यादव वंश के दो बड़े राजनीतिक परिवारों में सब कुछ ठीक नहीं चल रहा है। बिहार में लालू यादव के वारिसों की आपसी तकरार अब सार्वजनिक रार में बदल चुकी है तो उत्तर प्रदेश में मुलायम सिंह यादव का 2017 में टूटा कुनबा अब तक जुड़ नहीं पाया है। सपा प्रमुख अखिलेश यादव और उनके चाचा शिवपाल के मध्य रिश्ते मुलायम सिंह तक की मध्यस्थता बाद भी टैªक पर नहीं आ पा रहे हैं। सपा सूत्रों की माने तो शिवपाल बीतें पांच बरसों में भाजपा, विशेषकर योगी आदित्यनाथ के अत्यंत करीबी बन चुके हैं। योगी ने उन्हें जेड प्लस श्रेणी की सुरक्षा और लखनऊ में मंत्रियों वाला बंगला दे रखा है। अखिलेश का मानना है कि भाजपा शिवपाल चचा का इस्तेमाल उनके खिलाफ बतौर वोट कटुवा करना चाहती है। हालांकि शिवपाल इससे स्पष्ट इंकार करते हुए सपा संग अपनी पार्टी के सम्मानजनक टाई अप की बात कर रहे हैं। खबर है कि वे 30 सीटों पर अपने उम्मीदवार उतारना चाहते हैं जबकि अखिलेश मात्र 4-5 सीटें उन्हें देने को तैयार हैं। ऐसे में बहुत संभव है कि 2022 के चुनाव दोनों अलग-अलग ही लड़े। यदि ऐसा हुआ तो कुछ हद तक इसका लाभ भाजपा को पहुंचना तय है।