भरुच से लोकसभा सदस्य मनसुख वसावा ने भाजपा और लोकसभा से अपने इस्तीफे का एलान कर आदिवासी समाज में विजय रूपाणी सरकार संग बढ़ती नाराजगी में एक नया अध्याय जोड़ दिया है। हालांकि 63 वर्षीय मनसुख वसावा ने स्वास्थ्य का हवाला देते हुए अपना इस्तीफा पार्टी हाईकमान को भेजा है। सूत्रों की मानें तो लंबे समय से नर्मदा आंदोलन से जुड़े आदिवासी समूहों की मांग न माने जाने से नाराज वसावा ने यह कदम उठाया है। सूत्रों का कहना है कि नर्मदा जिले के 121 गंवों को पर्यावरण की दृष्टि से संवेदनशील घोषित किए जाने की मांग कर रहे आदिवासियों का अब राज्य सरकार से मोह पूरी तरह भंग हो चला है।
स्थानीय सांसद होने के चलते वसावा ने प्रधानमंत्री को कुछ अर्सा पहले इस मुद्दे पर पत्र लिखकर हस्तक्षेप करने की मांग उठाई थी। पीएम से कोई उत्तर नहीं आने से नाराज हो सांसद ने पार्टी और संसद को अपना इस्तीफा भेज प्रदेश की राजनीति गर्मा दी है। प्रदेश भाजपा के बड़े नेताओं ने वसावा को मनाने के प्रयास तेज कर दिये हैं। लेकिन वसावा किसी भी सूरत में अपना इस्तीफा वापस न लेने पर अड़ गए हैं। 6 बार लगातार लोकासभा चुनाव जीत चुके वसावा आदिवासी समूहों द्वारा चलाए जा रहे आंदोलन को भी अपना पूरा सर्मथन देने की बात कह डाली है। खबर है कि आने वाले समय में भाजपा के कुछ अन्य प्रभावशली नेता इस मुद्दे पर पार्टी छोड़ सकते हैं।