उत्तर प्रदेश में भाजपा को कड़ी टक्कर दे रही समाजवादी पार्टी की रफ्तार में ओवैसी स्पीड ब्रेकर बनते दिखने लगे हैं। राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि ओवैसी को पूरी तरह नकारने वाले पश्चिम बंगाल के मुसलमानों की सोच उत्तर प्रदेश के मुसलमानों में नहीं है। ओवैसी को यहां का मुस्लिम वोटर, खासकर युवा वर्ग खासा पसंद करता है। भाजपा इस वर्ग में यह प्रचार कर पाने में सफल होती नजर आ रही है कि भले ही उसे मुसलमान वोट नहीं चाहिए, सपा भी बहुसंख्यक वोटर को लुभाने के लिए मुस्लिम वोट बैंक को तवज्जो देने से बच रही है। यह बात तेजी से फैलने लगी है कि कथित धर्मनिरपेक्ष दल मुसलमान का वोट तो चाहते हैं लेकिन मुस्लिम लीडरशीप को वे खुले तौर पर अपने साथ रखने के लिए तैयार नहीं हैं। ओवैसी इस बात को मुसलमानों के दिमाग में बैठाने का काम कर रहे है जिसका सीधा फायदा भाजपा को होना तय है। पश्चिम उत्तर प्रदेश में सपा-रालोद का गठबंधन भाजपा के लिए बड़ा संकट है। इस संकट का निपटारा भाजपा के लिए ओवैसी कर रहे हैं। यदि मुस्लिम मतदाता एकजुट होकर सपा-रालोद के पक्ष में मतदान करता है तो यहां से भाजपा का सूपड़ा साफ होना तय है लेकिन यदि इस वोट बैंक में बिखराव होता है और ओवैसी की पार्टी की तरफ 20 से 30 प्रतिशत भी मुसलमान वोट जाता है तो भाजपा की बल्ले-बल्ले तय है। ओवैसी पश्चिम उत्तर प्रदेश में जमकर डोर टू डोर प्रचार करने में जुट गए हैं। उनके साथ युवा मुस्लिमों की जमात खड़ी नजर आने लगी है। चर्चा जोरों पर है कि ओवैसी की काट के लिए अखिलेश यादव ने किसान नेता राकेश टिकैत से मदद की गुहार लगाई है। खबर यह भी गर्म है कि टिकैत ने मुस्लिम किसान मतदाताओं संग संपर्क अभियान शुरू भी कर डाला है।
ओवैसी चलते संकट में सपा
