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उत्तराखण्ड में नेता विरोधी दल चुनने का अधिकार भले ही प्रदेश कांग्रेस ने पार्टी आलकमान के सुपुर्द कर दिया हो, प्रदेश कांग्रेस के बड़े नेताओं के मध्य अतिवश्वास की गहरी खाई पाटने में पार्टी आलाकमान पूरी तरह विफल नजर आ रहा है। राज्य विधानसभा की नेता डॉ ़ इंदिरा हृदयेश की मृत्यु बाद कि अब पार्टी में एकता की संभावना बढ़ती नजर आने लगी थी। प्रदेश संगठन दो धड़ों में काफी अर्से से बंटा हुआ है। एक धड़े की कमान इंदिरा हृदयेश और प्रदेश अध्यक्ष प्रीतम सिंह के हाथों में थी तो दूसरे का नेतृत्व पूर्व सीएम हरीश रावत कर रहे थे। हृदयेश की मृत्यु बाद प्रीतम सिंह खेमा बैकफुट पर आता नजर आया जरूर लेकिन इसका लाभ हरीश रावत खेमे को मिलता नजर नहीं आ रहा है। खबर जोरों पर है कि पिछले दिनों प्रदेश कांग्रेस की कोआर्डिनेशन कमेटी के सदस्य जब पार्टी अध्यक्ष से मिले तो वहां खासा ड्रामा हो गया। जैसे ही नए नेता विरोधी दल और नए प्रदेश अध्यक्ष का मुद्दा उठा प्रदेश कांग्रेस के एक वरिष्ठ नेता सोनिया गांधी के समक्ष फूट-फूट कर रोने लगे। उन्होंने अपने विरोधी खेमे पर आरोपों की झड़ी लगा डाली। उनको रोता देख कांग्रेस अध्यक्ष द्रवित होने के बजाए खासी नाराज हो उठी। नतीजा इस बैठक का बेनतीजा होना रहा। पार्टी सूत्रों का कहना है कि अब राहुल गांधी ने इस प्रकरण को अपने हाथों में ले लिया है। खबर गर्म है कि राहुल गांधी ने प्रदेश प्रभारी देवेंद्र यादव के जरिए प्रदेश कांग्रेस नेताओं को स्पष्ट चेतावनी दे डाली है कि पार्टी आलाकमान का फैसला सभी को मानना होगा। जिन्हें भी आलाकमान के फैसले से नाइत्तेफाकी होगी उन्हें राहुल गांधी ने पार्टी से बाहर निकाले जाने के संकेत दे दिए हैं। सूत्रों का दावा है कि शीघ्र ही उत्तराखण्ड कांग्रेस के अध्यक्ष पद पर हरीश रावत समर्थक एक ब्राह्मण चेहरे की ताजपोशी का एलान होने जा रहा है। नेता विरोधी दल की कुर्सी वर्तमान प्रदेश अध्यक्ष प्रीतम सिंह को दिए जाने और प्रदेश में दो कार्यकारी अध्यक्ष बनाए जाने की घोषणा जल्द होने की पूरी संभावना है।

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