कांग्रेस के युवा नेता ज्योतिरादित्य सिंधिया यूं तो गांधी परिवार के करीबी माने जाते हैं। उनके भाजपा में जाने को लेकर कयासबाजियां थम नहीं रही हैं। खुद ज्योतिरादित्य कह चुके हैं कि वे कांग्रेसी हैं और रहेंगे लेकिन कहीं न कहीं कुछ ऐसी खिचड़ी पक जरूर रही है जो यदि जली नहीं तो मध्य प्रदेश की कांग्रेस सरकार के लिए बड़ी मुसीबत बन सकती है। कांग्रेस आलाकमान ने सिंधिया को हाल फिलहाल महाराष्ट्र राज्य में टिकट वितरण की समिति का अध्यक्ष बना दिया है। खबर है कि सिंधिया इस जिम्मेदारी से खुश नहीं हैं। वे मध्य प्रदेश कांग्रेस का अध्यक्ष पद चाह रहे हैं लेकिन सीएम कमलनाथ ऐसा नहीं होने दे रहे। सिंधिया लोकसभा चुनाव हार चुके हैं। अब उनकी नजर अगले साल मार्च में दिग्विजय सिंह के टर्म पूरा होने से खाली होने जा रही सीट पर है। कमलनाथ लेकिन दोबारा दिग्गी राजा को भेजने का मन बना चुके हैं। ऐसे में सिंधिया का संकट गहरा रहा है। इस बीच चर्चा जोरों पर है कि पिछले दिनों एक मित्र के जरिए भाजपा के एक बड़े नेता संग बैठक हुई। कांग्रेस को डर है कि संघ के प्रति समर्पित सिंधिया परिवार का एकमात्र कांग्रेसी नेता कहीं भाजपा न ज्वाइन कर ले। सिंधिया की दो बुआ-वसुन्धरा और यशोधरा भाजपा में हैं। उनकी मामी माया सिंह प्रदेश भाजपा की बड़ी नेता तो दादी राजमाता सिंधिया संघ की वरिष्ठ नेता रही हैं। यहां तक कि पिता माधवराव भी कांग्रेस में आने से पहले जनसंघ में थे।
सिंधिया को लेकर जारी है अटकलबाजी
