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केंद्रीय वित्त मंत्रालय के अधीन जांच एजेंसी इंफोर्समेंट डायरेक्ट्रेट की कार्यशैली मोदी सरकार के कार्यकाल में खासी विवादित हो चली है। विपक्षी दल एक सुर में इस एजेंसी के दुरुप्रयोग का आरोप लगाते आ रहे हैं। जिस किसी भी राज्य में चुनाव पिछले सात वर्षों के दौरान हुए हैं, ईडी, सीबीआई और इन्कमटैक्स डिपार्टमेंट वहां खासा सक्रिय हो उठता है। महाराष्ट्र सरकार में मंत्री नवाब मलिक की गत् सप्ताह ईडी द्वारा की गई गिरफ्तारी बाद अब एक बार फिर से इन एजेंसियों की निष्पक्षता पर सवाल उठने शुरू हो गए हैं। महाराष्ट्र सरकार से लेकर विपक्षी दलों तक, सभी का आरोप है कि मलिक को महाराष्ट्र के पूर्व सीएम नारायण राणे और देवेन्द्र फडणवीस की शह पर गिरफ्तार किया गया है। दरअसल केंद्रीय मंत्री नारायण राणे ने कुछ अर्सा पहले ही दावा कर डाला था कि महाराष्ट्र में सत्तारूढ़ महाविकास अघाड़ी गठबंधन के चार बड़े नेताओं पर ईडी की गाज गिरने वाली है। उनके इस बयान बाद ईडी द्वारा मलिक को गिरफ्तार कर लिया गया। इससे विपक्षी दलों के आरोपों को खासा बल मिला है। सवाल उठ रहे हैं कि एक जांच एजेंसी की कार्यवाही बाबत नारायण राणे के पास पुख्ता जानकारी आई कहां से और कैसे? महाराष्ट्र के सत्ता गलियारों में खबर गर्म है कि अब ईडी का अगला निशाना शिवसेना के राज्यसभा सांसद संजय राउत होने जा रहे हैं। कहा तो यहां तक जा रहा है कि पूरा ‘खेला’ महाराष्ट्र सरकार को गिराने के लिए रचा जा रहा है। इस सबके बीच उद्धव ठाकरे सरकार ने भी भाजपा नेताओं पर अपनी जांच एजेंसियों का शिकंजा कसना शुरू कर दिया है। नारायण राणे के जुहू स्थित निजी बंगले में कथित रूप से हुए अवैध निर्माण को ढहाने की तैयारी होने के समाचार हैं। इतना ही नहीं पूर्व सीएम देवेन्द्र फडणवीस के समय हुए कुछ बड़े घोटालों की जांच में भी तेजी आ चुकी है। खबर जोरों पर है कि नवाब मलिक की गिरफ्तारी का जवाब उद्धव ठाकरे सरकार भाजपा के कुछ बड़े नेताओं को कानूनी शिकंजे में ले जल्द देने जा रही है।

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