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अस्सी वर्षीय मल्लिकार्जुन खड़गे ने कांग्रेस अध्यक्ष बनने के तुरंत बाद ही पार्टी की केंद्रीय कार्यकारणी को भंग कर एक तदर्थ कमेटी बनाए जाने का एलान कर दिया है। यह तर्दथ कमेटी पूरी तरह से अस्थाई है जो नई कार्यकारणी बनाए जाने तक ही कार्य करेगी। ऐसे में अब नई कार्यकारणी में शामिल होने के लिए कांग्रेसियों ने जोड़-जुगत लगानी शुरू कर दी है। चर्चा जोरों पर है कि खड़गे की टीम में दो या तीन उपाध्यक्ष अथवा कार्यकारी अध्यक्ष बनाए जा सकते हैं। तर्क दिया जा रहा है कि कांग्रेस में उपाध्यक्ष बनाए जाने की परंपरा रही है। राहुल गांधी, अर्जुन सिंह, जितेंद्र प्रसाद इत्यादि समय-समय पर पार्टी उपाध्यक्ष रह चुके हैं। हालांकि केंद्रीय संगठन में कभी भी कोई कार्यकारी अध्यक्ष कांग्रेस में नहीं बनाया गया है लेकिन खड़गे की उम्र का हवाला देते हुए कहा जा रहा है कि उनके साथ किसी युवा को बतौर कार्यकारी अध्यक्ष बनाया जाना चाहिए। 24, अकबर रोड से छन कर आ रही खबरों के अनुसार दो कार्यकारी अध्यक्ष बनाए जा सकते हैं। हालांकि पार्टी के भीतर ही इस प्रकार के प्रयोग को लेकर आशंकाएं भी जताई जाने लगी हैं। कई वरिष्ठ नेताओं का मानना है कि ऐसा करने से पार्टी भीतर नए-नए पावर सेंटर बन जाएंगे जिससे नए अध्यक्ष की कार्यक्षमता पर बुरा प्रभाव पड़ेगा। ऐसे नेताओं का तर्क है कि हपले से ही पार्टी में राहुल गांधी बगैर किसी पद के एक पावर सेंटर हैं तो प्रियंका गांधी का भी अपना एक अलग गुट है। ऐसे में देखा जाना दिलचस्प होगा कि नए अध्यक्ष कब तक और कैसे अपनी कार्यकारिणी का गठन कर पाते हैं और विभिन्न गुटों के मध्य संतुलन स्थापित कर पाते हैं।

 

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