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सिद्धारमैया शिवकुमार कांग्रेस कर्नाटक

कर्नाटक कांग्रेस में हाल के दिनों में अंदरूनी कलह के चलते पार्टी में दरार बढ़ने लगी है। पार्टी के दो टॉप नेता पूर्व मुख्यमंत्री सिद्धारमैया और कर्नाटक प्रदेश कांग्रेस कमेटी के प्रमुख डीके शिवकुमार एक-दूसरे के आमना-सामने आ चुके हैं। ऐसे में अटकलें लगाई जा रही हैं कि संयुक्त मोर्चा बनाने की पार्टी की संभावना कम हो गई है, जिससे आगामी चुनाव में सत्तारूढ़ बीजेपी को हराना चुनौतीपूर्ण होता जा रहा है। जानकारों के मुताबिक जिला स्तर के नेताओं से परामर्श किए बिना दूसरे दलों के वर्तमान और पूर्व विधायकों सहित अन्य नेताओं को पार्टी में शामिल करने से दरार बढ़ी है। साथ ही पार्टी के भीतर गुटबाजी भी बढ़ती जा रही है। इन दो दिग्गज नेताओं के मध्य असल मुद्दा यह है कि मुख्यमंत्री प्रत्याशी के तौर पर किसकी घोषणा होगी और पार्टी अगर चुनाव जीतती है तो अंत में किसे यह कुर्सी सौंपी जाएगी। इस विवाद को खत्म करने के लिए पार्टी आलाकमान दोनों नेताओं को पावर शेयरिंग फॉर्मूले पर काम करने का निर्देश दे सकती है। गौरतलब है कि जनता दल सेक्युलर के विधायक श्रीनिवास गौड़ा हाल ही में कांग्रेस में शामिल हुए हैं, जिन्होंने 10 जून के राज्यसभा चुनाव में क्रॉस वोटिंग की थी। वहीं मुलबगल के पूर्व विधायक कोथुर मंजूनाथ और चिंतामणि के पूर्व विधायक एम सी सुधाकर भी कांग्रेस के साथ आए हैं। इन फैसलों से केएच मुनियप्पा जैसे नेता सिद्धारमैया से नाराज बताए जा रहे हैं। कर्नाटक प्रभारी रणदीप सिंह सुरजेवाला कोलार में पार्टी के भीतर इस तरह के बिखराव को लेकर बयान जारी किया था। उन्होंने कहा के एच मुनियप्पा सीनयर लीडर हैं, जिनके पास काफी अनुभव है। साथ ही वे कांग्रेस पार्टी के लिए समर्पित हैं। भाजपा को हराने के लिए हमने बीते समय के सभी मतभेदों को भूलकर एकजुट होने का फैसला किया है। इसके बावजूद यहां कांग्रेस नेताओं और मुनियप्पा के बीच तनातनी चल रही है। मुनियप्पा केआर रमेश कुमार से नाराज बताए जाते हैं, जो इन लोगों को पार्टी में लेकर आए। कर्नाटक विधानसभा के पूर्व अध्यक्ष रमेश कुमार को 2019 के संसदीय चुनावों में मुनियप्पा की हार के मुख्य कारण के रूप में देखा जाता है।

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