प्रधानमंत्री मोदी का ड्रीम प्रोजेक्ट कही जाने वाली ‘सेंट्रल विस्टा’ परियोजना का कार्य यूं तो तीव्र गति से किया जा रहा है लेकिन तमाम प्रयासों के बावजूद इस प्रोजेक्ट के अंतर्गत बनाई जा रही संसद की नई इमारत को समय से पूरा नहीं किया जा सका है। अक्टूबर, 2020 में संसद के नए भवन की आधारशिला रखी गई थी। तब इसे अक्टूबर, 2022 तक पूरा किए जाने का लक्ष्य निर्धारित किया गया था। कोविड महामारी के चलते इस कार्य में शुरुआती समय से ही विलंब होने लगा जिस कारण इसको दिसंबर, 2022 तक पूरा किए जाने और संसद का शीतकालीन सत्र इस नए परिसर में ही कराए जाने की बात सामने आई। अब लेकिन ऐसा कहा-सुना जा रहा है कि इस डेडलाइन तक भी शायद ही निर्माण कार्य पूरा हो पाएगा। हालांकि इस लक्ष्य को पाने के लिए केंद्रीय निर्माण एजेंसी सीपीडब्ल्यू डी, टार्टा प्रोजक्ट्स लिमिटेड और वास्तुकार विमल पटेल पूरी ताकत झौंक रहे हैं किंतु अभी बहुत कुछ निर्माण कार्य बाकी होने के चलते शायद ही दिसंबर तक यह भवन तैयार हो पाए। जानकारों का कहना है कि वर्तमान संसद को बनने में 6 बरस का समय लगा था। ऐसे में तमाम आधुनिक तकनीक उपलब्ध होने के बावजूद इतने विशाल निर्माण कार्य को दो बरस के भीतर पूरा किया जाना संभव नहीं है। सुनने में यह भी आ रहा है कि स्वयं प्रधानमंत्री कार्यालय इस प्रोजेक्ट की कड़ी निगरानी कर रहा है। यही कारण है कि शहरी निर्माण मंत्री हरदीप पुरी हर हालात में इस बार का शीतकालीन सत्र नए भवन में ही कराए जाने के लिए ऐड़ी-चोटी का जोर लगा रहे हैं।