चलाने में भारी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। अब तक 25 बैठकें इस मुद्दे पर हो चुकी हैं लेकिन यह संसदीय समिति मुद्दे का सर्वमान्य हल तलाश पाने में विफल रही है। केंद्र सरकार चाहती है कि वक्फ कानून में बदलाव कर उसे अधिक पारदर्शी बनाया जाए, वक्फ बोर्ड में मुस्लिम महिलाओं की भागीदारी सुनिश्चित की जाए और गैर मुस्लिमों को भी वक्फ बोर्ड का सदस्य बनाया जाए। इतना ही नहीं सरकार वक्फ बोर्ड के अधिकारों को भी कमतर कर जिला अधिकारियों को वक्फ संपत्तियों के मामले में व्यापक अधिकार दिए जाएं। विपक्ष इसको भाजपा की मुस्लिम विरोधी मानसिकता बता विरोध करने पर अड़ा हुआ है। सूत्रों की मानें तो समिति शीतकालीन सत्र में अपनी रिपोर्ट शायद ही पेश कर पाए। हालांकि खबर यह भी गर्म है कि जगदम्बिका पाल विपक्षी सदस्यों के अडियल रवैये से बेहद खफा हैं और वे इसी सत्र में अपनी रिपोर्ट पेश करने की तैयारी कर रहे हैं। यदि वे ऐसा करते हैं तो वक्फ संशोधन बिल को संसद की मंजूरी मिलनी तय है अन्यथा यह महत्वपूर्ण कानून अधर में लटक जाएगा।

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