उत्तराखण्ड के युवा मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी पूरी मुस्तैदी के साथ अपनी सरकार को एक काम करने वाली सरकार बनाने का प्रयास कर रहे हैं। सत्ता संभालने के साथ ही उन्होंने प्रदेश की बेलगाम हो चली नौकरशाही पर नकेल डालने की नीयत से ताकतवर कहलाए जाने वाले अफसरों के पर कतर डाले। इससे आमजन में अच्छा संदेश गया। राज्य की ब्यूरोक्रेसी में एक प्रदेश विशेष से ताल्लुक रखने वाले अफसरों का गठजोड़ बन चुका है। त्रिवेंद्र सिंह रावत के कार्यकाल में इस गठजोड़ ने पूरे सिस्टम को हलकान कर रखा था। धामी ने पद संभालने के साथ ही मुख्य सचिव पद से ओम प्रकाश की विदाई कर इस गठजोड़ को बैकफुट पर लाने का काम किया। इसके बाद त्रिवेंद्र काल के दौरान समांतर सरकार का पर्याय बन चुके एक आईएएस दंपति को मुख्यमंत्री सचिवालय से बाहर कर धामी ने अपनी नो नाॅनसेन्स छवि को चमकाया। केंद्र सरकार से कई सौ करोड़ का अतिरिक्त बजट आवंटन कराने में भी उन्होंने सफलता पाई है। देहरादून के सत्ता गलियारों में लेकिन नए सीएम के सराहनीय कार्यों के बजाए धामी सरकार के दो मंत्रियों की कार्यशैली पर ज्यादा कहा-सुना जा रहा है। इनमें से एक मंत्री राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ में अच्छी पकड़ के लिए जाने जाते हैं तो दूसरे अपनी दबंग छवि के लिए। खबर जोरों पर है कि एक मंत्री साहेबान ने पिछले दिनों अपने विभाग के एक अफसर से कुछ ऐसी डिमांड कर डाली जिसके चलते अफसर की जान पर बन आई है। चर्चा जोरों पर है कि मंत्री महोदय ने इन अफसर को दो विकल्प दे डाला है। पहला डिमांड पूर्ति का है तो दूसरा देहरादून से दूर किसी सीमांत इलाके में पोस्टिंग का। कुछ ऐसा ही मसला संघनिष्ठ मंत्री की बाबत भी कहा-सुना जा रहा है। इन्होंने भी अपने विभाग के अफसरों को कुछ ऐसी ही डिमांड कर संकट में डाल रखा है। खबर गर्म है कि अपने विभागीय मंत्रियों की मांगों से हलकान कुछ अफसरों ने धामी के राजनीतिक गुरु और वर्तमान में महाराष्ट्र के राज्यपाल भगत सिंह कोशरी के समक्ष अपनी परेशानी रख दी है। सूत्रों की मानें तो गवर्नर कोश्यारी ने ऐसे मंत्रियों पर लगाम लगाए जाने का भरोसा दिलाते हुए इन अफसरों को पूरी ईमानदारी के साथ नए सीएम को पूरा सहयोग देने की हिदायत दी है।