आंध्र प्रदेश की राजनीति एक बार फिर से बड़े बदलाव की तरफ बढ़ रही है। राज्य के युवा मुख्यमंत्री जगन मोहन रेड्डी इसके लिए जिम्मेदार बताए जा रहे हैं। कुछ अर्सा पहले जगन ने सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठ न्यायाधीश एनवी रमन्ना और आंध्र प्रदेश हाईकोर्ट के कुछ न्यायधीशों पर गंभीर आरोप लगाते हुए एक पत्र तत्कालीन मुख्य न्यायाधीश बोबडे को लिखा था। इस पत्र को सीएम के सलाहकार द्वारा सार्वजनिक भी करा गया था। अब एनवी रमन्ना सुप्रीम कोर्ट के चीफ बन चुके हैं तो कयासबाजी का दौर चरम् पर है कि जगन पर कुछ बड़ी कार्यवाही हो सकती है।
सुप्रीम कोर्ट ने गत् सप्ताह जगन की पुरजोर खिलाफत कर रहे उनकी पार्टी के बागी सांसद के राजू को जमानत दे इन कयासबाजियों को गर्मा डाला है। राजू के खिलाफ राजद्रोह का मामला दर्ज कर आंध्र पुलिस ने उन्हें गिरफ्तार कर लिया था। के-राजू ने सुप्रीम कोर्ट में गुहार लगाई कि उन्हें न केवल फर्जी मामले गढ़कर फसाया गया है, पुलिस कस्टडी में उनके साथ मारपीट भी की जा रही है। कोर्ट ने राजू की बात मान उन्हें जमानत दे जगन रेड्डी को तगड़ा झटका दे डाला है। दूसरी तरफ गत् माह राज्य में हुए पंचायत चुनावों को राज्य उच्च न्यायालय ने रद् कर डाला है। दरअसल, कोरोना की पहली लहर के समय स्थगित किए गए इन चुनावों को राज्य सरकार ने इस वर्ष सात अप्रैल को करा डाले। विपक्षी दलों ने हाईकोर्ट में गुहार लगाई कि उनके प्रत्याशियों का नामांकन तक नहीं करने दिया गया। इस पर हाईकोर्ट ने पूरी चुनावी प्रक्रिया को रद् करते हुए दोबारा चुनाव कराने के आदेश दे जगन रेड्डी सरकार को बैकफुट पर ला खड़ा किया है। इस सबके बीच केंद्रीय जांच एजेंसियों का शिकंजा भी जगन रेड्डी पर कसते जा रहा है। रेड्डी पर उनके पिता राजशेखर रेड्डी के सीएम रहते भारी भष्ट्राचार के कई आरोप हैं। रेड्डी 2012 में इन आरोपों चलते सीबीआई की लंबी हिरासत भी काट चुके हैं।