असम विधानसभा के लिए चुनाव प्रचार अपने चरम पर है। 2016 में हुए चुनावों में भाजपा 84 सीटों पर लड़ी थी और उसे 60 पर जीत हासिल हुई। कांगे्रस 122 सीटों पर लड़ी और मात्र 26 पर जीत दर्ज करा पाई। इन चुनावों से आठ महीने पहले कांग्रेस को भारी झटका लगा था। उसके दिग्गज नेता और तरुण गोगोई सरकार में मंत्री हेमंत बिस्वास शर्मा मय सैकड़ों समर्थक भाजपा में शामिल हो गए थे। शर्मा लंबे अर्से से गोगोई के स्थान पर खुद सीएम बनना चाह रहे थे। जब कांग्रेस नेतृत्व तैयार होता नजर नहीं आया तो उन्होंने दल ही बदल डाला। अब खबर है कि बिस्वास ने भाजपा आलाकमान पर भी सीएम की कुर्सी पाने के लिए दबाव की राजनीति शुरू कर डाली है। यही कारण है कि भाजपा इन चुनावों में सोनोवाल को सीएम कैंडिडेट घोषिण किए बगौर मैदान में हैं। खबर है कि वर्तमान सीएम सोनोवाल के समर्थकों में पार्टी आलाकमान के इस फैसले के चलते खासी नाराजगी है। खबर यह भी है कि हेमेंत बिस्वास समर्थक अभी से प्रचार करने में जुट गए हैं कि पार्टी की अगली सरकार उनके नेता के ही नेतृत्व में गठित होगी। भाजपा की इस अंदरुनी लड़ाई का फायदा कांग्रेस को मिलता नजर आने लगा है।
सोनोवाल बैकफुट पर, हेमेंत की बढ़ी हैसियत
