मध्य प्रदेश की राजनीति अनोखी है। यहां दुश्मन खांटी दोस्त बन चुके हैं तो खांटी दोस्त दुश्मन में तब्दील हो चले हैं। ग्वालियर राजघराने की विरासत के वारिस ज्योतिरादित्य सिंधिया ने भगवा धारण करने का निर्णय लिया तो कमलनाथ पैदल हो गए। उनकी सरकार के जाते ही तत्कालीन विधानसभा अध्यक्ष डाॅ सीताशरण शर्मा की गद्दी भी चली गई। तब से लेकर अभी तक भाजपा विधायक कामेश्वर शर्मा बतौर प्रोटेम स्पीकर इस पद पर बैठे हैं। शर्मा राष्ट्रीय स्वयं सेवक दल के प्रचारक, बजरंग दल, भोपाल ईकाई के संयोजक रह चुके हैं। 2013 में पहली बार विधायक बने शर्मा की पहचान एक बड़बोले नेता की रही है। स्पीकर पद की गरिमा को दरकिनार कर वे लगातार ऐसे बयान देते रहते हैं जिनके चलते कई बार प्रदेश सरकार के सामने संकट खड़ा हो जाता है। प्रदेश में कड़े लवजिहाद कानून और भोपाल स्थित ईदगाह पहाड़ी का नाम बदल गुरुनानक पहाड़ी करने जैसे उनके बयान और राममंदिर निर्माण के लिए चंदा मांगने के लिए अपने पोस्टर राजधानी भोपाल में चस्पा करने, गणतंत्र दिवस के सरकारी भाषण के बाद ‘जय श्री राम’ का नारा लगाने वाले इस विधानसभा अध्यक्ष से विपक्षी कम भाजपा के नेता विधायक अधिक नाराज बताए जा रहे हैं। खबर है कि 22 फरवरी से शुरू होने जा रहे राज्य के बजट सत्र से पूर्व ही शिवराज सरकार स्थायी अध्यक्ष चुनने का मन बना चुकी है।
एक बरस से बगैर स्पीकर विधानसभा
