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दिल्ली के सत्ता गलियारों में इस बात की खासी चर्चा है कि भले ही भाजपा कांग्रेस नेता राहुल गांधी को ‘पप्पू’ कह माखौल उड़ाए, राहुल की सलाह को केंद्र सरकार देर-सबेर स्वीकार करने पर विवश हो ही जाती है। राहुल गांधी ने अर्सा पहले ही केंद्र सरकार को सलाह दे डाली थी कि कोरोना का कहर थामने के लिए विदेशी वैक्सीनों का आयात करना चाहिए। सरकार ने तब उनकी बात अनसुनी कर डाली। केंद्रीय मंत्री रविशंकर प्रसाद ने अहंकारपूर्ण शब्दों में विदेशी वैक्सीनों की दलाली करने तक का आरोप राहुल गांधी पर लगा डाला था। स्मृति ईरानी भला कैसे पीछे रहतीं। उन्होंने राहुल को ‘असफल राजनेता-फुल टाइम दलाल’ की संज्ञा दे डाली। अब दोनों मंत्री खामोश हैं, क्योंकि उनकी सरकार ने सभी विदेशी वैक्सीनों के भारत में इस्तेमाल की मंजूरी दे दी है। जनता उनसे पूछ रही है कि इस मंजूरी को देने वाली सरकार को भी ‘विफल और दलाल’ कहने का साहस वे कर सकते हैं? राहुल गांधी की एक अन्य सलाह भी केंद्र सरकार को माननी पड़ी है। कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष ने मार्च महीने में ही बोर्ड परीक्षाओं को टालने की बात कही थी। तब सरकार नहीं चेती, अब थक-हारकर उसे परीक्षाओं को स्थगित करना ही पड़ा है। दिल्ली दरबार में राफेल लड़ाकू विमान सौदे को लेकर भी राहुल के आरोपों की इन दिनों खासी चर्चा हो रही है। गौरतलब है कि राहुल ने ही सबसे पहले इस रक्षा सौदे में भारी रिश्वतखोरी का आरोप लगा सीधे प्रधानमंत्री मोदी पर निशाना साधा था। केंद्र सरकार और भाजपा ने राहुल के आरोपों को तब सिरे से नकार डाला था, लेकिन अब फ्रांस की एक जांच एजेंसी ने इन आरोपों को बल देने का काम कर दिया है। खबर है कि राहुल की बढ़ती लोकप्रियता से भाजपा में भारी खलबली का माहौल बन रहा है।

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