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अगले साल होने वाले राज्य के विधानसभा चुनावों को लेकर भाजपा एक्शन मोड में है। कुछ समय से कयास लगाए जा रहे थे कि पार्टी प्रदेश में नेतृत्व परिवर्तन कर सकती है लेकिन अब लगभग यह तय हो गया है कि पार्टी कर्नाटक में मुख्यमंत्री नहीं बदलेगी। जिस तरह से उत्तराखण्ड में चुनाव से ऐन पहले मुख्यमंत्री बदला गया या गुजरात में मुख्यमंत्री बदला गया उस तरह से कर्नाटक में बदलाव नहीं होगा। पार्टी ने लिंगायत नेता के तौर पर बसवराज बोम्मई को एक साल से ज्यादा का मौका दिया है और अब जबकि चुनाव में छह महीने रह गए हैं तो वह उनको नहीं बदलेगी। बीएस येदियुरप्पा का भी उनके ऊपर भरोसा है। लेकिन भाजपा चुनावी संभावना को लेकर चिंतित है। पार्टी को लग रहा है कि अगले चुनाव में उसे नुकसान हो सकता है। हिजाब, हलाल मीट जैसे तमाम भावनात्मक मुद्दों के बावजूद भाजपा चुनावी नतीजों को लेकर आश्वस्त नहीं है। इसलिए कहा जा रहा है कि मुख्यमंत्री भले नहीं बदला जाएगा लेकिन मंत्रिमंडल में फेरबदल जरूर होगा और प्रदेश संगठन में बड़ा बदलाव भी हो सकता है। चर्चा है कि पार्टी प्रदेश अध्यक्ष नलिन कुमार कतिल को बदल सकती है। उनकी जगह नया अध्यक्ष बनाकर पूरे प्रदेश संगठन को नया रूप दिया जा सकता है। येदियुरप्पा को पार्टी के संसदीय बोर्ड में शामिल करके भाजपा ने पहले ही उनकी
नाराजगी दूर कर दी है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपनी पिछली यात्रा में उनको जितनी तरजीह दी थी उससे अपने आप यह मैसेज बना है कि वे पार्टी को चुनाव लड़वा रहे हैं। तभी कहा जा रहा है कि उनकी पसंद का ही प्रदेश अध्यक्ष बनेगा और प्रदेश कमेटी भी उनके हिसाब से बनाई जाएगी। असल में राहुल गांधी की ‘भारत जोड़ो यात्रा’ को कर्नाटक में जिस तरह का जनसमर्थन मिला है उसकी वजह से भाजपा की चिंता बढ़ी है।

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