बिहार के राजनीतिक घटनाक्रम के चलते अटकलें लगाई जानी लगी हैं कि चिराग पासवान का वनवास खत्म हो गया है। नीतीश कुमार की चिंता में भाजपा ने उनको किनारे रखा था और दिल्ली में उनके पिता रामविलास पासवान को आवंटित बंगला भी खाली करा लिया था। छह सांसदों वाली उनकी पार्टी भी टूट गई थी, जिसके तहत उनके चाचा पांच सांसदों को लेकर अलग हो गए थे और नीतीश कुमार की पैरवी से केंद्र सरकार में मंत्री भी बन गए थे। अगर चिराग पासवान का वनवास खत्म होता है और एनडीए में पुनर्वास होता है तो पशुपति पारस की मुश्किलें बढ़ जाएंगी। उनको तय करना होगा कि वे केंद्र में मंत्री बने रहते हैं या बिहार की राजनीति के लिहाज से पोजिशनिंग करते हैं। अगर वे केंद्र में मंत्री बने रहने की सोचते हैं तो फिर भतीजे के साथ समझौता करना होगा। खबर है कि बिहार में जैसे ही जदयू और भाजपा के बीच विवाद शुरू हुआ और नीतीश कुमार के
यूटर्न के बाद अटकलें लगनी शुरू हो गई हैं कि चिराग भाजपा के साथ जाने के लिए सक्रिय हो गए हैं। उन्होंने नीतीश विरोधी बयान देना शुरू किया। अब तक वे चुप थे क्योंकि नीतीश को जो नुकसान पहुंचाना था वह वे 2020 के विधानसभा चुनाव में ही पहुंचा चुके थे। अब भाजपा और जदयू का तालमेल खत्म होने के बाद उनके लिए मौका बन रहा है।
खत्म होगा चिराग का वनवास
