उत्तराखण्ड में मुख्यमंत्री बदल भाजपा आलाकमान ने अन्य पार्टी शासित राज्यों में सत्ता के शिखर पुरुषों की नींद उड़ाने का काम कर डाला है। खबर है कि त्रिपुरा और हरियाणा में भी एक बार फिर से वहां के मुख्यमंत्रियों के खिलाफ पार्टी विधायकों ने गोलबंदी शुरू कर दी है। विशेषकर हरियाणा में मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर से नाराज पार्टी विधायक अब आर-पार की लड़ाई का मूड बना चुके हैं। राज्य में गठबंधन की सरकार है और किसान आंदोलन की ताप यहां सत्तारूढ़ दल के विधायकों तक पहुंचने लगी है। हालांकि पिछले दिनों राज्य विधानसभा के बजट सत्र के दौरान कांग्रेस द्वारा लाया गया अविश्वास प्रस्ताव खट्टर सरकार ने येन-केन प्रकारेण खारिज करा डाला है लेकिन असंतुष्ट विधायकों को अभी तक सीएम पूरी तरह साध नहीं पाए हैं। चर्चा जोरों पर है कि राज्य के गृह मंत्री अनिल विज के नेतृत्व में जल्द ही पार्टी के लगभग दो दर्जन विधायक पार्टी आलाकमान से मिलकर खट्टर को हटाने की मांग करने जा रहे हैं। खट्टर विरोधियों का मानना है कि सीएम अपने कुछ नौकरशाहों के इशारे पर सारे निर्णय लेते हैं। किसान आंदोलन को सही तरीके से हैंडल न कर पाने का आरोप भी खट्टर पर असंतुष्ट लगातार लगाते आ रहे हैं। इतना ही नहीं पार्टी के बड़े नेताओं का यह भी मानना है कि राज्य सरकार ने निजी क्षेत्र की कंपनियों में 75 प्रतिशत नौकरियां स्थानीय युवाओं के लिए आरक्षित करने का फैसला हड़बड़ी में लिया जिसके चलते मल्टी नेशनल कंपनियों ने गुरुग्राम छोड़ने का निर्णय ले लिया है। पार्टी सूत्रों का दावा है कि पांच राज्यों में चुनाव नतीजे आने के बाद खट्टर की विदाई होनी तय हो चुकी है।
खट्टर की विदाई के संकेत
